प्रबंधन संचालन तथा नेतृत्व (Management Operations and Leadership)
प्रबंधन संचालन तथा नेतृत्व (Management Operations and Leadership)
कोई भी एन० जी० ओ० अच्छी तरह कार्य कर सकती है यदि उसका प्रबंधन मजबूत हो एवं नेतृत्व सुदृढ हो। मसलन दवा कंपनियों द्वारा एड्स और हृदय रोग जैसी बीमारियों के लिये अच्छा पैसा और प्रचार लगा रही है फिर भी जनता में ये डर है कि क्या यह वास्तविक है या सिर्फ ये कंपनियां पैसा बना रही है। किन्तु यदि कोई एन० जी० ओ० आगे बढ़ कर समाज में जरूरत मन्दो को उस दवा का वितरण उसकी महत्ता बताते हुए और उसकी महत्ता बताते हुए सही तरीके से करती है तो लोग उस पर विश्वास करने को बाध्य हो सकते है। इसके लिये एन० जी० ओ० को सही प्रबंधन और सही नेतृत्व की जरूरत होती हैं जो जानता तक बात को प्रभावशाली तरीके से और व्यवस्थित तरीके से पहुँचा सकें और अपने उद्देश्य में सफल हो सके। कोई प्रबंधक अपना कार्य अच्छे से कर सकता है मगर नेता वो है जो उसे वो काम करने को कहे और करवा सके। किसी भी एन० जी० ओ० को नेता की भी उतनी ही आवश्यकता है जितनी प्रबंधक की। अतः इन दोनों के संयुक्त रूप से और सही तालमेल के बिना कोई एन0 जी० ओ० अच्छे से कार्य नहीं कर सकती। कोई भी नेता अचानक नहीं बन जाता, बल्कि यो सतत धीरे-धीरे बनता है अपने कार्य, लगन, लोगों में उठने बैठने, उनकी समस्या सुनने व सुलझाने के प्रयास से, जिससे वो अपने उद्देश्य की पूर्ती करता है।
किसी भी नेता को कई तरीकों से परिभाषित कर सकते हैं -
दूसरों को अपने रास्ते पे चला सकने वाला
दूसरों से वो काम करवा सकने वाला जो वो करना चाहता हो,
दूसरों से कार्य करवाने की क्षमता रखने वाला बिना जोर जबरदस्ती के बल्कि उनकी इच्छा से
किसी ऐसे निशान को दिशा देना औऱ पूरा करवाना तथा करना जो सही हो और दूसरों को भी सही लगे
जब सबसे अच्छे नेतृत्व में कोई कार्य पूरा होता है तो उसे करने वाले लोग कहते है हमने इसे स्वयं किया नेतृत्व करने वाले इंसान में सच्चाई और आचार नीति का होना जरूरी है वर्ना वो एक लंबी पारी नहीं खेल सकेगा। महात्मा गांधी और अब्राहम लिंकन यू ही अच्छे नेता नहीं थे, उन्होंने एक बहुत कठिन और सादगी पूर्ण जीवन जीते हुए, विलासिता को भोगते हुए कार्य किये जिससे जनता उनके पदचिन्हों पर चली एन० जी० ओ० को भी ऐसे नेतृत्व की जरूरत होती है तभी लोग उनके साथ जुड़ेंगे। अच्छे नीतिशास्त्र तथा नैतिकता का होना आवश्यक है।
मान लें कि कोई एन० जी० ओ० बहुत अच्छे उद्देश्य मसलन शिक्षा के प्रचार के लिये उतरती है। काम करना शुरू करती है मगर उसे अनुदान की समस्या आती है। फिर किसी तरह अपने मित्रों और पड़ोसियों से वो पैसे इकट्ठा करती है किन्तु उसे व्यवस्थित नहीं कर पाती क्योंकि उसके पास सही लोग और तरीके नहीं है। यहाँ पर उसे प्रबंधन की जरूरत हुई। उसने प्रबंधक रखा जो कार्य को सुचारू रूप से चला सके और अधिक अनुदान जमा कर सके। इतना करने पर भी उसका काम अच्छे से नहीं चला क्योंकि प्रबंधक अपनी टीम से काम करवा पाने की क्षमता नहीं रखता था। फिर उसे जरूरत हुई एक नेता की जो लोगों को जागरूक कर सके। एन० जी० ओ० को चलाने वाला खुद नेतृत्व के लिये आगे आया और उसने लोगों को समझाना और महत्व बताना शुरू किया और काम करवाने में लगा इससे उसके सिर्फ काम करने की जगह 90 और लोग उसका काम करने लगे। बीच में यदि उसे पैसा खा जाने का लालच आता तो वो वास्तव में काम नहीं कर पाता - Funds जमा करके घर ले जाता इससे उसका काम तो चल जाता पर सही नाम ना होता और अगली बार उन लोगों से वो अनुदान नहीं ले सकता था जिनके पैसे वो खा गया अतः उसका नीतिशास्त्र / आचारनीति और उच्च नैतिक मूल्य वाला होने की वजह से लोगों ने उसके काम को सराहा एवं उसकी मद को बड़ी संस्थायें आगे आयीं। इस तरह प्रबंधन और नेतृत्व दोनों की किसी भी संगठन को चलाने में आवश्यकता है।
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