भारत में दूरस्थ शिक्षा का विकास - Development of Distance Education in India
भारत में दूरस्थ शिक्षा का विकास - Development of Distance Education in India
भारत में दूरस्थ शिक्षा प्रणाली का आविर्भाव 1962 में पत्राचार शिक्षा कार्यक्रम के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रारम्भ हुआ। जिसके अंतर्गत रेडियो का शैक्षिक उपयोग शुरू हो गया था। माध्यमिक स्तर पर 1965 में पत्राचार शिक्षा के रूप में दूरस्थ शिक्षा प्रणाली का जन्म हुआ। दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा प्रारम्भ किए गए पत्राचार कार्यक्रम की सफलता ने देश के शिक्षाशास्त्रियों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया। 1964 में बनाए गये कोठारी आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में इसकी आवश्यकता पर प्रकाश डाला। दिल्ली विश्वविद्यालय में चलाये जा रहे पाठ्यक्रम की सफलता को देखते हुए भारत में प्रथम मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना 1982 में आंध्रप्रदेश में की गयी। इससे पहले 1970 से 1980 के बीच अनेकों विश्वविद्यालयों में पत्राचार शिक्षा के लिए अलग से संस्थान व निदेशालय प्रारम्भ किये गये जिससे दूरस्थ शिक्षा की लोकप्रियता का विकास हुआ।
इन संस्थानों की सफलता के बाद विभिन्न राज्यों में मुक्त विश्वविद्यालयों के स्थापना की मांग बढ़ने लगी और विद्वानों ने यह अनुभव किया कि दूरस्थ शिक्षा का विकास करने से हमारे देश में कुशल कर्मियों की संख्या में वृद्धि होगी। इन सभी प्रकार की विचारों के उत्पन्न होने के कारण 1985 में भारत सरकार ने इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय स्थापित किया। इस विश्वविद्यालय का मुख्य उद्देश्य मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा प्रणाली का विकास करने हेतु प्रतिमान स्थापित करना एवं अधिक से अधिक व्यक्तियों को सस्ती उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए सुविधा जनक अवसर उपलब्ध कराना क्योंकि उस समय अनेकों लोग विभिन्न कारणों से उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते थे। अतः ऐसे सभी व्यक्तियों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए इस विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। इस विश्वविद्यालय को दिये गये कार्यों तथा अधिकारों में मुक्त विश्वविद्यालयों की स्थापना व विकास करने में मार्गदर्शन करने, दूरस्थ शिक्षा प्रणाली का उन्नयन समन्वय करने, अन्य मुक्त विश्वविद्यालयों तथा शिक्षा संस्थाओं को सहायता प्रदान करने जैसे अत्यधिक महत्व के उत्तरदायित्व भी सम्मिलित हैं।
इस समय 150 से अधिक परम्परागत विश्वविद्यालयों में पत्राचार (दूरस्थ) द्वारा शिक्षा प्रदान कर रहें हैं एवं लगभग पंद्रह मुक्त विश्वविद्यालय भारत में शिक्षार्थियों को अधिगम तथा मुक्त शिक्षा प्रदान कर रहें हैं। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय (NOS) जिसे अब राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान (NIOS) कहते हैं, के द्वारा माध्यमिक स्तर पर मुक्त शिक्षा प्रदान की जा रही है। राष्ट्रीय स्तर पर उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में राज्य स्तरीय मुक्त विद्यालय संस्थान (SIOS) स्थापित करके इनके माध्यम से दूरस्थ प्रणाली के द्वारा माध्यमिक शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने की योजना है। भारत का प्रथम मुक्त विश्वविद्यालय आन्ध्रप्रदेश में 1982 में स्थापित हुआ। सन् 1985 में इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय दिल्ली में स्थापित हुआ। इसके पश्चात राजस्थान में कोटा मुक्त विश्वविद्यालय (1987), बिहार में नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय (1987), यशवंतराव चव्हाण मुक्त विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र (1989), भोज मुक्त विश्वविद्यालय, मध्यप्रदेश (1991), गुजरात में डा. अम्बेडकर मुक्तविश्वविद्यालय (1994) इत्यादि अनेकों मुक्त विश्वविद्यालय स्थापित किए गये। वर्तमान में अनौपचारिक शिक्षा प्रौढ़ शिक्षा तकनीकि शिक्षा, प्रबंधन शिक्षा इत्यादि क्षेत्रों में भी रेडियों, दूरदर्शन, इन्टरनेट तथा ई-मेल आदि प्रविधियों का उपयोग सफलतापूर्वक किया जा रहा है।
राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालयों का उद्देश्य शिक्षा प्रदान करने के साथ ही साथ दूरस्थ शिक्षा संस्थानों को सहायता पहुंचाना भी है। भारत में दूरस्थ शिक्षा के विकास के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर एक संवैधानिक संस्था के रूप में दूरस्थ शिक्षा परिषद (DEC) का गठन 1992 में किया गया। इस परिषद में इग्नू, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, यू.जी.सी., राज्य के परम्परागत एवं मुक्तविश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि, पत्राचार एवं दूरस्थ शिक्षा संस्थानों के प्रतिनिधि आदि सदस्य होते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ शिक्षा शास्त्री भी परिषद के सदस्य होते हैं।
इस परिषद का प्रमुख कार्य राज्य मुक्तविश्वविद्यालयों के लिए दिशा निर्देश तैयार करना है। दूरस्थ शिक्षा हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम को तैयार करना एवं प्रशिक्षण प्रदान करना भी इसका उद्देश्य है और राष्ट्रीय एवं राजकीय मुक्तविश्वविद्यालयों एवं दूरस्थ शिक्षा संस्थानों की उन्नति हेतु आर्थिक सहायता प्रदान करना भी परिषद का मुख्य उद्देश्य है। इस समय DEC का नाम बदल कर DEB कर दिया गया है।
दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो के लक्ष्य दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो के लक्ष्य निम्नलिखित हैं -
1 देश के सभी राज्य एवं केंद्रीय विश्वविद्यालयों को मुक्तविश्वविद्यालय एवं दूरस्थ शिक्षा संस्थान खोलने के लिए प्रेरित करना।
2 देश के सभी मुक्तविश्वविद्यालयों एवं दूरस्थ शिक्षा संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
3 दूरस्थ शिक्षा से संबन्धित सभी प्रकार के मानकों, विधियों एवं निर्देशों को निर्धारित करना।
4 शिक्षण संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में गुणात्मक वृद्धि के लिए मानक निर्धारित कर उसका क्रियान्वयन करना।
5 शिक्षण संस्थानों में तकनीकि विधियों का शिक्षा में प्रयोग हेतु प्रश्रय प्रदान करना।
6 स्व अधिगम सामाग्री एवं बहु माध्यम शिक्षण सामाग्री का निर्माण व विकास करने के लिए दिशा प्रदान करना।
7 मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा में नवाचार व अनुसंधान को प्रेरित करना इत्यादि।
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