अनुस्वार (ं) और अनुनासिक (ँ) का क्या प्रयोग हैं? - संस्कृत और हिंदी भाषा में
अनुस्वार (ं) और अनुनासिक (ँ)
अनुस्वार
(ं) और अनुनासिक (ँ)
सरल
व्यंजन- आइए. इन व्यंजनों के विभिन्न वर्गों
पर क्रमशः विचार करें। पहले कॉलम के पाँच व्यंजन (क च ट त प) अपने अपने
उच्चारण स्थानों पर जीभ या ओठो के द्वारा हवा के सामान्य रूप से रुकने से उच्चारित
होते हैं। इन व्यंजनों के उच्चारण में और कोई विशेष बात नहीं है इसलिए हम इन्हें
सरल व्यंजन कहेंगे ये अघोष अल्पप्राण है। इसका उच्चारण कण्ठ के भीतरी भाग से
प्रारंभ होकर ओठों पर समाप्त होता है। विसर्ग (:) संस्कृत में विसर्ग (:) का
उच्चारण हलके ह जैसा होता है। संस्कृत शब्दों के अन्त में विसर्ग का प्रयोग काफी
अधिक होता है। आइए. अब हम निम्नलिखित शब्दों को पढ़ें- अत:- इसलिए,
अपि- भी, पाठः, पट:- कपड़ा, एक:- एक (पुलिंग). क:-कौन? बालक:- बालक, एक:
बालक:- एक बालक।
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