समाज कार्य शिक्षा

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भारतीय साहित्य की सामान्य प्रवृत्तियाँ : नाथ साहित्य सबसे पहली प्रवृत्ति, जो भारतीय वाङ्मय में प्रायः सर्वत्र समान मिलती है, नाथ साहित्य है। दो-चार क…
भारतीय साहित्य के विकास का समानान्तर विकास क्रम आधुनिक भारतीय साहित्यों के विकास के चरण भी समान ही हैं। प्रायः सभी का आदिकाल पन्द्रहवीं शती तक चलता ह…
भारतीय सहित्य की मूलभूत एकता के आधार तत्त्व समान जन्मकाल दक्षिण में तमिल और उधर उर्दू को छोड़ भारत की लगभग सभी भारतीय भाषाओं का जन्मकाल प्रायः समान ह…
भारतीय- देशी भाषाओं के अन्तर्विरोध की समस्या संस्कृत- प्राकृत भाषातन्त्र से जनपदीय भाषाओं का जो अन्तर्विरोध रहा है, उसके अतिरिक्त देशी भाषाओं में आपस…
संस्कृत, प्राकृत भाषा तन्त्र तथा देशी भाषाएँ संस्कृत प्राकृत के भाषातन्त्र से जनपदीय भाषाओं का अन्तर्विरोध अखिल भारतीय है। संस्कृत के साथ- साथ दक्षिण…