चंपारण स्थित महात्मा गाँधी द्वारा स्थापित राजकीय बुनियादी विद्यालय, वृन्दावन की स्थिति
चंपारण में स्थित महात्मा गाँधी द्वारा स्थापित बुनियादी विद्यालय की
स्थिति :
चंपारण में स्थित बुनियादी विद्यालयों की स्थिति का अध्ययन करने के लिए हमें जरूरी है कि हम वहां स्थित बुनियादी विद्यालयों के इतिहास से लेकर वर्तमान कि जो अवस्था रही है। उसका अध्ययन करें जिससे हम वर्तमान की स्थिति के बारे में जान पाएंगे। बुनियादी विद्यालय की संकल्पना क्या रही है। बुनियादी विद्यालय को शुरू करने के पीछे वजह क्या रही है? ऐसी कौन सी शिक्षा प्रणाली का प्रयोग किया जाता था? जिस वक्त बुनियादी विद्यालय की स्थापना की गई और वर्तमान में वह संकल्पना और जिस वजह से शुरुआत हुई थी वह कहां तक अभी व्यवहारिक स्तर पर कार्य कर रहा है। इन सभी मुद्दों को जब हम गहराई से समझ पाएंगे तभी जाकर हम वर्तमान की स्थिति को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे।
पाठशाला का नाम : राजकीय बुनियादी
विद्यालय,वृन्दावन
पाठशाला का इतिहास : 1917 के बाद 1939 में जब गांधी दोबारा बिहार आये थे तो
वृन्दावन में पांच दिनों तक रुके थे। बुनियादी विद्यालय यानी ज्ञान और कर्म, श्रम और विद्यार्जन के बीच के भेद को
मिटाने वाला संस्थान। ऐसा स्कूल, जहां बच्चों को किताबी शिक्षा के साथ
ही बढ़ईगिरी, लुहारगिरी, किसानी, सब्जी खेती, डेयरी आदि विषयों का भी प्रशिक्षण
मिले। जहां बच्चे किताबी पढ़ाई के बाद अपना हुनर भी विकसित करते रहें, जो कमाई हो उससे वे अपने
स्लेट:पेंसिल:कॉपी खरीद सकें। 1937 में वर्धा में हुए कांग्रेस सम्मेलन
में जब इस तरह के स्कूल की परिकल्पना उभरी थी तो बिहार के लोगों ने इसका तहे दिल
से स्वागत किया था। बिहार के ग्रामीणों ने भू और श्रमदान करके ऐसे स्कूल खुलवाए।
चंपारण के वृंदावन में ऐसे 28 स्कूल खुले और पूरे बिहार में 391 ऐसे बुनियादी विद्यालय अब भी मौजूद
हैं।
शिक्षा पद्धति : वर्तमान में विद्यालय की शिक्षा
पद्धति पूरी तरके से बिहार सरकार के प्राथमिक विद्यालय के अनुसार है। और कुछ
शिक्षकों की नियुक्ति गाँधी स्मृति और दर्शन समिति के द्वारा की गयी है वो अपने
तरफ से विद्यालय में बुनियादी शिक्षा (सिलाई,स्वच्छता,खेती) आदि प्रदान कर रहे है। मैकाले की
शिक्षा पद्धति के अनुसार ही शिक्षा दी जा रही है।
पाठ्यक्रम : बुनियादी विद्यालय में भी बिहार सरकार का पाठ्यक्रम चलाया जाता है और साथ ही बुनियादी शिक्षा जैसे विद्यार्थियों को गांधीजी के विचार,आदर्श,रचनात्मक कार्यक्रम और अन्य कला आदि की भी शिक्षा दी जा रही है।
वर्तमान में पाठ्यक्रम की उपयोगिता : वर्तमान में संचालित पाठ्यक्रम के
अनुसार विधार्थी सिर्फ एक प्रकार से शिक्षित हो रहे है। और डिग्री अर्जित कर रहे है। कौशल, ज्ञान, कला, तकनीक आदि कुछ भी
अर्जित नही कर पा रहे है। जिसके कारण ज्यादातर युवा आज
बेरोजगार है। और वो दर: दर की ठोकर खा रहे है।
वर्तमान में वर्ष 2018 में छात्रों
