सामाजिक नियोजन: अवधारणा अर्थ एवं परिभाषा - Social Planning: Concept Meaning and Definition

सामाजिक नियोजन: अवधारणा अर्थ एवं परिभाषा - Social Planning: Concept Meaning and Definition

 सामाजिक नियोजन: अवधारणा अर्थ एवं परिभाषा - Social Planning: Concept Meaning and Definition


नियोजन एक विवेकपूर्ण प्रक्रिया है जो समस्त मानव व्यवहारों में पायी जाती है। किसी भी संगठन में व्यवस्थित और उद्देश्य पूर्ण कार्यों के लिए नियोजन अनिवार्य है। साधारण रूप से नियोजन का अभिप्राय उचित ढंगसे सोच विचारकर आगे बढ़ना अर्थात सावधानी पूर्वक यह तय करना कि क्या किया जाना है। नियोजन समाज के अंतर्गत सामाजिक संबंधों के प्रतिमान को सुनिश्चित करते हुए सामाजिक स्थिरता उत्प करता है। इससे समाज के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक, राजनीतिक, संचार, परिवहन इत्यादि सभी पक्षों को विकास के सुअवसर प्राप्त होते है। नियोजन द्वारा मांग तथा पूर्ति आवश्यकता तथा संसाधनों में समन्वय स्थापित किया जाता है। नियोजन के अभाव में बेकारी तथा मूल्यों में वृद्धि होती है तथा निर्धन वर्ग का शोषण होता है। नियोजन के फलस्वरूप समाज कल्याण में वृद्धि होती है। क्योंकि नियोजन से समाज के निर्बल एवं शोषित वर्गों को शोषण का शिकार बनने से सरलता पूर्वक रोका जा सकता है तथा इन वर्गों के लोगों को जीवन की मुख्यधारा में, सफलतापूर्वक भाग लेने में समर्थ बनाया जा सकता हैं।


सामाजिक नियोजन का अर्थ


सामाजिक नियोजन दो शब्दों से मिलकर बनी है। सामाजिक नियोजन सामाजिक शब्द का अभिप्राय समाज से संबंधित मामलों से है। समाज में अनेक प्रकार के संबंध पाये जाते है जैसे पारिवारिक संबंध शैक्षिक संबंध, धार्मिक संबंध राजनीतिक संबंध शैक्षिक संबंध औद्योगिक संबंध आदि। नियोजन में लक्ष्यों के निर्धारण, लक्ष्य पूर्ति के लिए संसाधनों की व्यवस्था ही नहीं की जाती बल्कि ऐसी क्रियाओं के संगठित रूपों का प्रयोगकिया जाता है जो सामान्य सामाजिक व्यवस्था से उत्पन्न होते हैं। जब हम लक्ष्य का पूर्व निर्धारण कर लेते है तो उसे प्राप्त करने के कई विकल्प हमारे सामने उपस्थित हो जाते हैं। इन विकल्पों में सर्वोतम विकल्पों के चुनाव की मानसिक प्रक्रिया नियोजन है। नियोजन के अंतर्गत स्थितियों तथा संभावित परिवर्तनों की उपयोगिता को ध्यम में रखकर एक नियमित व्यवस्थित तथा सुगठित लक्ष्यों रूपरेखा तैयार की जाती है ताकि भावी परिवर्तन को अपेक्षित लक्ष्यों के अनुरूप नियंत्रित निर्देशत तथा संशोधित किया जा सके।


सामाजिक नियोजन शब्द के विवेचना के बाद हम कह सकते हैं कि सामाजिक नियोजन वह नियोजन है जो सामाजिक व्यवस्था या उससे अन्तर्सम्बंधित व्यवस्थाओं को पूर्ण या आंशिक रूप से एक निश्चित दिशा में अपेक्षित परिवर्तन लाने के लिए एक चेतन एवं संगठित प्रयास करता है। नियोजन का उद्देश्य एक निश्चित दिशा में परिवर्तन लाने के लिए योजना का निर्माण करना है।


सामाजिक नियोजन की परिभाषाएँ


ए. जे. कान्ह के अनुसार 


सामाजिक नियोजन के अंतर्गत वैयक्तिक और सामूहिक विकास एवं जीवन यापन के लिए गारंटी युक्त न्यूतम संसाधनों के कार्यान्वयन एवं अपने सदस्यों के लिए अपनी अभिलाषाओं एवं उद्देश्यकी प्राप्ति हेतु समाज के प्रयास समाहित है। 


एंडरसन एवं पार्क के अनुसार -


सामाजिक नियोजन किसी समाज अथवा इसके किसी भाग हेतु, पूर्व निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु निर्मित कार्यक्रम का विकास है। 


दूसरे शब्दों में, नियोजन इस बारे में निर्णय है कि हमें क्या करना है, किसके लिए करना है तथा इसमें प्रभावित लोगों को किस प्रकार सम्मिलित किया जाता है। 


एन.वी. सोवानी के अनुसार- 


"सामाजिक नियोजन भूमि सुधार असमानता कमी आय का साम्यपूर्ण वितरण, लोगों तथा क्षेत्रों में कल्याण एवं समाज सेवाओं के विस्ता अधिक सेवायोजन तथा मात्र एक दूसरे जुड़ी हुई नहीं बल्कि एकीकृत योजनाओं एवं नीतियों इत्यादि की एक प्रक्रिया हैं।'


सारतः सामाजिक नियोजन एक ऐसी प्रक्रिया है जो मानवीय संसाधनों के समुचित विकास हेतु समाज की विविध प्रकार की आवश्यकताओं एवं उपलब्ध संसाधनों के बीच प्राथमिकता के आधार पर सामंजस्य स्थापित करती है।