राष्ट्रवाद का निर्माण करने वाले तत्व - Elements of Nationalism
राष्ट्रवाद का निर्माण करने वाले तत्व - Elements of Nationalism
राष्ट्रबाद एक प्रकार की भावनात्मक चेतना है जो कई कारकों से मिलकर बनती है। इसके मुख्य तत्व
निम्न प्रस्तुत हैं।
भौगोलिक एकता
राष्ट्रवादी भावना के निर्णायक तत्वों में से भौगोलिक एकता का सरोकार काफी महत्वपूर्ण है। एक क्षेत्र विशेष में निवास करने के कारण जनसमूह की संस्कृति में एकरूपता का समावेश होता है और साथ ही साथ उनकी संवेदनाएँ भी एक दूसरे के प्रति जागृत होती हैं। पशुओं की ही भांति मनुष्यों में भी अपने आवास स्थान के प्रति स्नेह की भावना पाई जाती है। साहित्यिक शब्दावली में कई ऐसे शब्द मिलते हैं जो राष्ट्रवाद के प्रति प्रेम की भावना को मुखर करते हैं यथा- जन्मभूमि मातृभूमि पितृभूमि गृहदेश, स्वदेश आदि।
जातीय एकता
जातीय एकता भी राष्ट्रीय एकता को करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि एक जनसमूह किसी एक ही जाति अथवा नस्ल का हो तो स्वाभाविक है कि उसमें एक दूसरे के प्रति सहयोग प्रेम की भावना अधिक होगी। हालांकि कुछ विद्वान इस बात पर भी जोर देते हैं कि केवल जाति हो राष्ट्रवाद का निर्माण नहीं कर सकती। हमारे पास कई उदाहरण है जहां जाति की संकल्पना नहीं है परंतु फिर भी वहाँ राष्ट्रवाद की भावना है। हालांकि जाति जैसे महत्वपूर्ण तत्व को यूं ही नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हम यह जानते हैं कि हिटलर के शासन काल में जातिवाद ने ही इतने बड़े पैमाने पर नरसंहार कराया था और इसके पीछे राष्ट्रवाद की प्रबल भावना थी।
भाषात्मक एकता
जेम्योर का मानना है कि राष्ट्र के निर्माण में जाति की अपेक्षाकृत भाषा अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सामान्य भाषा से आशय सामान्य साहित्य, वैचारिक सामान्यता, गीतों और लोककथाओं की सामान्यता से है जो राष्ट्रबाद की भावना के सृजन में महत्वपूर्ण शक्ति है। सामान्य भाषा होने की निम्नलिखित उपयोगिताएं होती है
1. वह जनसमूह में राष्ट्रीय समैक्य की भावना को उत्पन्न करती है और साथ ही साथ उसे प्रबल बनाने में योगदान देती है।
2. यह सामान्य ऐतिहासिक परंपराओं को जीवत रखती है।
3. इसके कारण व्यक्ति द्वारा एक से विचारों और भावों की अभिव्यक्ति की जा सकती है।
4. एक भाषा के होने से आचार-विचार, व्यवहार साहित्य और न्याय के सामान्य मानकों को निर्धारित किया जाता है।
धार्मिक एकता
राष्ट्र-राज्य के विकास से के बाद स्पष्ट है कि उसके निर्माण में धर्म का कितना अहम योगदान है। प्रारंभिक समय में सभी मूल्य नियम, रीति-रिवाजों के आधार पर ही शासन जावस्था संचालित होती थी और इन मूल्यों और नियमों को धार्मिक संहिताओं के माध्यम से बनाया जाता था। हालांकि धर्म का राष्ट्र राज्य के निर्धारण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है परंतु आज के विचार प्राचीन काल की तरह स्थायी और दृढ नहीं रहे। आज राज्य के अंदर निवासरत सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त है और राज्य धर्म के आधार पर नागरिकों के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार नहीं करता है।
सांस्कृतिक एकता
सांस्कृतिक एकता सामान्य संस्कृति अथवा विचारों व आदर्शों की सामान्यता से पनपती है। सामान्य संस्कृति का आशय समान विचार, रीति-रिवाज, परंपराएँ, एक जैसा इतिहास, साहित्य और जीवन दर्शन आदि से है। यदि लोगों के दृष्टिकोण और जीवन दर्शन में काफी अंतर हो तो उनके मध्य राष्ट्रवाद की भावना का संचार करना दुष्कर होगा। कठोर और विदेशी शासन के प्रति सामान्य चेतना
इस तत्व को उदाहरण से आसानी से समझा जा सकता है। भारत में लगभग 150 वर्षों तक ब्रिटिश शासन रहा। इसने भारतीयों में राष्ट्रवाद के पुट को अंकुरित किया। उसी प्रकार हिटलर के शासन में अर्मन और मुसोलिनी के शासन में इटालियन राष्ट्रवाद की भावना का उभर हुआ। कभी-कभी दमन के फलस्वरूप भी राष्ट्रवाद की भावना प्रवल होती है, यथा नेपालियन की दमनकारी नौति ने स्पेन में राष्ट्रवाद की भावना को जन्म दिया।
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