सामाजिक विकास - Social Development
सामाजिक विकास - Social Development
सामाजिक विकास की अवधारण तब अस्तित्व में आई जब तथाकथित तीसरी दुनिया के देशों द्वारा स्वयं के आर्थिक विकास को लेकर संजीदगी अपनाई गई। विकासशील देशों की समस्याओं के लिए चिंतित बुद्धिजीवी वर्ग और संयुक्त राष्ट्र जैसी एजेंसियों का ऐसा मानना है कि आर्थिक विकास मात्र आर्थिक पक्ष से ही संबंधित नहीं होता है बरन इसकी संपूर्णता के लिए सामाजिक्सांस्कृतिक और राजनैतिक पक्षों को भी सम्मिलित करना आवश्यक है। आर्थिक विकास के वांछित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु इन पक्षों की अनदेखी नहीं की जा सकती है। पर्याप्त रूप से आधुनिक न होने के कारण इन विकासशील देशों के विकास में नाना प्रकार के अवरोध उत्पन्न होते रहते हैं। पर्याप्त सामाजिक विकास के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि उचित नीतियों और योजनाओं को कार्यान्वित किया जाए। सामाजिक विकास की संकल्पना में आर्थिक विकास के तत्व भी सम्मिलित हैं। सामाजिक विकास में राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पक्षों से उन्मुखी विकास को महत्व दिया जाता है। यदि इसे और भी स्पष्ट किया जाए तो सामाजिक विकास में नियोजन केवल सामाजिक सेवाओं के नियोजन तक ही सीमित नहीं है, अपितु यह आर्थिक विकास के नियोजन से भी संबंधित है। सामाजिक और कल्याणकारी क्षेत्रों के इतर भी अनेक ऐसे क्षेत्र है जहां सामाजिक विकास की प्रारंभिकता है, यथा- औद्योगिक अवस्थिति और पर्यावरण प्रदूषण से जुड़ी नीतियाँ जनसंख्या आय वृद्धि नगरीकरण, भूमि सुधार से संबंधित नीतियाँ आय वृद्धि आय वितरण प्रशासन द्वारा नियोजित कार्यक्रम और नीतियाँ तथा उनमें जनता की हिस्सेदारी आदि।
यह एक समग्र प्रक्रिया है जो अपने अंदर एक निश्चित समाज की संपूर्ण इसे एक उदाहरण के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है. एक आदिम जन... संख् और उनसे संबंधित संस्कृति परम्पराएँ रीति-रिवाज एक आधुनिक समाज से सर्वथा भिन्न होंगे। मुख्यतः जनजातीय समाज कुल, परिवार और रक्त संबंधों पर आधारित होता है, जबकि आधुनिक समाजों का गठन कहीं अधिक उलझा, जटिल और विस्तृत है। तत्कालीन आधुनिक और उत्तर आधुनिक समाजों में विकास को शिक्षा के प्रसार से उत्पन्न जागरूकता और धर्म, जाति, भाषा, क्षेत्र के शिथिल पड़ते बंधनों महिलाओं, अल्पसंख्यकों और विभिन्न अन्य हाशिए के समूहों की स्थिति में आए बदलाव और सामाजिक स्तरीकरण में उनकी उत्तरोत्तर प्रगति और इसके अतिरिक्त समाज में निर्माणाधीन नवीन संरचनाओं व संस्थाओं के रूप मेरिलक्षित किया जा सकता है।
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