अभिवृत्ति का मापन , विधियां - Measurement of Attitude Methods

अभिवृत्ति का मापन , विधियां - Measurement of Attitude Methods


सामाजिक मनोविज्ञान के अंतर्गत अभिवृत्ति मापन विधियों का विकास एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। अभिवृत्तियां व्यक्ति की मानसिक वृत्ति होती हैं जिनका मापन अप्रत्यक्ष रूप में ही संभव है। अभिवृत्ति मापन द्वारा अभिवृत्तियों की दिशा में तीव्रता एवं परिणाम का निर्धारण मुख्य रूप से किया जाता है। इनके मापन के लिए विशेष रूप से वस्तुनिष्ठ एवं मानकीकृत ढंग से तैयार की गई मापनियों का उपयोग किया जाता है जिन्हें अभिवृत्ति मापन की "प्रत्यक्ष विधि" कहा जाता है। इन मापनियों में कथनों का आशय स्पष्ट रहता है। व्यक्ति अपने भावों के अनुसार कथनों पर अनुक्रिया व्यक्त करता है। जटिल एवं संवेदनशील अभिवृत्तियों के मापन के लिए कुछ अन्य पर विधियों का विकास किया गया है जिनसे अभिवृत्तियों का मूल्यांकन परोक्ष ढंग से किया जा सके। अत एव कुछ दैहिक एवं प्रच्छन्न मापन विधियों का निर्माण किया गया। जो कि निम्नलिखित है-


अभिवृत्ति मापन की विधियां


व्यक्ति किसी वस्तु के प्रति अनुक्रिया मानकीकृत मापनियों में दिए गए कथनों के प्रति पसंद नापसंद के रूप में देता है। उन अनुक्रियाओं के आधार पर संपूर्ण प्राप्त अंकों की गणना करके व्यक्ति की अभिवृत्ति की दिशा एवं तीव्रता का निर्धारण किया जाता है।


(1) प्रत्यक्ष मापन विधि अभिवृत्ति मापन की विधियों में यह विधि सर्वाधिक लोकप्रिय एवं सरलतम है। अभिवृत्ति मापनी में दिए गए कथनों पर प्रयोज्य अपनी अनुक्रिया देता है। संपूर्ण प्राप्ताकों के आधार पर उसकी अभिवृत्ति प्रबलता ज्ञात की जाती है। नीचे कुछ प्रमुख मापकों का उल्लेख किया जा रहा है


(क) संचयी मूल्यांकन विधि- रेनसिस लिंकर्ट (1932) ने अंतरराष्ट्रीयतावाद के प्रति अभिवृत्ति मापन करने के लिए संचयी मूल्यांकन विधि का निर्माण किया। इस मापनी के प्रत्येक कथन के सामने 5 बिंदु दिए गए होते हैं- तीव्र सहमत, सहमत, अनिश्चित, असहमत एवं तीव्र असहमत। इन में से किसी एक बिंदु पर व्यक्ति अपने अनुक्रिया सही (√) का निशान लगाकर व्यक्त करता है। संपूर्ण कथनों पर दी गई अनुक्रियाओं का योग करके संपूर्ण प्राप्तांक प्राप्त कर लिया जाता है जो व्यक्ति की अभिवृत्ति प्रबलता को व्यक्त करता है। इसलिए इस विधि को संचयी मूल्यांकन विधि कहा जाता है। इस विधि के कुछ निश्चित चरण है।


1- सर्वप्रथम अभिवृत्ति वस्तु के पक्ष विपक्ष से संबंधित कथनों को अधिक संख्या में चयन कर लिया जाता है।


2- यह कथन प्रयोज्यों के समक्ष प्रस्तुत किए जाते हैं। प्रयोग अपनी सहमति/ असहमति प्रत्येक कथन के सामने 5 बिंदु मापनी पर व्यक्त करता है।


3- विभिन्न कथनों पर प्रयोज्य द्वारा दी गई अनु क्रियाओं का संपूर्ण योग कर लिया जाता है। यदि कथन अभिवृत्ति का धनात्मक पक्ष प्रस्तुत करता है तो प्राप्तांक 5.4.3,2. एवं । के क्रम में देंगे परंतु यदि ऋणात्मक दिशा को दर्शाता है तो अंको का क्रम उलट जाएगा अर्थात 1.2.3, 4 और 5 होगा। 4- प्राप्ताकों का पद विश्लेषण किया जाता है ताकि अधिक विभेदन कारी कथनों का चुनाव किया जा सके। पद विश्लेषण के लिए प्रत्येक कथन पर प्राप्त अंक एक संपूर्ण प्राप्ताकों के बीच सहसंबंध निकाल लिया जाता है। उच्च सह संबंध वाले कथन रख लिए जाते हैं। पद विश्लेषण के आधार पर निश्चित हो जाता है कि प्रत्येक कथन वही कार्य कर रहा है जो संपूर्ण मापनी द्वारा हो रहा है एवं समान कथनों पर समूह के अनुक्रियायें परस्पर मेल खाती है या नहीं। उच्च सह संबंध वाले कथनों को लेकर लिकर्ट मापनी बनाई जाती है।


इस मापनी की कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं


(i) इस विधि में पद विश्लेषण हेतु उपयुक्त सांख्यिकी विधियों का उपयोग होता है। इससे मापनी की विश्वसनीयता बढ़ जाती है।


(ii) इस मापनी पर उत्तर देना अधिक सरल होता है।