समाज कार्य में गृह भ्रमण के उद्देश्य - Objectives Of Home Visit In Social Work.



आवासीय निरिक्षण का उद्देश्य निम्नलिखित है-  

1. सेवार्थी तथा उसके परिवार की विस्तृत जानकारी प्राप्त करना:- औषधीय चिकित्सा तथ मनोचिकित्सा में एक मानसिक चिकित्सक तथा मनोविज्ञानी के लिये बच्चे, अभिभावको तथा अन्य लोगों से मिलकर साक्षात्कार द्वारा एक ही जगह पर बैठकर पारिवारिक स्थितियों का पर्याप्त या तुलनात्मक दृश्य प्राप्त करना काफी मुश्किल है।  थैप (1959) के अनुसार, सबसे उपयुक्त, मेहनती, अनिश्चितता वाला एक तारीका यह भी है कि सेवार्थी के क्रमिक शब्दों वाले अनेक साक्षात्कार किये जाये, परन्तु इस विधि में एक जौखिम यह है कि कहीं सेवार्थी का स्वयं पर से भरोसा खत्म न हो जाये। कैमरोन (1961) के अनुसार, कुछ ही क्षणों में गृह भ्रमण द्वारा एक अनुभवी प्रेक्षक रोगी तथा उसके वातावरण के बारे में अधिक योग्य व शुद्ध तथ्य प्राप्त कर सकता है, बजाय इसके कि वह घण्टों अपने आॅफिस में बैठकर साक्षात्कार के दौरान प्राप्त कर पायेगा। 

गृह भ्रमण निम्न बातों को जानने के लिये बहुत सहायक है-  पद्ध बच्चे या सेवार्थी की समस्या, तथा उसकी समस्या से सम्बन्धित पारिवारिक कारण।  पपद्ध अभिभावकों व भाई-बहनों की व्यक्तिगत विशेषतायें तथा परिवार के आन्तरिक प्रचलनों के तरीके, आन्तरिक व्यक्तिगत सम्बन्ध। पपपद्ध परिवार का सामाजिक-आर्थिक स्तर तथा बाहरी दुनियां के साथ परस्पर प्रभावी सम्बन्धों के तरीके। 

 2. सेवार्थी को अधिक विस्तार वाले क्षेत्रो की सेवाओं का उपयोग करने के लिये उकसानाः- ये अनुसरण किया गया है कि सेवार्थी या रोगी की स्थिति में परिवर्तन उसके द्वारा क्लीनिक में एक या दो बार जाने से नहीं आता बल्कि कुछ अन्य जाँचों के आधार पर यह पता चलता है कि उसमें अपने उपचार के प्रति प्रेरणा की कमी पायी जाती है। इस प्रकार प्रेरणाओं की कमी के कारण वह चिकित्सा संसाधनों का तथा सेवाओं को पर्याप्त रूप से व सही ढंग से इस्तेमाल नहीं करते। इसलिये, कुछ स्थितियों में गृह भ्रमण, सेवार्थी तथा उसके परिवार को पर्याप्त रूप से प्रेरित करता है ताकि वह उपचार को जारी रखे।  

3. परिवार के सदस्यों को सम्बन्धित व्यक्तियों की बीमारी तथा चिन्ता को शान्त करने के लिये शिक्षित करनाः- रोगी (सेवार्थी) के सम्बन्धियों के चिकित्सा, मनो चिकित्सा तथा इनसे जुड़ी सेवाओं के बारे में बहुत गलत विचार होते हैं। जिनका कारण उनमें ज्ञान की कमी होती है। समाज कार्यकर्ता एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है, लोगों को इन विभिन्न प्रकार की बीमारियों तथा उनके गृह भ्रमण द्वारा उपचार के विषय में बताया जा सकता है तथा वह अपने अतार्किक भय को शान्त करके गलतफहमियों को समाप्त कर सकते हैं।  

4. सेवार्थी का संस्था तथा परिवार के मध्य शक्तिशाली बन्धन:-  डेविड (1965) के अनुसार, समाज कार्यकर्ता द्वारा पहले से किये गये गृह भ्रमण, रोगी (सेवार्थी) तथा उसके परिवार के मध्य शक्तिशाली बन्धन का निर्माण करते है, जो कि समाप्ति के बिन्दु तक चलते हैं, तथा ये सम्बन्धों को टूटने से बचाते हैं। गृह भ्रमण सेवार्थी के परिवार वालों को उसके संस्था से वापस लौटने के बाद उसकी देखभाल करने के लिये तैयार करता है।  

