विद्यालय में सामाजिक वैयक्तिक सेवा कार्य की आवश्यकता - Need Of Social Case work in School
बालक का अधिकांश प्रारम्भिक जीवन विद्यालय में ही गुजरता है। अतः विद्यालय के साथ समुचित समायोजन आवश्यक होता है। वह क्या पढ़ता है यह आवश्यक नहीं है बल्कि किस प्रकार पढ़ता है, उसकी रुचि किस स्तर की है, सम्बन्ध का क्या स्वरूप है, आदि भी जानना आवश्यक होता है। यदि इन कारकों की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है तो बालक पढ़ाई में पीछे रह जाता है, नैराश्य अनुभव करता है तथा स्कूल से भागने लगता है। ऐसे बालक सामान्यतः विभिन्न संवेगात्मक समस्याओं से ग्रस्त हो जाते हैं। ऐसे बालकों की समस्याओं के निराकरण के लिए प्रशिक्षित कार्यकर्ता की आवश्यकता होती है जो वैयक्तिक अध्ययन करके समस्या की प्रकृति ज्ञात कर उसका समुचित समाधान कर सके।
विकसित देशों में प्रत्येक विद्यालय में वैयक्तिक कार्यकर्ता होता है जो यह कार्य करता है। उच्च विद्यालयों में तो एक समाज कार्य का विभाग ही अलग होता है। भारतवर्ष में इस प्रकार के प्रत्यय का विकास अभी नहीं हो पाया है। क्योंकि भारत की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है इसके अतिरिक्त समाज कार्य की आवश्यकता का ज्ञान भी केवल चंद लोगों को ही हैं इसके अतिरिक्त समाज कार्य की आवश्यकता का ज्ञान भी केवल चंद लोगों को ही है। इसी कारण विद्यालयों की समस्याओं में निरन्तर वृद्धि हो रही है।
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