मानव संसाधन विकास का अर्थ, परिभाषा :-
मानव
संसाधन किसी भी संगठन की अत्यधिक महत्वपूर्ण संपत्ति होती है। किसी भी संगठन की
क्षमता एवं प्रभाविकता उसके मानव संसाधन के प्रभावी उपयोग पर अधिक निर्भर करता है।
इस संसाधन की महता को ध्यान मे रखते हुए, यह अत्यावश्यक है कि इसके विकास के लिए
पर्याप्त ध्यान देना होगा ।
मानव
संसाधन विकास के सभी पहलुओं का केंद्र बिन्दु, अत्यधिक बेहतर कार्यबल को विकसित करना है ताकि
संगठन एवं व्यक्तिगत कर्मचारी अपने कार्य लक्ष्यों को सुयोजित एवं निष्पादित कर
सकें।
संसाधन
:- संसाधन एक ऐसा स्त्रोत है जिसका उपयोग मनुष्य
अपने लाभ के लिये करता है। कोई वस्तु प्रकृति में हो सकता है हमेशा से मौजूद रही है,
लेकिन वह संसाधन तब बनती है जब मनुष्य को उसके लाभप्रद उपयोग के बारे में ज्ञात
होता है और वह लाभ प्राप्त करना शुरू करता है।
मानव
संसाधन की परिभाषाएं
:-
जिम्मरमैन
के अनुसार, ‘‘संसाधन होते नहीं, बन जाते है।‘‘
मानव
संसाधन वह अवधारणा है जो जंनसख्या को अर्थव्यवस्था पद दायित्व से अधिक परिसंपति के
रूप में देखती है। शिक्षा प्रशिक्षण और चिकित्सा सेवाओं में निवेश के परिणाम यहां स्वरूप जनसंख्या मानव संसाधन के रूप मे
बदल जाती है। मानव संसाधन उत्पादन में प्रयुक्त हो सकने वाली पूंजी है। यह मानव
पूंजी कौशल और उनमें निहित उत्पादन के ज्ञान का भंडार है। यह प्रतिभाशाली और काम
पर लगे हुए लोगों और संगठनात्मक सफलता के बीच की कडी को पहचानने का सूत्र है। यह
उद्योग/संगठनात्मक मनोविज्ञान और सिंद्धांत प्रणाली संबंधित अवधारणाओं से संबद्ध
हैं। मानव संसाधन की संदर्भ के आधार पर दो व्याख्याएं मिलती है।
इसका
मूल अर्थ राजनीतिक अर्थव्यवस्था और अर्थशास्त्र से लिया गया है जहां पर इसे
पारंपरिक रूप से उत्पादन के चार कारकों में से एक श्रमिक कहा जाता था, यद्यपि यह दृष्टिकोण राष्ट्रीय
स्तर पर नए और योजनाबद्ध तरीकों में अनुसाधन के चलते बदल रहा है। पहला तरीका
अधिकतर मानव संसाधन विकास शब्द से यह कारपोरेशन व व्यापार के क्षेत्र में व्यक्ति
विशेष के लिए, तथा कंपनी के उस हिस्से को जो नियुक्ति करने,
निकालने, प्रशिक्षण देने तथा दूसरे व्यक्तिगत
मूद्दो से सम्बंधित है व जिसे साधारणतयाः मानव संसाधन प्रबंधन के नाम से जाना जाता
है, के लिए प्रयुक्त होता है। यह लेख दोनों परिभाषाओं से
सम्बंधित है।
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