नवजागरण और धर्म सुधार आंदोलन - Renaissance and Reformation Movement
नवजागरण और धर्म सुधार आंदोलन - Renaissance and Reformation Movement
इन दोनों आदोलनों ने चर्च की सत्ता का पुरजोर विरोध किया और उसकी सत्ता को नष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यद्यपि इन आंदोलनों के फलस्वरूप कई प्रकार के संघर्ष (कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट के विवाद) और हिसाएँ हुई तथापि इन आंदोलनों में आधुनिक राष्ट्रराज्य के मार्ग को निर्मित किया। अमेरिका और फ्रांस की क्रांतियाँ
18वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक आते-आते शासकों और शासितों के मध्य असंतोष की बड़ी सी खाई बन चुकी थी और अब शासक राष्ट्रीय आदर्श भावनाओं और आकांक्षाओं के प्रतीक नहीं रह चुके थे। इसी काल में अमेरिका और फ्रांस की क्रांति ने और नेपोलियन के युद्धों ने राष्ट्रवाद की भावना के अभ्युदय को दिशा प्रदान की।
आधुनिक राष्ट्रवाद
20वीं शताब्दी में कई राज्यों ने राष्ट्रवाद की भावना के परिणामस्वरूप स्वतंत्रता हासिल कर ली। रूस की क्रांति, जर्मनी में नाजीवाद, इटली में फासीवाद राष्ट्रवाद की ही अभिव्यक्ति है। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना भी राष्ट्रवाद का ही एक उदाहरण है। भारत में राष्ट्रवाद के उदय हेतु सामाजिक-धार्मिक आंदोलन जिम्मेदार है, जिसमें प्रार्थना समाज, वेद समाज, आर्य समाज, रामकृष्ण मिशन, सत्यशोधक समाज थियोसोफिकल सोसाइटी श्री नारायण गुरु धर्म परिपालन सभा, अहमदिया और अलीगढ़ आंदोलन सिंह सभा आदि महत्वपूर्ण हैं।
इस इकाई में राष्ट्र राज्य की संकल्पना व उसके मूलतत्व के बारे में वर्णन किया गया और इसके उद्भव और विकास के चरणों को प्रस्तुत किया गया। इसके अलावा राष्ट्रवाद की संकल्पना उसके निर्धारक तत्व और उसके विकास के दौर को रेखांकित किया गया है।
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