स्त्री अशिष्ट रूपण (निषेध) अधिनियम, 1986 - The Indecent Representation of Women (Prohibition) Act, 1986
स्त्री अशिष्ट रूपण (निषेध) अधिनियम, 1986 - The Indecent Representation of Women (Prohibition) Act, 1986
किसी भी समाज में स्त्री की अपनी सुंकता के कारण अलग पहचान है। भारतीय समाज में भी महिलाओं की सामाजिक छवि प्रतिष्ठित मानी जाती हैं, किंतु कुछ असामाजिक घटकों द्वारा महिलाओं की छवि को खराब करने की चेष्टा लगातार की जाती रही हैं। खासकर आज कल के विज्ञापनों में महिलाओं की सुन्दरता को गलत ढंग से या अश्लील रूप में पेश किया जाता है। ऐसे में महिलाओं के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है। समाज में अनैतिकता फैलती है तथा सामाजिक मूल्यों में बिखराव की स्थिति उत्पन्न होती हैं। ऐसे में इस पर रोक लगाने के लिए अधिनियम की आवश्यकता महसूस की गई। परिणामत श्री अशिष्ट रूपण निषेध अधिनियम, 1986 पारित किया गया।
यह अधिनियम
● महिलाओं के अशिष्ट रूप को परिभाषित करने पर ध्यान केन्द्रित करता है
•ऐसे सभी विज्ञापनों, प्रकाशना आदि पर रोक लगाता है जो कि किसी भी रूप में महिलाओं के अशिष्ट रूपण को उजागर करते हो
● महिलाओं का अशिष्ट रूपण शामिल हो ऐसी कोई भी पुस्त, पैम्फलेट आदि की बिक्री वितरण या इन्हें परिचालित करने पर रोक लगाता हैं.
• इससे संबंधित अपराधियों को सजा देने पर ध्यान केन्द्रित करता है। यह एक संज्ञेय अपराध माना गया है इसलिए दोषी को बिना वारंट गिरफ्तार किया जाता है। प्रथम दोषसिद्धि के लिए दो वर्ष तक के कारावास और दो हजार रुपये तक के जुमाने की सजा का प्रावधान इस अधिनियम में हैं तथा दूसरी बार इस तरह के अपराध में लिप्त पाए जाने पर या आरोप सिद्ध हो जाने पर छह माह से पांच वर्ष तक जेल और दस हजार से एक लाख रुपये तक का जुर्माना तय है।
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