व्यावसायिक संरचना पर प्रभाव - Impact on Business Structure
व्यावसायिक संरचना पर प्रभाव - Impact on Business Structure
हालांकि विभिन्न क्षेत्रों में उदारीकरण के प्रभाव को परखने का प्रयास किया जा रहा है तथापि यह अवश्य कहा जा सकता है कि कुछ हद तक इनमें सुधार हुआ है। भारत की जनगणना 1991 और 2001 द्वारा संगृहीत आकड़ों और NSSO के अनेक चक्रों, प्रमुख रूप से 1993-94 और 2000 के चक्रों के आधार पर हम कार्यबल व व्यावसायिक संरचना पर प्रभाव को विश्लेषित कर सकते हैं.
कार्य सहभागिता दर
कार्य सहभागिता दर से आशय कुल जनसंख्या की तुलना में कुल कार्यरत कर्मचारियों (दीर्घ व अल्पकालिक) की प्रतिशत हिस्सेदारी से लगाया जाता है। यह कुल जनसंख्या में कार्यरत जनसंख्या (महिला व पुरुष का प्रतिशत होता है।
प्रमुख कार्यकर्ताओं की कार्य सहभागिता दर प्रतिशत में
NFHS ने भारत के शहरी क्षेत्रों के लिए कुछ आकड़ों को प्रस्तुत किया जिसके अनुसार 1992-93 से 1998-99 के दौरान कार्य सहभागिता दर में कमी आई है। सबसे ज्यादा कमी 45 वर्ष से अधिक आयु समूह की जनसंख्या में आई है और 20-59 वर्ष के आयु समूह के लिए यह दर सामान्य रही। इसके अलावा बड़े शहरों अथवा राजधानियों आदि में भी इस दर में कमी दर्ज की गई है और यह 57 प्रतिशत से कम होकर 55 प्रतिशत हो गई। वहीं छोटे शहरों में यह 53 प्रतिशत से बढ़ाकर 55 प्रतिशत और कस्बों में 54 प्रतिशत से बढ़कर 55 प्रतिशत हो गई है।
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