Social Case Work Report Format - वैयक्तिक सेवा कार्य प्रतिवेदन
वैयक्तिक कार्य प्रतिवेदन
नोट: कार्यकर्ता 2 वैयक्तिक कार्य प्रतिवेदन तैयार करेगा। एक वैयक्तिक कार्य हेतु कम से कम 5 दिवस का अनुकूलन दौरा सेवार्थी एवं उससे संबंधित व्य क्तियों के साथ मिलकर पूर्ण करेगा ।
समाज कार्य एक व्यारवसायिक सेवा है जिसकी तीन प्राथमिक प्रणालियाँ (सामाजिक वैयक्तिक सेवा कार्य, सामाजिक समूह कार्य और सामुदायिक संगठन) तथा तीन सहायक प्रणालियाँ (सामाजिक शोध, सामाजिक क्रिया और समाज कल्यांण प्रशासन) है। और इन छ: प्रणालियों को दुनिया के तमाम देशों ने सर्वसम्मगति से स्वी कारा भी है। सामाजिक वैयक्तिक सेवा कार्य के संदर्भ में प्राय: यह कहा जाता है कि यह व्याेवसायिक समाज कार्य की एक महत्वकपूर्ण प्रणाली है जिसके द्वारा किसी समस्यााग्रस्ता व्ययक्ति (Client) की सहायता, समाज कल्यावण संस्थाा (Agency) के माध्ययम से प्रशिक्षण प्राप्तर व्याकवसायिक सामाजिक कार्यकर्ता (Profesinal Social Worker) द्वारा इस प्रकार से की जाती है कि व्यवक्ति अपनी समस्यात का समाधान स्वiयं निकाल सके और अपने परिवेश में उचित समन्वय कर सके। इस प्रक्रिया के दौरान कार्यकर्ता व्य्क्ति (Client) के साथ मिलकर निम्न्लिखित कार्य- प्रकिया के माध्यCम से वैयक्तिक कार्य की संपूर्ण प्रक्रिया को पूर्ण करता हैं:
सामाजिक वैयक्तिक कार्य प्रक्रिया के चरण
सामाजिक वैयक्तिक सेवाकार्य (Case Work) की प्रक्रिया को मैरी रिचमण्ड (1917) ने तीन भागों - अध्यमयन, निदान और उपचार में विभाजित किया लेकिन वर्तमान परिवेश को देखते हुए मौजूदा विद्वानों ने इस प्रक्रिया को पाँच भागों अध्यशयन, निदान, उपचार, समाप्ति तथा मूल्यांाकन में विभाजित कर उसका विस्तृंत वर्णन प्रस्तुएत किया है जो निम्नउवत है :-
Steps in case work/सामाजिक वैयक्तिक सेवा कार्य के चरण
अध्ययन (Study)
निदान/आकलन (Diagnosis)
उपचार /मध्य(स्थजता (Treatment)
समाप्ति (Ternination) तथा
मूल्यां कन (Evaluation)
सामाजिक वैयक्तिक सेवा कार्य में अध्ययन (Study) से तात्पर्य उस प्रक्रिया से है जिसके द्वारा केस वर्क (Case Work) को प्रारंभ किया जाता है और कार्यकर्ता सेवार्थी (Client) की मनोसामाजिक (Psychosocial) समस्या्ओं का अध्य(यन विस्ताथर से करता है। मैरी रिचमण्डम कहती है कि “सामाजिक अध्य यन में वैयक्तिक कार्य को उस प्रत्येाक कारक को सुरक्षित करना चाहिए जो एक साथ होने पर तर्कपूर्ण तथा अनुमानित तर्क के जरिए, सेवार्थी के व्याक्तित्वन तथा उपयुक्तन उपचार, मध्य्स्थनता के लिए स्थिति को उजागर करेगा ।”
सामाजिक वैयक्तिक कार्य में निदान/आकलन के जरिए कार्यकर्ता सेवार्थी की समस्याि से संबंधित तीन प्रश्नों का उत्तर ढूँढने की कोशिश करता है कि समस्याव क्या् है? यह कैसे उत्पधन्न् हुई है? इसे दूर करने के लिए क्यास किया जा सकता है? इन्हीं तीन प्रश्नोंथ के उत्तर के जरिए कार्यकर्ता सेवार्थी (Client) समस्याेओं की पहचान करने की कोशिश करता है।
केस वर्क में उपचार मध्यईस्थeता से तात्पर्य सेवार्थी को क्षमतावान बनाना, उसके आत्मवविश्वासस को बढ़ाना और उसे सामाजिक रूप से विघटित होने से बचाना है। यह सेवार्थी के सुकून, संतुष्टि तथा आत्मस अनुभव को बढ़ाने के लिए होता है।
