प्राथमिक एवं द्वितीयक सामग्री में अंतर - Difference between Primary and Secondary Material

प्राथमिक एवं द्वितीयक सामग्री में अंतर - Difference between Primary and Secondary Material

प्राथमिक और द्वितीयक सामग्री में मुख्य अंतर निम्न हैं -


1) प्राथमिक सामग्री मौलिक होती है और सामाजिक शोध के लिए कच्चे माल की भांति होती हैं जबकि द्वितीयक सामग्री सामाजिक शोध में प्रायः उपयोग में लाई जा चुकी होती हैं और वह निर्मित माल की भांति होती हैं।


2) प्राथमिक सामग्री का संकलन शोधकर्ता द्वारा स्वयं विभिन्न व्यक्तियों के संपर्क के आधार पर किया जाता है जबकि द्वितीयक सामग्री का संकलन अन्य व्यक्तियों अथवा संस्थाओं द्वारा संकलित तथ्यों को एकत्र करके किया जाता है।


3) प्राथमिक सामग्री के संकलन में अधिक समय, संसाधन और धन की आवश्यकता पड़ती है जबकि द्वितीयक सामग्री के संकलन हेतु पत्र - पत्रिकाएँ, सरकारी, अर्द्ध-सरकारी अथवा गैर सरकारी प्रकाशन आदि सरलता से उपलब्ध हो जाते हैं।


4) प्राथमिक सामग्री हमेशा शोध के उद्देश्यों के अनुरूप होती हैं और उनमें प्रायः संशोधन की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसके विपरीत, द्वितीयक सामग्री के प्रयोग से पूर्व उसकी आलोचनात्मक जांच की आवश्यकता पड़ती है तथा साथ ही साथ उनमें कुछ संशोधन करने पड़ते हैं।


5) प्राथमिक सामग्री में अपेक्षाकृत सत्यापन का गुण अधिक पाया जाता है क्योंकि उसमें अध्ययन क्षेत्र में जाकर तथ्यों का संकलन दोबारा भी किया जा सकता है परंतु द्वितीयक सामग्री के साथ ऐसा नहीं है। 


(6) प्राथमिक और द्वितीयक सामग्री में मूल अंतर उनके देशकाल और वातावरण पर निर्भरता से संबंधित है। किसी समय विशेष में जो सामग्री प्राथमिक होती है वह ही कुछ समय के पश्चात किसी दूसरे के लिए द्वितीयक सामग्री होगी।