जनसंचार परिक्षेत्र और विस्तार - Mass Communication Scope and Extension

जनसंचार परिक्षेत्र और विस्तार - Mass Communication Scope and Extension


राजनैतिक प्रचार, प्रजातन्त्र में नागरिकों की भूमिका, युद्ध, शान्ति और आतंकवादी गतिविधियों की जानकारी, विदेशी नीतियों की जानकारी, प्रशासनिक कार्यवाही सांस्कृतिक और आर्थिक परिदृश्यों की जानकारी सामाजिक अनुभव, समाज में फैले अपराध, हिंसा, सामाजिक व्यवस्था और अव्यवस्था, समाज में सूचना देने, सूचना विषयक असमानताएँ, उपभोक्तावाद और व्यापारीकरण, वैचारिक और आभिव्यक्तिक स्वतन्त्रता, सामाजिक, सांस्कृतिक असमानताएँ, लैंगिक असमानताएँ मीडिया की भूमिका आदि से सम्बद्ध विभिन्न विषयों, क्षेत्रों का सम्बन्ध जनसंचार से है। यहाँ हम नवजीवन हरिजन, यंग इंडिया जैसे समाचार पत्रों से जुड़े गांधी के एक कथन को उद्धृत कर सकते हैं। उनका कहना था- समाचार पत्रों में बड़ी शक्ति है, ठीक वैसी ही जैसी कि पानी के जबरदस्त प्रवाह में होती है। इसे आप खुला छोड़ देंगे तो यह गाँव के गाँव बहा देगा, खेतों को डुबो देगा। उसी तरह से निरंकुश कलम समाज के विनाश का कारण बन सकती है।


लेकिन अंकुश भीतर का ही होना चाहिए, बाहर का अंकुश तो और भी जहरीला होगा। स्पष्ट है कि जनसंचार के संसाधनों ने शीघ्रातिशीघ्र सूचना प्रसरित करने में; व्यक्तियों देशों, संस्कृतियों की तथा भौगोलिक दूरी को कम करने में भूमण्डलीकरण की निर्मिति में सामाजिक सम्बन्धों की निर्मिति में सामाजिक यथार्थ को प्रस्तुत करने में, संदेश प्रेषित करने में मध्यस्तता करने में अपनी महत्ता तथा अपनी पहचान सिद्ध कर दी है।


जनसंचार के अभाव में व्यापार क्षेत्र का विकास नहीं हो सकता, जनता और सरकार के बीच संपर्क नहीं हो सकता, साहित्य सृजन नहीं हो सकता, समाज सेवा का कार्य सुचारू रूप से नहीं हो सकता, राजनीतिक दल अपने मतामत से जनता को परिचित नहीं करा सकते, सामाजिक संस्थाएं अपने क्रियाकलापों की सूचना जन तक नहीं पहुँचा सकतीं, सांस्कृतिक आदान-प्रदान सुचारू रूप से नहीं हो सकता।