केस वर्क में समाप्ति (Termination) से तात्पढर्य इस प्रक्रिया (अध्य,यन, निदान और उपचार) को समाप्त् करना है जो तब आरंभ हुई थी जब सेवार्थी सामाजिक वैयक्तिक कार्य मध्यकस्थता प्रक्रिया से गुजरने को सहमत हुआ था। समाप्ति प्रक्रिया का निर्णय सेवार्थी तथा कार्यकर्ता द्वारा आपसी सहमति से लिया जाता है। यह वह स्थिति होती है जब सेवार्थी को वर्तमान तथा विगत स्थितियों से निपटने की अपनी क्षमता में विश्वाैस हो जाता है।
केस वर्क में मूल्याँ कन से तात्पिर्य उस प्रक्रिया से है जिसमें यह जानने की कोशिश की जाती है कि क्याल केस वर्क अपने वांछित लक्ष्यस को प्राप्ता कर चुका हैं और क्याश सेवार्थी (Client) अपनी विभिन्नअ मनोसामाजिक (Psychosocial) समस्याुओं से वाकई निजात प्राप्तt कर चुका है या अपनी समस्यामओं को दूर करने में सक्षम हो चुका है ? आदि प्रश्नों का उत्तर कार्यकर्ता जानने की कोशिश करता है। वैयक्तिक सेवा कार्य की इस प्रक्रिया के संदर्भ में फर्न लॉरी (1936) अपने विचारों को प्रकट करते हुए कहते है कि जिस प्रकार किसी रस्सीर की लडि़यों को बीच से काट दिया जाता है तो वह उझलकर गिर जाती हैं ठीक उसी प्रकार इस केस वर्क की प्रक्रिया भी एक दूसरे से गुथी हुई है, अगर इसमें से किसी एक के बिना इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए तो कहीं न कहीं सेवार्थी की समस्या, समस्याग ही बनकर रह जाएगी।
संस्था, सेवार्थी प्रणाली तथा कार्य
सामाजिक कार्यकर्ता का उद्देश्य है सेवार्थी की सामाजिक कार्यप्रणाली में सुधार करना। सेवार्थी के साथ संबंध स्थापित करके ही सामाजिक कार्यकर्ता यह उद्देश्य प्राप्त कर सकता है। प्रक्रिया तब शुरू होती है जब सेवार्थी अपने आप पहल करके या फिर किसी और के कहने पर संस्था के पास मदद के लिए आता है। कई बार तो सेवार्थी का यह कार्य संस्था द्वारा संचालित किए गए किसी कार्यक्रम का ही परिणाम होता है। उदाहरण के लिए एच.आई. वी. एड्स के बारे में जागरूकता अभियान उन लोगों को संस्था से संपर्क करने के लिए प्रोत्साहित करेगा जो सक्रंमित होने की शंका से ग्रस्त हैं। अन्य मामलों में वह दूसरे संगठनों व संस्थाओं के पास भेजा जा सकता है। इसके पश्चात संस्था यह मामला सामाजिक कार्यकर्ता को आवंटित कर देता है। संस्था की भूमिका है आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था करना। सेवार्थी इस सारी प्रक्रिया का केंद्र बिंदु होता है। इसलिए सेवार्थी द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता संस्था प्रणाली को ठीक प्रकार से समझा जाना चाहिए।
सेवार्थी कुछ अपेक्षाओं और हो सकता है कि कुछ आशंकाओं के साथ संस्था से संपर्क कर सकता है। उसकी अपने मूल्य-तंत्र, व्यक्तिगत अनुभवों और सामाजिक संरचना में स्थिति पर आधारित अपनी एक विश्व दृष्टि होती है। सामाजिक कार्य की प्रक्रिया के बारे में सेवार्थी के अपने कुछ निश्चित विचार हो सकते है। उदाहरण के लिए आर्थिक समस्याओं से ग्रस्त एक व्यक्ति वित्तीय मदद की अपेक्षा करता है तो उसके लिए सलाह-मशविरे की सारी प्रक्रिया समय की बर्बादी है। दूसरी तरफ संस्था की अपनी विचारधारा तथा अपनी सीमाएं होती हैं। उनको इन्हीं मूल्यों एवं विचारधारा के आधार पर आगे बढ़ना होता है। सामाजिक कार्यकर्ता का व्यावसायिक मूल्यों और नैतिकता पर आधारित अपना मूल्याँकन होता है। यह महत्वपूर्ण है कि विशिष्ट व्यक्तिगत अनुभवों से निर्मित व्यक्तिगत मूल्य सेवार्थी के प्रति उसकी अवधारणा को प्रभावित न करें। सामाजिक कार्य के सिद्धांत सहभागिता, सामाजिक कार्यकर्ता की ओर से गुणवत्ता की आवश्यकता पर बल देते हैं। इसलिए एकम सामाजिक कार्यकर्ता को संबंधों में व्यक्तिगत अनुभवों के असर को संयमित करने के लिए स्वचेतना का एक निश्चित स्तर कर लेना चाहिए -
