राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी - Hindi as National Language

राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी - Hindi as National Language

राष्ट्रभाषा उसे कहते हैं जो सम्पूर्ण राष्ट्र में सामान्य तौर पर बोली और समझी जाती है। राष्ट्र के अधिक से अधिक लोग उसी भाषा के माध्यम से अभिव्यक्ति करते हैं। कहना सही होगा कि राष्ट्रभाषा में राष्ट्र की आत्मा बोलती है। समूचे राष्ट्र की जनता की सोच, संस्कृति, विश्वास, धर्म और समाजसम्बन्धी धारणाएँ जीवन के विविधापूर्ण व्यावहारिक पहलू आध्यात्मिक प्रवृत्तियों, निजी और सामूहिक सुखदुःख के भाव, लोकनीति सम्बन्धी विविध विचार और दृष्टिकोण राष्ट्रभाषा के माध्यम से ही साकार होते हैं। भारत जैसे बहुभाषी राष्ट्र में प्रयुक्त सभी भाषाएँ राष्ट्रभाषा हैं किन्तु जब राष्ट्र की जनता स्थानीय और तात्कालिक हितों और पूर्वाग्रहों से ऊपर उठकर अपने राष्ट्र की कई भाषाओं में से किसी एक भाषा को विशेष प्रयोजनों के लिए चुनकर उसे राष्ट्रीय अस्मिता एवं गौरव गरिमा का एक आवश्यक उत्पादन समझने लगती है तो वह भाषा राष्ट्रभाषा के रूप में मान्य हो जाती है। राष्ट्रभाषा राष्ट्रीय एकता और अन्तर्प्रान्तीय संवाद- सम्पर्क की आवश्यकता की उपज होती है। इस सन्दर्भ में अमर कथाशिल्पी मुंशी प्रेमचंद का यह कथन उल्लेखनीय है "भारत की राष्ट्रीयता एक राष्ट्रभाषा पर निर्भर है और दक्षिण के हिन्दीप्रेमी राष्ट्रभाषा का प्रचार करके राष्ट्र का निर्माण कर रहे हैं। राष्ट्रभाषा का होना लाजिमी है। अगर सम्पूर्ण भारत को एक राष्ट्र बनना है तो उसे एक भाषा का आधार लेना पड़ेगा।"