वैयक्तिक अध्ययन में प्रयुक्त विधि - साक्षात्कार - Methods used in Social Case Work - Interviews


1. घरेलू अध्ययन और प्रेक्षण:- संस्था में साक्षात्कार की अपेक्षा या पूरक के रूप में सेवार्थी के घर पर यह अध्ययन और प्रेक्षण किया जाना सेवार्थी की स्थिति को समझने में सहायता करता है।। 

2. भिन्न शाखीय साधनों का प्रयोग:- भिन्न शाखीय साधनों का प्रयोग जिसमें सेवार्थी के बारे में सूचनायें एक अधिक साधनों और एक से अधिक स्थानों, व्यक्तियों आदि से सम्पर्क करके इक्ट्ठा की जाती है। 

3. विशेष परीक्षणः- जिसमें सेवार्थी की स्थिति समझने के लिये अन्य क्षेत्रों के विषेशज्ञों की सहायता ली जाती है। सेवार्थी की चिकित्सक एवं सामाजिक उपचारों के लिए या उसके मनोवैज्ञानिक परीक्षण आदि के लिए सम्बन्धित विशेषज्ञों की सहायता ली जाती है। 

साक्षात्कार  प्रत्येक व्यक्ति साक्षात्कार की प्रक्रिया में भाग लेता है। कभी उसका साक्षात्कार दूसरा व्यक्ति लेता है और वह स्वयं साक्षात्कार दूसरों का लेता है। कुछ व्यक्तियों का कार्य दिन प्रतिदिन साक्षात्कार देना तथा लेना है, जैसे वकील, डाॅक्टर, नर्स, संवाददाता, पुलिस, मंत्रीगण, सलाहकार, मैनेजर आदि। ये सभी व्यक्ति साक्षात्कार लेने की कला में अत्यन्त निपुण होते है।  सामाजिक वैयक्तिक कार्यकर्ता भी अपना कार्य साक्षात्कार से प्रारम्भ करता है और उपचार तक साक्षात्कार करता है। इस प्रकार वैयक्तिक सेवा कार्यकर्ता के लिये साक्षात्कार एक कला तथा विज्ञान है जिसके सिद्धान्तों से अवगत होना तथा प्रविधियों का व्यवहारिक ज्ञान परमावश्यक है।

 साक्षात्कार की परिभाषायें  साक्षात्कार व्यक्ति के पारस्परिक सम्पर्क की क्रमबद्ध प्रणाली है जिसके माध्यम से दूसरे व्यक्ति के अपरिचित तथ्यों का ज्ञान प्राप्त होता है। इसका आधार

केवल देखने पर नहीं है बल्कि निकटता के द्वारा, तथ्यपरक अनुभूति की उपलब्धि करना है।  पी0 वी0 यंग के अनुसार, “साक्षात्कार को एक क्रमबद्ध प्रणाली माना जा सकता है जिसके द्वारा एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के आन्तरिक जीवन में अधिक अथवा कम काल्पनिकता से प्रविष्ट होता है जो कि उसके लिए सामान्यतः तुलनात्मक रूप से परिचित है।”  हेडर तथा लिण्डमैन के अनुसार “साक्षात्कार के अन्तर्गत दो व्यक्तियों या अधिक व्यक्तियों के बीच संवाद अथवा मौखिक प्रत्युत्तर होते है।” इस प्रकार साक्षात्कार वह प्रक्रिया है जिसमें दो या अधिक व्यक्ति एक दूसरे के सम्पर्क में आते हैं और जिस सम्पर्क के पीछे विशिष्ट उद्देश्य निहित होता है।  समाज कार्य के अभ्यास मंे, मुख्य रूप से व्यक्तिगत समाज कार्य के अभ्यास में साक्षात्कार प्रविधि एक मौलिक निपुणता है जिसे सीखना पड़ता है। साक्षात्कार की विभिन्न व विशेष प्रविधियाँ, जिनका प्रयोग किया जा सकता है, जैसे- सूचनायें इकट्ठी करना, उपयुक्त सेवा प्रदान करना, परामर्श देते समय स्पष्टीकरण करना, सेवार्थी की संवेगात्मक पुष्टि या उसकी मनोवृत्ति या व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिये प्रेरित करना आदि।

 साक्षात्कार मुख्यतः मौलिक व्यवसायिक मनोवृत्ति जिसे स्वीकरण या स्वीकृति कहते है, पर आधारित है। इस स्वीकृति का अर्थ यह है कि दूसरे व्यक्ति (सेवार्थी) को, जैसा भी वह है, स्वीकार करना, जिस स्थिति में वह हो, भले ही वह स्थिति साक्षात्कार कर्ता के लिये सुखद या दुखद हो, अनुकूल हो या प्रतिकूल हो, चाहे जैसा भी व्यवहार हो, जैसे आक्रामकता , शत्रुता , पराश्रितता या निष्कपटता का हो। साक्षात्कार कर्ता सेवार्थी को जैसा भी वह होता है स्वीकार कर लेता है। साक्षात्कार कर्ता इस स्वीकृति का प्रदर्शन विशिष्टता, धैर्य सेवार्थी की बात सुनने की इच्छा, सेवार्थी की निन्दा न करना आदि कार्यो से करता है। किसी भी साक्षात्कार में शिथिलता और मैत्री भावना हो। साक्षातकार कर्ता का यह दृष्टिकोण सेवार्थी में स्वीकृति की भावना का विकास करता है। 

