सामाजिक वैयक्तिक सेवा कार्य में प्रविधियाँ एवं निपुणतायें - Techniques and Skills in Social Case Work.
सामाजिक वैयक्तिक सेवा कार्य में प्रविधियाँ एवं निपुणतायें - Techniques and Skills in Social Case Work.
सेवार्थी की समस्या के समाधान के लिये समस्या का अध्ययन आवश्यक है, जिसके लिये वैयक्तिक कार्यकर्ता को कुछ प्रविधियों व उपकरणों का उपयोग अपनी निपुणताओं के आधार पर करना पड़ता है, जो इस प्रकार हैं-
1. सेवार्थी और उसकी स्थिति से सम्बन्धित महत्वपूर्ण व्यक्तियों से साक्षात्कार।
2. सेवार्थी के कुछ चुने हुये पक्षों जैसे-आर्थिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक परिवेश से सम्पर्क एवं इनका पे्रक्षण (अर्थात् उसका घर, व्यवसाय, शिक्षा, धर्म, मनोविनोद और चिकित्सा या सामाजिक संस्थायें आदि)।
3. अभिलेखों और प्रलेखों, दस्तावेजों की जाँच या परीक्षा।
4. स्वयं सेवार्थी या उसके पारिवारिक समूह के अतिरिक्त अन्य भिन्न शाखीय साधन।
5. सेवार्थी और उसकी अनुमति से परिवार के सदस्यों के परस्पर सम्बन्धों के कुशल प्रयोग द्वारा दोनों को उपचार में सम्मिलित करना।
निपुणता किसी कार्य को करने की योग्यता होती हैं या इस तरीके से कार्य को करना कि कम से कम समय के अन्दर उद्देश्यों को प्रभावशाली ढंग से प्राप्त किया जा सके। निपुणता का विकास मानव व्यवहार के प्रशिक्षण, अभ्यास, अनुभव तथा ज्ञान पर निर्भर करता है। आधारभूत रूप से, प्रभावी वैयक्तिक सेवा कार्य अभ्यास के लिये चार निपुणताओं की आवश्यकता होती है, जो इस प्रकार हैं-
1. सम्बन्धों में निपुणता।
2. समस्या का गहराई से अन्वेषण (खोज) करने की निपुणता।
3. संसाधनों को इस्तेमाल करने की निपुणता।
4. समस्या के समाधनों के विकल्प ढूंढने की निपुणता।
1. सम्बन्धों में निपुणताः- वैयक्तिक सेवा कार्य में उपचार का मार्ग सेवार्थी तथा वैयक्तिक कार्यकर्ता के मध्य के सम्बन्ध होते हैं। ये सम्बन्ध विश्वास, भरोसे तथा आपसी सम्मान के वातावरण का निर्माण करते हैं, जिससे सेवार्थी में सहयोग व साहस की भावना महसूस होती है और वह अपने बारे में, अपनी, समस्या के बारे में तथा मदद के लिये आसानी से बता पाता है। निपुणता तब दिखायी देती है, जब कार्यकर्ता सेवार्थी की समस्या, उसका सम्मान तथा उसमें वास्तविक रूचि लेता है, सेवार्थी के विचारों तथा मूल्यों का सम्मान करना तथा उसके साथ प्रत्येक स्तर पर उसकी समस्या के समाधान में सम्मिलित होना वैयक्तिक कार्यकर्ता के लिये आवश्यक है।
2. समस्या की गहराई से अन्वेषण करने की निपुणताः- वैयक्तिक कार्यकर्ता के अन्दर इस बात की योग्यता होनी चाहिए कि वह सेवार्थी की समस्या का विवरण तथा उसके क्रमवत विकास को ग्रहण कर सके। कार्यकर्ता के अन्दर काबिलियत होनी चाहिये कि वह सेवार्थी, कार्यकर्ता को अपनी सारी समस्या से संबंधित बातंे बता सके तथा कार्यकर्ता उसकी वास्तविक समस्या का पता लगा सके, इन सभी बातों के लिये कार्यकर्ता के अन्दर सुनने की, सेवार्थी की बातों में रूचि लेने कि तथा सम्मान देने की योग्यता सेवार्थी की दशा को ध्यान में रखते हुये तथा मानव व्यवहार की दशाओं को ध्यान देते हुये होनी चाहिए।
3. संसाधनों का इस्तेमाल करने की योग्यता:- कई बार, सेवाओं तथा उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल सेवार्थी की समस्या का समाधान करने में मदद करने वाले उपकरणों के रूप में होता है। इसलिये कार्यकर्ता के अन्दर यह योग्यता होनी चाहिये कि वह सभी उपलब्ध संसाधनों चाहें वह मित्रों के समूहों में हो, सेवार्थी के सम्बन्धियों में हो या फिर समुदायों में उपलब्ध हो सामान्य रूप से मदद करने वाले हों उन सभी का इस्तेमाल करें। कार्यकर्ता की योग्यता इस बात से पता चलती है कि वह सभी संसाधनों को सेवार्थी की समस्या को सुलझाने में इस प्रकार से इस्तेमाल करे कि सेवार्थी के आत्मसम्मान को कोई क्षय (हानि) न पहुँचे, विशेषकर हमारे भारतीय समाज में इस बात पर अधिक ध्यान दिया जाता है।
