महिलाओं से संबंधित सामाजिक विधान - social legislation relating to women

महिलाओं से संबंधित सामाजिक विधान


समाज में ऐसे कई अक्षम तबके होते हैं, जिन्हें सहायता की आवश्यकता होती है। सामाजिक विधान उनके सामान्य हितों को प्रोत्साहित करने वाले विधान या कानून होता है। ऐसे कानून में उनकी सुरक्षा बीमा तथा कल्याण शामिल होता है। जैसे कि हम जानते हैं, ऐसे कई कानूनी प्रावधान हैं, जिसके अंतर्गत अक्षम तबके, महिला, बालक, बालिका, वृद्ध, विशेष योग्यता वाले आदिवासी आदि को सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा प्रदान की जाती हैं। इसके बावजूद बेरोज़ार, गरीब तथा अशिक्षित लोगों की सहायता के लिए भी कई सारे प्रावधान हैं।

भारतीय सामाजिक ढाँचे में स्त्री और पुरुष की भूमिका अलग अलग रूप में निर्धारित की जाती है। वैश्विक स्तर पर लगभग सभी समाजों में महिलाओं का स्तर पुरुषों की अपेक्षाकृत निम्न है। समाजशैक्षिक योग्यता, समान पद के बावजूद विवाह के समय दिया जाने वाला दहेज समाज में महिलाओं की स्थित स्वयं उजागर करता है। इसके बावजूद जन्म से मृत्यु तक समाज में महिलाओं कजिन उत्पीड़नों के बीच से गुजरना पड़ता है वे अलग ही है। जन्म से पहले ही लिंग भेद के कारण गर्भ में ही कित्मी ही बालिकाओं को मारदिया जाता है। समाजीकरण की प्रक्रिया में जन्म के बाद लड़कों के साथ जेंडर भेद का वह शिकार हो जाती है। बालिकाओं का लैंगिक शोषण बलात्कार, उत्पीड़न काम के जगह पर उत्पीडन, यह सब आम बात हो गई है। इन सबसे बचे तो घरेलु हिंसा का शिकार होना ही है जिसमें मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न शामिल हैं। इसलिए माना जाता है कि इस दुनियामें महिलाओं के लिए कोई जगह सुरक्षित नहीं है। ऐसे में संविधान द्वारा उनकी सुरक्षा तथा समानता स्थापना के लिए पहल को देखा जाता है। सामाजिक विधान के अंतर्गत उनके साविधिक अधिकारों की बात की जाती है। भारत में संविधान निर्माण के साथ ही महिलाओं के विधिक अधिकारों की बात की जाती है। महिलाओं के स्थिति को बेहतर बनाने के लिए विविध कानून बनाकर उन्हें सुरक्षा प्रदान की गई। आज भी लगातार विभिन्न नीतियों के अंतर्गत महिलाओं की बेहतरी लिए कार्य किया जाता है। हालांकि इसके क्रियान्वयन तथा महिलाओं में जागरूकता की कमी के कारण आज भी महिलाएं काफ़ी समस्याओं से जूझ रही हैं।

सामाजिक विधान के अंतर्गत ऐसे कई सारे कार्यक्रमों को संचालित किया जाता है जिससे महिलाओं और बालक/बालिकाओं को सामाजिक सुरक्षा चिकित्सा लाभ, बेरोजगार भत्ता, क्षतिपूर्ति आदि प्रदान किया जाता है। साथ ही समय-समय पर विभिन्न लाभों को शामिल कर इनके लिए जीवन-यापन के संसाधनों को उपलब्ध कराने में मदद प्रदान की जाती है जिससे उनका जीवन बेहतर बन सके। इस इकाई में हम महिला एवं बालकबालिका कल्याण हेतु संचालित सामाजिक विधानों को भारतीय संदर्भ में समझेंगे।