भारतीय साहित्य की सामान्य प्रवृत्तियाँ : वैष्णव काव्य भारतीय वाक्य की सबसे प्रबल प्रवृत्ति है वैष्णव काव्य, जो उतना ही व्यापक भी है। भारतीय साधना पद्…
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भारतीय साहित्य की सामान्य प्रवृत्तियाँ : प्रेमाख्यानक काव्य अब प्रेमाख्यानक काव्य की परम्परा को लीजिए। वह भी भारतीय भाषाओं में प्रायः समान रूप से व्य…
भारतीय साहित्य की सामान्य प्रवृत्तियाँ : सन्त काव्य भारतीय वाक्य की तीसरी प्रमुख प्रवृत्ति है सन्तकाव्य। इसकी परम्परा भी प्रायः सर्वत्र व्याप्त है। त…
भारतीय साहित्य की सामान्य प्रवृत्तियाँ : चारण काव्य दूसरी आरम्भिक प्रवृत्ति है चारण काव्य। यह भी अधिकांश भाषाओं में प्रायः समान है। अपनी प्राचीनता के…
Top 5 Books on Indian Social Work Delving into the realm of Indian social work unveils a rich tapestry of literature that illuminates the nation…
भारतीय साहित्य की सामान्य प्रवृत्तियाँ : नाथ साहित्य सबसे पहली प्रवृत्ति, जो भारतीय वाङ्मय में प्रायः सर्वत्र समान मिलती है, नाथ साहित्य है। दो-चार क…