1. आपकी सामाजिक कार्यप्रणाली के संदर्भ में अपनी पसंद एवं नापसंद, जैसे मित्रों के बारे में आपकी पसंद और वह कार्य जिसमें आपको आनंद आता है या जिसे आप नापसंद करते हों तथा ऐसे मामले में आपके विचार से महत्वपूर्ण हैं, की सूची बना लें एवं उन पर विचार-विमर्श करें? यह देखना चाहिए ।
2. एक व्यक्ति/समूह/समुदाय का पहला प्रभाव कैसा है और क्या तदुपरांत हुए सत्रों तथा अधिक सूचनाओं की प्राप्ति के बाद इसमें कोई परिवर्तन हुआ है।
3. सेवार्थी, संस्था को किस दृष्टि से देखता है और क्यों?
क) सहायक ख) मित्र ग) संबंधी घ) दलाल ड.) डॉक्टर च) व्यवसायी छ) अन्य कुछ
4. संस्था की सेवार्थी के बारे में क्या सोच है?
क) गरीब और असहाय ख) संसाधनहीन
(यहाँ सेवार्थी को सेवा प्रदान करने के औचित्य पर विचार किया जा सकता है। सेवा प्रदान करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कारण इस प्रकार हैं-धार्मिक, परोपकारी, व्यावसायिक, उद्यमशीलता संबंधी एवं जनसंपर्क में सुधार।)
वैयक्तिक कार्य की प्रक्रिया में कार्यकर्ता को निम्नं सत्रों के माध्यकम से संपूर्ण कार्य प्रणा ली को क्रियान्वियत करना होगा।
प्रथम सत्र ( प्रथम अनुकूलन दौरा )
प्रथम सत्र में कार्यकर्ता सेवार्थी के साथ निम्न प्रकार से मिलकर कार्य करता है -
• सर्वप्रथम कार्यकर्ता सेवार्थी के साथ व्यावसायिक संबंध स्था पित करता है ।
• सेवार्थी से संबंधित समस्यारओं को परिभाषित एवं रेखांकित करता है ।
• सेवार्थी की समस्यार एवं कार्यो का मूल्याँ कन करता है ।
• सेवार्थी एवं वैयक्तिक कार्यकर्ता के उद्देश्यल एवं भूमिका को निर्धारित करता है ।
• सेवार्थी की आवश्यैक जानकारी जैसे – सेवार्थी का नाम , सेवार्थी का पता, सेवार्थी की उर्म, लिंग, शैक्षिक योग्य ता, धर्म, जाति, श्रेणी ( ग्रामीण, शहरी, जनजातीय) सेवार्थी का व्य वसाय, सामाजिक स्तार एवं आय इत्यामदि संबंधी जानकारी को एकत्रित करता है ।
• सेवार्थी की पारिवारिक पृष्ठजभूमि को जानना – कार्यकर्ता सेवार्थी की पारिवारिक पृष्ठेभूमि को जानने का प्रयास करता हैं यदि सेवार्थी अनाथ हैं या उसके परिवार के सदस्ये भी नहीं हैं तो कार्यकर्ता द्वारा सेवार्थी के अधिक निकट व्याक्तियों की सूची तैयार कर सेवार्थी से संबंधित तथ्यय को एकत्रित किया किया जाता हैं । इसके लिए कार्यकर्ता द्वारा निम्नि तालिका का उपयोग किया जाता है ।
क्रमांक संबंधित व्यतक्तियों के नाम सेवार्थी से संबंध उम्र शैक्षिक योग्यिता व्य्वसाय एवं आय
• सेवार्थी संबंध – सामाजिक वैयक्तिक कार्य प्रक्रिया में संबंध स्थांपन एक महयत्वयपूर्ण कौशल माना जाता हैं जिसके अंतर्गत समाज कार्यकर्ता सेवार्थी से संबंध रखने वाले विभिन्न व्यशक्तियों से सेवार्थी संबंधित जानका्री एकत्रित करता हैं । कार्यकर्ता सेवार्थी से प्रत्यशक्ष एवं अप्रत्यअक्ष रूप से संबंध रखने वाले व्यीक्तियों से जानकारी प्राप्तर कर सकता हैं एवं मूल्याँरकन करता हैं । सेवार्थी के जीवन में उन लोगों से संबंध, जो सर्वाधिक महत्ववपूर्ण हैं एवं सेवार्थी को प्रभावित करते हैं इन्हें उदाहरण के रूप में देखा जा सकता हैं -