साक्षात्कार कर्ता सेवार्थी की अपनी शक्तियों की खोज करके, उन्हें दृढ़ करके, उसकी आवश्यकताओं और हीनता (कमियों) की भावनाओं को समझकर सेवार्थी का आदर करता है। सेवार्थी को अपनी समस्या की उपचार प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। साक्षात्कार के माध्यम से उसे अपने और अपनी समस्या के सामाजिक तथ्यों या सामाजिक हिस्ट्री और अपनी भावनाओं के प्रगटन में प्रोत्साहन दिया जाता है। पहले साक्षात्कार में साक्षात्कार कर्ता सेवार्थी की स्थिति का प्रारम्भिक प्रतिपादन करता है और उसका निदान करता है।  साक्षात्कार कर्ता की निपुणता इसी में है कि वह केवल ऐसे प्रश्न ही करे जो आवश्यक होते हैं और जिनके उत्तर सेवार्थी बिना किसी संकोच के दे सके। किसी भी सेवार्थी की केस-हिस्ट्री लेने और एक मैत्रीपूर्ण पर्यावरण में साक्षात्कार करके सूचनायें इकट्ठा करने मंे अन्तर होता है। एक अनुक्रियाशील/अनुक्रियात्मक पर्यावरण में साक्षात्कार के माध्यम से जो सूचनायें इक्टठा की जाती है उनमें सेवार्थी की अन्र्तभाविता अधिक उपयोगी होती है। वह अपनी बात को आसानी और सरलता से कह पाता है। प्रश्नोत्तर या ’हाँ‘ या ’ना‘ की प्रक्रिया द्वारा सूचनायें इक्ट्ठी करना सेवार्थी में यह भावना नहीं लाता। केस-हिस्ट्री का सेवार्थी द्वारा दिया जाना और कार्यकर्ता द्वारा लिया जाना सम्बन्धों के प्रभावशाली होने पर निर्भर करता है।


 केस-हिस्ट्री के माध्यम से सम्बन्ध स्थापित किया जाता है। इसलिये व्यक्तिगत समाज कार्य में साक्षात्कार एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है और एक प्रमुख उपकरण एवं प्रविधि भी है।  साक्षात्कार के माध्यम से साक्षात कर्ता सेवार्थी के व्यवहार के विभिन्न पक्षों को समझता है जैसे तनाव, विनिवर्तन लक्षण एवं दुश्चिन्ता के चिन्ह साक्षात्कार में प्रेक्षण के माध्यम से सेवार्थी की कार्यात्मकता के स्तर का ज्ञान होता है और उसमें सहायता लेने की तत्परता का ज्ञान होता है। इसी से साक्षात्कार का प्रयोग सेवार्थी के अहम् को दृढ़ करने के लिए किया जाता है। साक्षात्कारकर्ता को सेवार्थी के संवेगात्मक भावों को समझना चाहिए, सूचनाओं को देते समय सेवार्थी कब, कहाँ और कितना रूकता है इस ओर ध्यान देना चाहिए और सेवार्थी में दुख या दुश्चिन्ता की भावनाओं को समझना चाहिए। सेवार्थी की ही भाषा का प्रयोग करके साक्षात्कार को अधिक उपयोगी बनाया जा सकता है। साक्षात्कार कर्ता, साक्षात्कार की गति को नियंत्रित रखता है और उसे आगे बढ़ाता है।


 साक्षात्कार में अर्थनिरूपण स्पष्टीकरण और व्याख्या  साक्षात्कार की प्रक्रिया में अर्थनिरूपण कई प्रकार से किया जाता हैः व्याख्या देकर, स्पष्टीकरण करके, व्यवहार के प्रतिरूपों की ओर संकेत करके और सेवार्थी की प्रेरणाओं का कुछ सीमा तक अर्थनिरूपण करके, व्याख्या का अर्थ निरूपण करक,व्याख्या का अर्थ है कि साक्षात्कार कर्ता संस्था की नीतियों एवं नियमों को समझने में सहायता करता है। समुदाय के अन्य साधनों की व्याख्या की जाती है, मुख्य रूप से जब इन साधनों के प्रयोग की आवश्यकता समझी जाती है। स्पष्टीकरण का अर्थ है कि समस्या के समबन्ध में विभिन्न पक्षों का अर्थ निरूपण जैेसे चिकित्सा के क्षेत्र में समस्या का सही अर्थ निरूपण मरीज और उसके परिवार को चिकित्सक या मनोरोग विज्ञान ,मनोरोग चिकित्सक द्वारा दिया जाता है क्योंकि यह उसका प्राथमिक कार्य है। परन्तु समाज कार्यकर्ता से यह आशा की जाती है कि वह रोगी की समस्या का एक अतिरिक्त अर्थनिरूपण करे जो प्रबल हो, जिससे सेवार्थी के कार्य-जीवन या पारिवारिक जीवन के अर्थ और स्पष्ट हो सकें। परन्तु इस कार्य की सफलता इस बात पर होती है कि सेवार्थी को समस्या के विभिन्न पक्षों का पूरा ज्ञान हो और वह पर्याप्त मात्रा में समय दे जो चिकित्सक के पास नहीं होता।  सेवार्थी की समस्या में साक्षात्कार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके साथ-साथ सेवार्थी की समस्या के अध्ययन में (एवं उपचार में भी) एक कुशल साक्षात्कार कर्ता की आवश्यकता होती है। साक्षात्कार कर्ता में निम्न गुण होने आवश्यक हैंः-

 1. प्रेक्षण करने में कुशलता।

 2. सेवार्थी की बात को सुनने की क्षमता।

 3. बातचीत करने में कुशलता।

4. साक्षात्कार में निर्देशन और

5. विभिन्न उद्देश्यों के लिये विभिन्न प्रकार के साक्षात्कार करने की क्षमता।  व्यक्तिगत समाज कार्य की संरचना, जो अध्ययन, निदान तथा उपचार की तीनों प्रक्रियाओं पर आधारित है, में उपरोक्त साक्षात्कार की कुशलताओं का प्रयोग किया जाता है।