लोक अदालत - Public Court
लोक अदालत - Public Court
लोक अदालत ऐसा मंच है जहाँ विवादों/अदालत में लंबित मामलों या दायर गए जाने से पहले ही बादों का सदभावनापूर्ण ढंग से निपटारा किया जाता है। लोक अदालतों को कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत कानूनी दर्जा दिया जाता है इस अधिनियम के तहत लोक अदालत द्वारा किए गए निर्णय को वही मान्यता प्राप्त है, जो किसी दीवानी कोर्ट के फैसले का होता है, वह अंतिम और सभी पक्षों पर बाध्यकारी होता है और उसके विरुद्ध कोई अपील नहीं की जा सकती। लोक अदालतें, कानूनी सेवा प्राधिकरण समितियों द्वारा सामान्य तरीके से अर्थात कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम की धारा 19 के तहत आयोजित की जाती हैं। इनमें निम्नलिखित प्रकार के मामले आते हैं जैसे वैवाहिक पारिवारिक मामले, आपराधिक मामले जो बढ़ सकते हैं भूमि अधिग्रहण संबंधीमामले, श्रम विवाद, कामगारों को मुआवजा बैंक वसूली मामले पेंशन संबंधी मामले आचास बोर्ड और मलिन बस्ती निपटान मामले और गृह ऋण मामले उपभोक्ता शिकायत मामले, बिजली संबंधी मामले टेलीफोन बिल के मामले, गृह कर सहित नगरपालिका संबंधी मामले और सेलुलर कंपनियों के साथ विवाद के मामले
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