o सेवार्थी के माता से संबंध
o सेवार्थी के पिता से संबंध
o अन्यर बच्चों के साथ संबंध
o चाचा, चाची एवं अन्ये चचेरे भाई-बहनों के साथ संबंध
o माता-पिता के बीच संबंध
o बच्चोंथ के साथ माता –पिता के संबंध
o महत्वंपूर्ण संबंध यदि कोई है (किसी भी अन्यो के साथ )
o पडोसियों के साथ संबंध
o स्कूिल एवं शिक्षण संस्थाहओं के साथ संबंध
o व्यूवसाय एवं रोजगार से संबंध रखने वाले व्य क्तियों से संबंध
• दुर्घटना तथा सदमे से प्रभावित व्यंक्ति की जानकारी : यदि सेवार्थी किसी दुर्घटना या सदमे से प्रभावित है या वह किसी मनोसामाजिक समस्यार से ग्रसित हो गया है तो यह सुनिश्चित करें की क्याख किसी दुर्घटना या सदमे ने सेवार्थी को प्रभावित किया हैं ? उसके प्रभाव को जानने के पश्चाटत ही आप किसी निदान तक पहॅुच सकते हैं ।
• भावी योजनाएँ : सेवार्थी की मनोदशा को ज्ञात करने के लिए आप सेवार्थी से उसकी भावी योजना के संबंध
में जानकारी प्राप्तस कर सकते हैं ।
• सत्र का समापन : सत्र का समापन करते समय सेवार्थी से यह पूँछ लेना चाहिए कि वह पुन: कब मिलेगा ? साथ ही साथ समय एवं स्थायन का भी निर्धारण कर लेना चाहिए । आपको (कार्यकर्ता को) भी ध्यासन रखना चाहिए कि आप सेवार्थी को दिए समयानुसार ही उससे मिले ।
इस तरह से कार्यकर्ता संपूर्ण प्रक्रिया कर प्रथम सत्र की समाप्ति कर द्वितीय सत्र की ओर अग्रसर होता है ।
सत्र द्वितीय ( द्वितीय अनुकूलन दौरा )
प्रथम सत्र के पश्चादत आपके पास सेवार्थी से संबंधित विभिन्नत प्रकार की आवश्यदक सूचनाएं एकत्रित हो जाती है। इसके आधार पर ही आप सेवार्थी से संबंधित विभिन्न् प्रकारों के सवालों को पूछकर सेवार्थी से संबंधित महत्वबपूर्ण जानकारी प्राप्ता हो जाएगी । प्रथम सत्र के माध्यकम से आपने सेवार्थी से संबंध स्था्पित कर लिया है अब सेवार्थी किसी भी प्रकार से आपसे हिचकिचाहट महसूस नहीं करेगा जिससे आप सेवार्थी की समस्या् से सबंधित सीधे प्रश्नों को पूछ सकते हैं । संबंध स्थायपित हो जाने के पश्चाजत आप सेवार्थी से यह भी पूछ सकते हैं कि आपकी समस्याै के पीछे कौन-कौन से कारण हैं ? क्याच कोई दूसरे व्यशक्ति आपको किसी कारण से परेशान कर रहे हैं ? या आपने आस-पास के लोगों से आपको कोई परेशानी हैं ? आप यह भी पूछ सकते हैं कि जो दूसरे लोग समस्यान पैदा कर रहे हैं उनका कारण क्याह हैं? कई बार सेवार्थी आपसे झूठ भी बोल सकता है आपको इस बात का अहसास हो जाता है फिर भी आपको ऐसा बर्ताव करना चाहिए जिससे कि सेवार्थी पर नकारात्माक प्रभाव न पडे । आगे आप बडी ही सावधानी पूर्वक सेवार्थी के पारिवारिक माहौल के संदर्भ में जानकारी प्राप्त कर लेते हैं ।
सत्र तृतीय (तृतीय अनुकूलन दौरा )
तृतीय सत्र के दौरान कार्यकर्ता सेवार्थी का ग्रह भ्रमण अर्थात घरों का दौरा करता है । घरों का दौरा करने के पूर्व कार्यकर्ता को इस प्रकार का संबंध स्था पित कर लेना चाहिए जिससे सेवार्थी सहज रूप से सहयोग प्रदान कर सके । इस सत्र में सेवार्थी संबंधित व्यिक्तियों से अवलोकन एवं साक्षात्का र विधि के माध्य म से समस्याथ सबंधी कारणों को ज्ञात करने का प्रयास करता हैं । अवलोकन के संदर्भ में कार्यकर्ता सेवार्थी के निवास स्थायन की स्थिकति, आसपास का वातावरण, जीवन स्तेर, पडोस की स्थिति इत्याकदि का अवलोकन करता है । साक्षात्काार के दौरान कार्यकर्ता सेवार्थी के माता, पिता एवं अन्य् संबंधित व्यवक्तियों का साक्षात्काार करता है ।
