वैयक्तिक सेवा कार्य सम्बन्ध तथा सम्प्रेक्षण - Social Case work relation and survey.
सम्बन्ध एक प्रत्यय है, जो मौखिक अथवा लिखित वार्तालाप में प्रकट होता है, जिसमें दो व्यक्ति कुछ लघुकालीन, दीर्घकालीन, स्थायी अथवा अस्थायी सामान्य रूचियों एवं भावनाओं के साथ उक्त क्रिया करते है। ऐसा प्रायः सोचा जाता है कि केवल एक साथ एक स्थान पर एकत्र होने से या सुखदायी अन्तसंचार से या दो व्यक्तियेां में दीर्घकालीन समीपस्थ या जान पहचान से सम्बन्ध स्थापित हो जाते हैं। परन्तु ऐसा नहीं है। मनुष्यों के मध्य परमावश्यक सम्बद्ध भागीकृत एवं संवेगात्मक परिस्थितयों से उत्पन्न होते है। सामाजिक वैयक्तिक सेवा कार्य में सम्बद्ध का उपागम आदि से अन्त तक होता है। इस प्रक्रिया में सेवार्थी तथा वैयक्तिक कार्यकर्ता सम्पूर्ण प्रक्रिया में उभयनिष्ठ होते है तथा कार्य का आधार सम्बद्ध स्वयं होता है। सामाजिक वैयक्तिक सेवा कार्य में सम्बन्धों को सदैव महत्वपूर्ण माना गया है।
इस प्रक्रिया में अन्य समाज कार्य की प्रक्रियाओं के समान ही विकास एवं उन्नति के लिए उत्तरदायी होने के कारण सम्बन्ध को साधन के रूप में उपयोग किया जाता है। क्योंकि समस्या समाधान में लगे मस्तिष्क तथा शारीरिक श्रम उस समय कम कष्ट साध्य हो जाते हैं, जब वे सौहार्द्र तथा सुरक्षित दृढ़ सम्बन्धों के बीच घटित होते हैं। सामाजिक वैयक्तिक सेवा कार्य में सम्बन्ध स्थापित करना ही सहायता का आधार होता है क्योंकि सम्बन्धों के द्वारा वैयक्तिक कार्यकर्ता किसी व्यक्ति व समस्या को समझता है, उसमें परिवर्तन लाने का प्रयास करता है और व्यक्ति की अहं शक्ति एवं अन्र्तिदृष्ट को विकसित करते हुए समस्या सुलझाने का मार्ग प्रशस्त करता है। सेवार्थी के साथ-स्थाापित किया गया सम्बन्ध की वह उपकरण है जिसके माध्यम से कार्यकर्ता सेवार्थी की समस्या का उपचार करता है।
उसको सेवार्थी की समस्या का उचित एवं सही ज्ञान तभी प्राप्त होता है जब सेवार्थी के साथ सम्बन्धों एवं सम्पर्को में घनिष्ठता आती है। जैसे- जैसे सम्बन्ध घनिष्ठ होते जाते हैं वैयक्तिक सेवा कार्य का उद्देश्य प्राप्त होता जाता है। इसके अतिरिक्त सेवार्थी पर आन्तरिक एवं बाह्य वातावरण के प्रभाव को घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापन के पश्चात् ही समझा जा सकता है। अतः सामाजिक वैयक्तिक सेवा कार्य प्रक्रिया के केन्द्रों में उपचार का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए चेतन तथा नियन्त्रित कार्यकर्ता सेवार्थी सम्बन्ध का उपयोग आवश्यक रूप से किया जाता है।
सामाजिक वैयक्तिक सेवा कार्य की सभी परिभाषाओं में ’सम्बन्ध’ को एक विशेष महत्व प्रदान किया गया है। कार्यात्मक समुदाय के विचार इस पर विशेष रूप से जोर देते हैं- रूथ ई0 स्मैली के अनुसार सामाजिक वैयक्तिक सेवा कार्य एक सम्बन्ध प्रक्रिया द्वारा स्वयं अपने तथा सामान्य सामाजिक कल्याण हेतु सामाजिक सेवाओं के उपयोग में आवश्यक रूप से एक को एक द्वारा सेवार्थी को व्यस्त करने की एक प्रणाली है। इस अर्थ में सम्बन्ध एक अटूट सन्दर्भ है