समाज कल्याण प्रशासन - Social Welfare Administration.

      समाज कार्य मुख्य रूप से सामाजिक संस्थाओं या विभागों या संबंधित संगठनों, जैसे चिकित्सालय, न्यायालय, विद्यालय, सुधार करने एवं दण्ड देने वाली संस्थाओं में किया जाता है। अतः कार्यकर्ता के लिए समाज कल्याण प्रशासन का ज्ञान होना आवश्यक होता है। समाज कल्याण प्रशासन सरकारी संस्थाओं में सामाजिक अधिनियम को कार्यान्वित करता है तथा लोगों की सेवा में कानूनों, नियमों तथा नियंत्रणों का रूपान्तर करता है। इसका तात्पर्य ऐसी प्रक्रिया से है जिसके द्वारा समाज कल्याण क्षेत्र की सार्वजनिक तथा निजी संस्थाओं का प्रशासन एवं संगठन किया जाता है। इसके अन्तर्गत वे सभी क्रियाएँ आती हैं जो किसी संस्था को कार्यक्रम का व्यावहारिक रूप देने में सहायता करती हैं।      

 समाज कल्याण प्रशासन का व्यावहारिक रूप सामान्य प्रशासन के समान हैं। परन्तु इसमें मानव समस्याओं के समाधान हेतु तथा मानव आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए प्रयत्न किया जाता है। अतः प्रशासक के लिए विशेष ज्ञान की आवश्यकता होती है। उसके लिए समाज कार्य के दर्शन, उद्देश्यों तथा कार्यक्रमों से अवश्य परिचित होना चाहिए। उसे समाजकार्य के तरीकों, सामाजिक निदान के ढंग, समूह तथा व्यक्ति की आवश्यकताओं तथा उनके संस्था से संबंध इत्यादि का ज्ञान आवश्यक होता है।

जान सी0 किडनी के अनुसार : समाज कल्याण प्रशासन सामाजिक नीति को सामाजिक सेवाओं में बदलने तथा सामाजिक नीति को मूल्यांकित एवं संशोधित करने में अनुभव के प्रयोग की एक प्रक्रिया है।

आर्थर डनहम के अनुसार : समाज कल्याण प्रशासन से हमारा आशय उन सहायक एवं सुविधा-जनक क्रिया-कलापों से है जो किसी सामाजिक संस्था द्वारा प्रत्यक्ष सेवा करने के लिए अनिवार्य हैं।

 प्रो0 राजाराम शास्त्री के अनुसार : सामाजिक अभिकरण तथा सरकारी या गैर सरकारी कल्याण कार्यक्रमों से संबंधित प्रशासन को समाज कल्याण कहते हैं। यद्यपि इसकी विधियाँ-प्रविधियाँ या तौर-तरीके इत्यादि भी लोक-प्रशासन या व्यापार-प्रशासन की ही भाँति होते हैं किन्तु इसमें एक बुनियादी भेद यह होता है कि इसमें सभी स्तरों पर मान्यता और जनतांत्रिकता का अधिक से अधिक ध्यान करके ऐसे व्यक्तियों या वर्ग से संबंधित प्रशासन किया जाता है जो कि बाधित होते हैं।“

 समाज कल्याण प्रशासन का विश्लेषण 

(1) समाज कल्याण प्रशासन एक प्रक्रिया है जिसमें विशेष ज्ञान, सिद्धांत एवं निपुणता होती है। 

(2) इसके द्वारा सामाजिक संस्थओं का नियंत्रण, संचालन तथा संगठन किया जाता है। 

(3) इस प्रक्रिया में निर्देशन, नियोजन, अन्तर-उत्तेजना, संगठन, सहयोग, संबंध, अनुसन्धान आदि कारकों का उपयोग किया जाता है। 

(4) व्यक्तियों, समूहों तथा समुदायों को सामाजिक सेवा प्रदान करता है। 

(5) संस्था के उद्देश्यों, नीतियों, कार्यक्रमों, बजट, सेवार्थी-चयन, कार्यकर्ता-चयन, कर्मचारी गण चयन का कार्य करता है। सेवाओं का मूल्यांकन भी करता है। 

(6) सामाजिक संस्था के उद्देश्यों की प्राप्ति इसके द्वारा की जाती है। 

(7) प्रशासन प्रजातांत्रिक सिद्धांतों पर आधारित होता है।

प्रजातांत्रिक प्रशासन की प्रविधियाँ -

 (1) समूह-नेतृत्व की प्रविधि

(2) शिक्षण की प्रविधि

(3) समस्या-निवारण की प्रविधि 

(4) समूह-वार्तालाप की प्रविधि

(5) शिक्षात्मक अधीक्षण की प्रविधि।