उद्यम पूंजी - venture capital
उद्यम पूंजी - venture capital
उद्यम पूंजी' इन लघु और मध्यम आकार के फार्मों के लिए महत्वपूर्ण वित्त पोषण के स्रोत हैं, जिनके पास
निधियां जुटाने के बहुत ही कम मार्ग हैं। यद्यपि ऐसे व्यापार फार्मों के पास भविष्य में लाभ अर्जन की अपार क्षमता होती है और अपने आप को बड़े उद्यम के रूप में स्थापित करने की क्षमता होती है परन्तु आम निवेशक इस प्रकार के निवेशों में जोखिम शामिल होने के कारण उनमें अपनी निधियां निवेश करना नहीं चाहते हैं। ऐसे उद्यमी क्षमता और व्यापार कौशल को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए उद्यम पूंजी की अभिकल्पना उभर कर सामने आयी। एक तरह से उद्यम पूंजी की वचनबद्धता है, या शेयर धारिता है जो उनके जीवन के आरम्भिक अवस्था में लघु उद्यमों के गठन और स्थापना के लिए है।
उद्यमी पूंजीपति विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों से आते हैं। वे परियोजना की सावधानी पूर्वक जांच करने के बाद इन फार्मों के लिए निधियां (जो उद्यम पूंजी निधि के रूप में जाना जाता है) प्रदान करते हैं। उनका मुख्य लक्ष्य अपने
निवेशों पर अधिक प्रतिफल प्राप्त करना है परंतु उनकी अभिकल्पनाएं पारम्परिक उधारदाताओं से बिल्कुल भिन्न होते हैं। वे अच्छी तरह से जानते हैं परन्तु अधिक प्रतिफल के कारण दूसरे से उनकी हानि की प्रतिपूर्ति हो सकती है। वे कंपनी के प्रबंधन में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं तथा विशेषज्ञता की सेवा और अच्छे बैंकर, प्रौद्योगिकियों, योजनाकर्ता एवं प्रबंधक की अच्छी गुणवत्तापूर्ण सेवा देते हैं। इस प्रकार से उद्यम पूंजीपति और उद्यमी साक्षरश: साझेदार के रूप में कार्य करते हैं।
उद्यम पूंजी विभिन्न अवस्थाओं के वित्त पोषण को मान्यता देता है:
आरम्भिक अवस्था का वित्तपोषण यह प्रथम अवस्था का वित्त पोषण है जब फार्म उत्पादन
शुरू करता है और अपने उत्पाद को बेचने के लिए इसे अतिरिक्त निधि की आवश्यकता होती है। इनमें
बीज / उद्यमी की अभिकल्पना, विचारों की सहायता करने के लिए आरंभिक वित्तीय सहायता निहित है।
पूंजी उत्पाद विकास, अनुसंधान और विकास और आरंभिक विपणन के लिए दी जाती है।. विस्तार के लिए वित्त पोषण यह कार्यशील पूंजी और व्यापार विस्तार के लिए द्वितीय अवस्था
का वित्त पोषण है। इसमें सार्वजनिक निर्गम सुकर बनाने के लिए विकास वित्त पोषण शामिल है। अधिप्राप्ति / खरीद वित्त पोषण इस बाद की अवस्था में निम्नलिखित शामिल होते हैं:
i. और अधिक वृद्धि के लिए दूसरे फर्म को प्राप्त करने के निमित्त अधिग्रहण वित्त पोषण
ii. प्रबंधन खरीद वित्त पोषण ताकि कार्यचालन समूहों निवेशकों को मौजूदा उत्पाद या व्यापार अधिग्रहण करने में समर्थ बनाया जा सके।
iii. रुग्ण उद्यमों को पुनर्जीवित और पुनः बहाल करने के लिए संपूर्ण कायाकल्प वित्त पोषणा भारत में उद्यम पूंजी निधि (वीसीएफ) को निम्नलिखित समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
वे जिनका संवर्धन केंद्रीय सरकार नियंत्रित विकास वित्तपोषण संस्थाओं द्वारा किया जाता है, उदाहरण के लिए
आईसीआईसीआई वेंचर फंड्स लि.
आईएफसीआई वेंचर पूंजी फंड्स लिमिटेड (आईवीसीएफ)
एसआईडीबीआई वेंचर पूंजी लिमिटेड (एसवीसीएल)
जिनका संवर्धन राज्य सरकार नियंत्रित विकास वित्तपोषण संस्थाओं द्वारा किया जाता है, उदाहरण के लिए:
. गुजरात वेंचर फायनेंस लिमिटेड (जीवीएफएल)
केरल वेंचर कैपीटल फंड प्रा.लि.
पंजाब इनफोटिक वेंचर फंड हैदराबाद इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी वेंचर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एचआईटीवीईएल)
जिनका संवर्धन सार्वजनिक बैंकों द्वारा किया जाता है, उदाहरण के लिए:
• कैनबैंक वेंचर कैपीटल मार्केट्स लिमिटेड एसबीआई कैपीटल मार्केट्स लिमिटेड
आईएल एंड एफ एस ट्रस्ट कंपनी लिमिटेड इनफिनिटी वेंचर इंडिया फंड
जिनकी स्थापना विदेशी उद्यम पूंजी निधि के रूप में की गई है, उदाहरण के लिए:
वाल्डेन इंटरनेशनल इन्वेस्टमेंट ग्रुप
वाल्डेन इंटरनेशनल इन्वेस्टमेंट ग्रुप
सी एफ इंडिया इन्वेस्टमेंट एंड ग्रोथ फंड
बी टी एस इंडिया प्राइवेट इक्विटी फंड लिमिटेड
ये सभी उद्यम पूंजी निधियां भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा अभिशासित होते हैं। सेबी देशीय और विदेशी दोनों प्रकार की उद्यम पूंजी निधियों के पंजीकरण और विनियमन हेतु नोडल एजेंसी हैं। तद्रुसार इसने निम्नलिखित विनियमन बनाए हैं अर्थात, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (उद्यम पूंजी निधि) विनियमन 1996 और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (विदेशी उद्यम पूंजी निवेशक) विनियमन 2000 ये विनियमन भारत में और इसके बाहर दोनों में उद्यम पूंजी निधियों की स्थापना के लिए व्यापक दिशानिर्देश और प्रक्रियाएं मुहैया कराते हैं, उनका प्रबंधन मूल संरचना और संरचना तथा फंड के आकार और निवेश मानदंड प्रदान करते हैं।
वार्तालाप में शामिल हों