जिसमें समस्या का समाधान होता है। उसी समय यह पारस्परिक समस्या समाधान के प्रयत्नों को प्रकट करता है, साथ ही साथ व्यक्तित्व के अचेतन स्तर में विश्वास, आत्म महत्व सुरक्षा तथा दूसरे व्यक्तियों से सम्पर्क के अर्थ में परिवर्तन को क्रमबद्ध करने का माध्यम है। सेवार्थी संस्था में व्यक्तिगत सामाजिक असंतुलनों के साथ संस्था में आता है। इस प्रकार के असंतुलनों को संशोधित करने के लिए सामाजिक वैयक्तिक सेवा कार्य प्रणाली में वैज्ञानिक कार्यकर्ता सेवार्थी सम्बन्ध परिवर्तन का माध्यम होता है। सामान्यतः सेवार्थी अपनी एक या अधिक समस्याओं को लेकर वैयक्तिक कार्य संस्था में आता है परन्तु उसकी समस्याओं का सम्बन्ध उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व अर्थात् शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, विगत जीवन के अनुभव, वर्तमान क्रियाओं तथा प्रतिक्रियाओं और भविष्य की आशाओं से होता है। अतः समस्या को समझने के लिए इन सभी कारकों को समझना आवश्यक होता है। परन्तु यह कारक वास्तविक रूप में तभी समझे जा सकते हैं जब सेवार्थी तथा कार्यकर्ता में घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित हो। वैयक्तिक सहायता का रूप कोई भी क्यों न हो उसकी सफलता के लिए सम्बन्ध स्थापित करना अत्यन्त आवश्यक होता है।
वैयक्तिक सेवा कार्य में कार्यकर्ता तथा सेवार्थी के बीच सम्बन्ध स्थापित करने या बनाने के लिये संचार (सम्प्रेषण) का होना अति आवश्यक है, क्योंकि संचार ही एक ऐसा माध्यम है, जिसके द्वारा सेवार्थी अपनी समस्या कार्यकर्ता तक पहुँच पाता है। जहाँ पर भी दो व्यक्ति अन्र्तक्रियाएँ करते हें, संचार के लिये आवश्यक है कि उन दोनों के बीच जो भी बातचीत हो, जिन चिन्हों का प्रयोग हो, उनका अर्थ दोनों द्वारा समझा जा सके। किसी भी विषय पर सहमति या असहमति हो सकती है परन्तु वह क्या करते है, क्या कहते है, दोनों द्वारा समझा जाना आवश्यक है। उन्हें एक दूसरे की भूमिका का पूरा ज्ञान होना चाहिए।
कार्यकर्ता सेवार्थी अपनी स्थिति के विषय में अपनी समझ के अनुसार व्याख्या करने का प्रयास करता है क्योंकि कार्यकर्ता एक अजनबी व्यक्ति होता है तथा सेवार्थी के मन में थोड़ा संकोच होता है। कार्यकर्ता सही बात जानने के लिये उसकी सहायता करता है। कार्यकर्ता को सेवार्थी के प्रति सहिष्णुता तथा लगाव प्रदर्षित करते हुए उसकी शिकायतों को ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए। जब सेवार्थी यह अनुभव कर विश्वास उत्पन्न कर लेता है कि चिकित्सक उसमें रूचि ले रहा है तो व्यक्तिगत से व्यक्तिगत तथ्य स्पष्ट करने में हिचकिचाहट महसूस नहीं करता। सम्बन्ध घनिष्ठ तभी बनता हैं, जब सेवार्थी अपनी पूरी बात स्पष्ट कर लेता है तथा चिकित्सक की सहानुभूति प्राप्त होती है। कार्यकर्ता को सदैव सेवार्थी के बौद्धिक स्तर से बातचीत करनी चाहिए क्योंकि यदि सेवार्थी को कार्यकर्ता की बात या सुझाव समझ में नहीं आयेगा तो वह कभी भी हार्दिक सहयोग प्रदान नहीं करेगा।
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