अवलोकन एवं साक्षात्कारर की प्रक्रिया के पश्चाकत आप अंत:क्षेप की योजना बना सकते हैं जोकि निम्ना प्रकार से हो सकती है –
o समस्या की जॉंच और विश्ले षण
o समस्या के कारण
o संभावित समाधान
o उपलब्धत भौतिक और गैर-भौतिक संसाधन
o सेवार्थी, संस्थाप एवं कार्यकर्ता की सीमाएं
o अंत: क्षेप योजना के उद्देश्यय
o अंत:क्षेप के प्रतिरूप के कार्यान्वययन की समय सीमा ।
सत्र चतुर्थ (चतुर्थ अनुकूलन दौरा – सत्र समाधान की खोज )
उपर्युक्त् सत्रों की प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चाधत आपको सेवार्थी की समस्या के कारण ज्ञात हो जाते हैं इस सत्र के माध्यिम से आप सेवार्थी को निम्न प्रकार से सहायता कर सकते हैं -
o सेवार्थी को परामर्श देकर आप उसकी समस्या का समाधान कर सकते हैं ।
o सेवार्थी की समस्याप के आधार पर कार्यकर्ता सेवार्थी की समस्या समाधान के तरीकों के संदर्भ में सूचना प्रदान करा सकता हैं जैसे कि किसी समस्या् समाधान करने वाले व्यरक्ति के पास सेवार्थी को पहुंसचा सकता हैं या फिर सरकारी एवं गैर-सरकारी योजनाओं के माध्यतम से सेवार्थी को अवगत कराकर उसे सूचना प्रदान कराई जा सकती है ।
o सेवार्थी को समझा-बुझाकर एवं दिशा – निर्देशन का प्रयोग कर ।
o कार्यकर्ता सेवार्थी को भावनात्म क रूप से सहयोग देकर उसकी सहायता कर सकता हैं ।
o कार्यकर्ता द्वारा सेवार्थी को ऐसे कौशलों को सिखाना चाहिए जिससे सेवार्थी सामाजिक परिस्थिति में प्रभावपूर्ण तरीके से कार्य कर सके ।
सत्र पाँच एवं छह (पंचम अनुकूलन दौरा – मूल्यांीकन एवं समापन )
सत्र पाँच में कार्यकर्ता को समस्तक कार्यप्रणाली का मूल्यांसकन कर समस्याव का उपचार करना चाहिए एवं सत्र छठवें में कार्यकर्ता द्वारा निर्धारित किए गए उद्देश्योंह के परिणाम स्वारूप फल प्राप्ता हो जाने पर प्रक्रिया का समापन कर देना चाहिए ।
गतिविधि -2 वैयक्तिक कार्य प्रतिवेदन प्रारूप
01. संस्था का परिचय .............................................................................
02. सेवार्थी की सामान्य जानकारी ...........................................................
o नाम ...........................................................................
o पिता का नाम ..................................................................
o माता का नाम ..................................................................
o आयु .............................................................................
o लिंग .............................................................................
o जाति .............................................................................
o धर्म .............................................................................
o रूचि .............................................................................
o पता .............................................................................
03. सेवार्थी की समस्या ............................................................................
04. सेवार्थी का व्यक्तिगत इतिहास ........................................................