4. समस्या के समाधानों के विकल्प ढूंढने में निपुणता:- कार्यकर्ता द्वारा सेवार्थी के साथ मित्रवत् सम्बन्ध स्थापित करने, समस्या का पता लगाने तथा आवश्यक संसाधनों को नियन्त्रित करने के उपरान्त, ये बहुत जरूरी हो जाता है कि समस्या के समाधानों के सम्भावित विकल्पों को बडे़ ही
विस्तृत तथा शुद्ध रूप में चर्चा की जाये। सभी विकल्पों को चाहिये कि वह स्पष्ट, वास्तविक तथा सभी दिशाओं को ध्यान देते हुये विकल्पों के फायदे तथा नुकसान को खोजें, क्योंकि ये उलझन सदैव रहती है कि इन विकल्पों का प्रभाव प्रत्येक पर कैसा होगा। कार्यकर्ता के अन्दर यह योग्यता होनी चाहिए कि वह सेवार्थी की समस्या करे सुलझाने के लिए उसकी स्थिति को समझते हुये उपलब्ध विकल्पों में से सबसे उपर्युक्त व प्रभावशाली विकल्प ही ढूँढे। कार्यकर्ता द्वारा सेवार्थी की समस्या के लिये विकल्पों का चुनाव उसकी क्षमता, स्तर, संसधनों तथा उसके सामुदायिक मूल्यों के अनुसार ही करना चाहिए। सबसे पहले सेवार्थी के विषय में पर्याप्त तथ्यात्मक सामग्री को इक्टठा करना आवष्यक है, जिससे सेवार्थी की वर्तमान स्थिति को समझा जा सके और यह जाना जा सके कि सेवार्थी ने क्या किया है और हमसे क्या करवाना चाहता है। उसकी समस्या का आरम्भ कैसे हुआ या उसकी समस्या का आरम्भ एवं उसमें वृद्धि के क्या कारक हैं, भूतकाल में सेवार्थी ने अपना प्रबन्ध कैसे किया और उसकी समस्या से सम्बन्धित महत्वपूर्ण व्यक्ति कौन है। इसके लिये कार्यकर्ता कई प्रकार की प्रविधियों का प्रयोग करता है। वैयक्तिक अध्ययन में जो अनिवार्य घटक हैं वह यह है कि व्यक्ति किस प्रकार अपने सामाजिक परिवेश को प्रभावित कर रहा है। सेवार्थी की समस्या का स्पष्ट एवं अधिक अन्तः प्रवेषी या गहन निदान तब होता है जब व्यक्ति और उसके परिवार के परस्पर सम्बद्ध अर्थो के सम्बन्ध में सेवार्थी के सामाजिक-आर्थिक, मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक कारकों का विश्लेषण किया जाता है। तभी उपचार की योजना का बनाया जाना सम्भव होता है। तभी कार्यकर्ता सेवार्थी के साथ कार्य कर सकता है, उसकी आवष्यकताओं की पूर्ति कर सकता है, और सेवार्थी को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता दे सकता है। सेवार्थी की स्थिति का ज्ञान और उसकी उपयुक्त केस-हिस्ट्री अच्छे विश्लेषण के लिये ही नहीं बल्कि असामाजिक और गलत उपचार से बचने के लिए भी अनिवार्य है। इस हिस्ट्री के दो पक्ष हैं, एक निदान के लिये ली गयी प्रारम्भिक हिस्ट्री जो सेवार्थी के साथ हुई पहली मुलाकात में आसानी से प्राप्त हो जाता है। और दूसरी वह हिस्ट्री जो भावविवेचना के रूप में सामने आती है या जिसे सेवार्थी बताता हुआ अपने कुछ संवेगात्मक अनुभवों को फिर से अनुभव करता है और जो बहुत धीरे-धीरे कार्यकर्ता-सेवार्थी सम्बन्धों के फलस्वरूप सामने आती है और जो उपचार की प्रक्रिया का भाग भी बनती है। सेवार्थी को निदानात्मक बोध जितना ही अच्छा होगा, सामाजिक अध्ययन के लिए केस-हिस्ट्री और अन्य साधनों को जुटाया जाना उतना ही उपयुक्त और
किफायती या सस्ता होगा। कार्यकर्ता को सेवार्थी की हिस्ट्री की इस दोहरी आवधारणा भावविवेचना और इन ऐतिहासिक अनुभवों को पुनः अनुभव करना उपचार के लिए महत्व रखता है। सेवार्थी के व्यक्तित्व के विकास को समझने के लिए हिस्ट्री के प्रयोग का अर्थ है कि कार्यकर्ता पारिवारिक हिस्ट्री और सम्बन्धों, विकास एवं स्वास्थ सम्बन्धी सूचनाओं, लक्षणों व्यवहार प्रतिमानों, मनोवृत्तियों और संवेगात्मक अनुभवों का अध्ययन करता है। इस प्रकार की सूचनाओ के आधार पर ही कार्यकर्ता सेवार्थी के मनोजनिक निदान का प्रतिपादन करता है। इसी के साथ-साथ इन संवेगात्मक अनुभवों को फिर से सेवार्थी द्वारा अनुभव करना। उपचार का एक महत्वपूर्ण पक्ष भी है। जिसके लिए कार्यकर्ता को उपरोक्त प्रविधियों और निपुणताओं का प्रयोग करता है
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