की संख्या
: छात्र – 340 छात्राएं – 270
शिक्षकों की संख्या : कुल 14 शिक्षक मौजूद है।
इंफ्रास्ट्रक्चर (ICT’s) : विद्यालय का अपना स्वयं का भवन है। जिसके अंतर्गत 08 कक्ष है। इसके
अलावा एक बड़ा सा खेल का मैदान है। विद्यालय का एक प्रांगण है जो खेल
के लिए भी उपयोगी है। स्वच्छ पानी पिने के लिए हैण्डपंप और विद्यालय के अंदर के
परिसर में पेड़ पौधे भी लगाये हुए है। एक प्रकार से आकर्षण का केंद्र है।
एजुकेशनल इंस्ट्रूमेंट्स : शिक्षा प्रदान करने से संबंधी
उपकरण में विद्यालय में एक पुस्तकालय है,सामान्य तौर पर टेबल-बेंच, हर कमरे में
ब्लैक बोर्ड उपलब्ध है। और अन्य कुछ भी कलात्मक और किसी प्रकार के इंस्ट्रूमेंट्स
उपलब्ध नहीं है।
स्पोर्ट्स एकुप्मेंट : विद्यार्थियों के
खेलने के लिए खेल:कूद की सामग्री में बैडमिंटन, वोलीबाल इत्यादी कैरम बोर्ड आदि
एकुप्मेंट मौजूद है।
खेल मैदान : विद्यालय परिसर में स्वयं का बहुत बड़ा खेल का
मैदान है। जिसके चारों विभिन्न प्रकार के पौधे लगे हुए है।
वाचनालय : विद्यालय में कुछ पुस्तकों से संग्रहित
वाचनालय की सुविधा उपलब्ध है।
संचालन संबंधी समस्याएं : शिक्षा संबंधी कई संसाधन विद्यालय में उपलब्ध
नहीं है। जैसे की
01. शिक्षकों का आभाव।
02. उपयुक्त प्रशिक्षण समय: समय पर नहीं
मिलता है।
03. विद्यालय के द्वारा प्रस्तावित कार्यक्रम और
अन्य गतिविधियों के लिए आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ता है।
04. मध्यांतर भोजन कार्यक्रम और अन्य गैर
शैक्षणिक कार्यक्रम जो सरकार के द्वारा शिक्षकों को करने के लिए दिया जाता है,उससे
शिक्षा प्रदान करने में काफी समस्या होती है।
विद्यालय में शिक्षक दो प्रकार के है
:
01. शिक्षकों की नियुक्ति गाँधी
स्मृति एवं दर्शन समिति के द्वारा की गयी है, जिन्हें पहले की तुलना में अब सैलरी
प्रति दिन के हिसाब से दिया जा रहा है, जो कि शिक्षकों के अनुसार बहुत कम है और
उनसे उनकी निजी जीवन में काफी समस्या हो रही है।
02. कुछ शिक्षक और प्रधानाचार्य की नियुक्ति और
भुगतान बिहार सरकार के द्वारा किया जाता है। उनके अनुसार कभी कभी समय पर भुगतान
उन्हें प्राप्त नहीं हो पाता है।
समाज से जुडाव : विद्यालय के प्रति वहां के स्थानीय समाज में
बहुत आस्था और विश्वास है। और इस कारण
विद्यालय में बच्चे दूर: दूर से शिक्षा प्राप्त करने आते है। महीने में एक बार अभिभावक:शिक्षक सभा आयोजित
होती है। स्थानीय लोग
विद्यालय को आर्थिक रूप से भी सहयोग प्रदान करते है।
स्कूल रिकार्ड्स (पिछले 5 साल का) : अगर हम विगत कुछ वर्षों के रिकॉर्ड की बात
करेंगे तो हमें देखने को मिलेगा की :
01. विधार्थियों की संख्या में वृद्धि हुई है।
02. शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव हुए
है,जिनमे से कुछ अच्छा भी और कुछ के कारण शिक्षा प्रदान करने में समस्या का सामना
करना पड़ता है।
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