5. संस्था से मुक्त होने के बाद सेवार्थी का पुर्ननिर्वेशन करने की सुविधा:-  शीलै (1962) ने न्यू मैक्सिकों चिकित्सीय समाज, बोरेसटोम में लिखा है कि रोगी को समुदाय के साथ समायोजन स्थापित करने में असफलता, समाज में रहने वाले विरोधियों के कारण होती है, वह ठीक प्रकार से समायोजन नहीं कर पाते, जिसके कारण उसको लगातार मानसिक बीमारियाँ हो जाती है।  गृह भ्रमण इन सभी बातों पर ध्यान से गौर करने में मदद करता है। परिवार के सदस्य सेवार्थी को परामर्श देकर उसके दृष्टिकोण में तथा समस्या में परिवर्तन ला सकते हैं और इस प्रकार से सेवार्थी को पुननिर्देशन करने में सुविधा होती है। 

 6. मुक्त रोगियों की पारिवारिक चिकित्सा तथा बाद में दी जाने वाली रक्षा की सेवायें:-  फैरियेरा तथा विन्टर (1965) ने अपने चिकित्सीय अनुभवों के आधार पर पारिवारिक चिकित्सा के बारे में बताया है, तथा उन्होंने इसका प्रयोग हाथो-हाथ करके उनके परिणाम भी प्राप्त किये हैं। निष्कर्ष निकालते हुये उन्होंने लिखा है कि एक व्यक्तिगत रूप से रोगी व्यक्ति का परिवार मित्र होता है। कुछ तरीकों में एक सामान्य परिवार से, ये बात उन सभी कार्यकर्ताओं पर लागू होती है, जो मानसिक चिकित्सा की पृष्ठभूमि से जुड़े हैं, यदि रोगी का सफलतापूर्वक उपचार करना है, तो इसमें परिवार को सम्मिलित होना भी आवश्यक हैं। मैं-एट-आॅल (1962) ने भी यह पाया कि गृह भ्रमण सहायक है तथा परिवार, सम्बन्धियों और हर किसी की सलाह देता है कि एक मानसिक रोगी के लिये पारिवारिक वातावरण बहुत महत्व रखता है।  बहुत से रोगी ऐसे होते हैं, जो अच्छे उपचार तथा अस्पताल में रहने के बाद जब मुक्त होते है, चाहे उनमें बदलाव आया हो या न आया हो, जिनका सम्बद्ध मनोचिकित्सक तथा वैयक्तिक समाज कार्यकर्ता द्वारा दी जाने वाली सेवाओं से होता है, तो पारिवारिक वातावरण एक चिकित्सक के रूप में सहायता करता है। कार्यकर्ता द्वारा किया गया गृह भ्रमण भी परिवार के सदस्यों के व्यवहार में परिवर्तन लाता है तथा पारिवारिक जीवन में परिवर्तन लाने में सहायता करती है। कुछ ऐसे रोगी भी होते हैं, जो सुधार गृहों से मुक्त होते हैं, उनको सबसे अधिक आवश्यकता होती है किसी संस्था की, जोकि उनके आवास पर जाये तथा उनके वातावरण में बदलाव करे, परन्तु कोई भी संस्था उनके यहाँ स्वयं नहीं जाती है।  सेवार्थी की समस्या पर चर्चा करने से पूर्व किसी टीम का पहला चरण गृह भ्रमण करने की योजना में होना चाहिये कि कार्यकर्ता को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि वह अपने निर्णयों, मूल्यों तथा मान्यताओं को सेवार्थी पर थोपे नहीं, कार्यकर्ता के व्यवहार में अधिक औपचारिकता नहीं होनी चाहिए। सम्बन्धों में अनौपचारिकता रोगी तथा उसके परिवार की मदद करने में रूचि लेना, रोगी तथा उसके परिवार का वास्तविक सम्मान, गृह भ्रमण में और अधिक सहायता करता है। भाषा भी ऐसी होनी चाहिए, जिसे सेवार्थी तथा उसके परिवार के सदस्य बिना किसी परेशानी के समझ सके।  

आवासीय सैर विशिष्टता निम्न उपचारों में मूल्यवान है-  

1. बच्चों तथा किशोरों की संवेदनशील समस्यायें।  

2. स्वभाव में व्याधि, तथा बचपन व किशोरावस्था में होने वाली व्याधियों में। 

3. शैक्षिक समस्याओं में। 

4. बच्चों में अपराधी तथा अन्य व्यवहारिक व्याधियों में। 

5. सामाजिक असमायोजन। 

6. मनोविकार। 

7. पारिवारिक समायोजन की समस्या।