स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान हिन्दी - Hindi during the independence movement
स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान हिन्दी - Hindi during the independence movement
धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक स्तर पर तो हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के अनेक उल्लेखनीय प्रयास बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध तक हुए ही, राजनैतिक स्तर पर इस दिशा में सर्वाधिक उल्लेखनीय योगदान मिला भारत के स्वाधीनता आन्दोलन से, जिसके सूत्रधार महात्मा गाँधी थे। भारत के राजनैतिक मंच पर गाँधी का अभ्युदय वर्ष 1916 के आसपास हुआ। इससे पहले वे हिन्दी अच्छी तरह नहीं जानते थे, कुछ-कुछ समझ सकते थे। फिर भी उन्होंने स्वाध्याय के बल पर हिन्दी का समृद्ध ज्ञान प्राप्त कर लिया। सन् 1916-17 ई. में कांग्रेस अधिवेशन,
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कलकत्ता में वे पहली बार एक राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरे और तभी से उन्होंने एक राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी को प्रतिष्ठित करना अपने समूचे स्वदेशी आन्दोलन तथा राष्ट्रीय कार्यक्रम का अभिन्न अंग बना लिया। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1916 ई. में ही उन्होंने अधिवेशन का सारा कार्य हिन्दी में चलाने का शुभारम्भ कराया। यहाँ तक कि अधिवेशन के अध्यक्ष बाल गंगाधर तिलक से भी उन्होंने हिन्दी में भाषण देने का आग्रह किया। श्रीमती एनी बेसेंट द्वारा इस पर तनिक असहमति का भाव दिखाने पर गाँधी ने स्पष्ट किया कि "कांग्रेस का करीब-करीब सारा ही काम अंग्रेजी में चलाने से राष्ट्र को बहुत नुकसान उठाना पड़ा है।"
;इसी अनुक्रम में दिसंबर 1916 में गाँधी के निर्देश पर लखनऊ में हिन्दी और देवनागरी को राष्ट्रीय दर्जा देने के सम्बन्ध में जो प्रस्ताव पास हुआ, उसके समर्थकों में श्री रामास्वामी अय्यर तथा श्री रंगस्वामी आयंगर जैसे दक्षिण भारतीय प्रतिनिधि अग्रणी रहे।
कलकत्ता से लौटने के उपरान्त कानपुर में एक सार्वजनिक सभा को सम्बोधित करते हुए लोकमान्य तिलक ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि "मैं उन लोगों में से हूँ जो चाहते हैं और जिनका विचार है कि हिन्दी ही भारत की राष्ट्रभाषा हो सकती है।"
सन् 1939 ई. में जब भारत के कई प्रदेशों में कांग्रेस की निर्वाचित सरकारों का गठन हुआ तो मद्रास के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री राजगोपालचारी ने मद्रास प्रान्त के सभी विद्यालयों में हिन्दी शिक्षण अनिवार्य कर दिया।
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उस समय महात्मा गाँधी ने अन्य राज्यों को भी इस नीति का अनुसरण करने की प्रेरणा देते हुए लिखा कि "अगर हमें अखिल भारतीय राष्ट्रीयता प्राप्त करनी है तो प्रान्तीय आवरण को भेदना ही पड़ेगा। जो लोग यह मानते हैं कि भारत एक देश है, उन्हें राजाजी का समर्थन करना ही चाहिए। *
सारांशतः स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान हिन्दी का राष्ट्रभाषा के रूप में बड़ी तेजी से विकास हुआ। स्वाधीनता आन्दोलन का प्रत्यक्ष या परोक्ष समर्थन करने वाले असंख्य नेताओं, क्रान्तिकारियों, बलिदानी वीरों, लेखकों, कवियों और पत्रकारों ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने में भरपूर योगदान किया।
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