05. समस्या की विस्तार पूर्वक व्याख्या
o परिवार...................................................................................... ,
o मित्र ...................................................................................... ,
o पडोस...................................................................................... ,
o शिक्षण संस्थान...................................................................................... .
06. सेवार्थी का पारिवारिक स्तर............................................................
07. सेवार्थी की पारिवारिक वंशावली .......................................................
08. सेवार्थी की विस्तृत जानकारी एवं सेवार्थी के प्रति उसका दृष्टिकोण
o पिता का दृष्टिकोण ...........................................................................
o माता का दृष्टिकोण............................................................................
o भाई का दृष्टिकोण ...........................................................................
o बहिन का दृष्टिकोण ............................................................................
o अन्य का दृष्टिकोण ............................................................................
09. समस्या निदान ................................................................
10. समस्या उपचार की योजना...................................................................
11. उपचार ..................................................................
12. सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा वैयक्तिक अध्ययन पक्रिया में प्रयुक्त किये गये सिद्धांत
o गोपनीयता का सिद्धांत.....................................................................
o स्वीकृति का सिद्धांत ..............................................................
o धैर्य एवं साहस का सिद्धांत.................................................................
o समन्वय का सिद्धांत .......................................................................
o अवलोकन का सिद्धांत .........................................................
o आत्म निश्चयीकरण का सिद्धांत ..........................................................
o निरंतर वैयक्तीकरण का सिद्धांत ..........................................................
13. मूल्याकंन ...............................................................
14. निष्कार्ष ....................................................
15. सामाजिक कार्यकर्ता का दृष्टिकोण .....................................................
गतिविधि 2 : वैयक्तिक कार्य प्रतिवेदन (1)
नोट: कार्यकर्ता को 2 प्रमुख समस्या. ग्रस्त. व्य.क्तियों का चयन कर पांच-पांच अनुकूलन दौरा के माध्य म से कार्य प्रक्रिया को पूर्ण करना है ।
दिन एवं दिनांक आगमन समय निगमन समय
क्षेत्र कार्य क्रमांक संस्थारन का नाम एवं स्थाकन कार्य दिवस
कार्यकर्ता का नाम हस्ताकक्षर
प्रथम- अनुकूलन दौरा (सेवार्थी / संस्था की सामान्यर जानकारी एवं संबंध स्था पन )
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