एफ. आई. आर. संबंधित जानकारी - FIR related information
एफ. आई. आर. संबंधित जानकारी - FIR related information
किसी अपराध की सूचना जब किसी पुलिस अफसर अथवा पुलिस थाने को दी जाती है तो उसे एफआईआर कहते हैं। यह सूचना लिखित में होनी चाहिए या फिर इसे लिखित में परिवर्तित किया गया हो। एफआईआर भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के अनुरूप चलती है। एफआईआर संज्ञेय अपराधों में होती है। अपराध संज्ञेय नहीं है तो एफआईआर नहीं लिखी जाती।
एफ. आई. आर. संबंधित कुछ अधिकार
क) अगर संज्ञेय अपराध है तो थानाध्यक्ष को तुरंत प्रथम सूचना रिपोर्ट एफआईआर )
ख) दर्ज करनी चाहिए एफआईआर की एक कॉपी लेना शिकायत करने वाले का अधिकार है।
ग) एफआईआर दर्ज करते वक्त पुलिस अधिकारी अपनी तरफ से कोई टिप्पणी नहीं लिख सकता, न ही किसी भाग को हाईलाइट कर सकता है। घ) संज्ञेय अपराध की स्थिति में सूचना दर्ज करने के बाद पुलिस अधिकारी को चाहिए कि वह संबंधित व्यक्ति को उस सूचना को पढ़कर सुनाए और लिखित सूचना पर उसके साइन कराए।
ङ) एफआईआर की कॉपी पर पुलिस स्टेशन की मोहर व पुलिस अधिकारी के साइन होने चाहिए।
साथ ही पुलिस अधिकारी अपने रजिस्टर में यह भी दर्ज करेगा कि सूचनाकी कॉपी आपको दे दी गई है।
च) अगर आपने संज्ञेय अपराध की सूचना पुलिस को लिखित रूप से दी है तो पुलिस को एफआईआर के साथ आपकी शिकायत की कॉपी लगाना जरूरी है। छ) एफआईआर दर्ज कराने के लिए यह जरूरी नहीं है कि शिकायत करने वाले को अपराध की व्यक्तिगत जानकारी हो या उसने अपराध होते हुए देखा हो। ज) अगर किसी वजह से आप घटना की तुरंत सूचना पुलिस को नहीं दे पाएती घबराएं नहीं। ऐसी स्थिति में आपको सिर्फ देरी की वजह बतानी होगी।
झ) आपकी एफआईआर पर क्या कार्रवाई हुई. इस बारे में संबंधित पुलिस आपको डाक से सूचित करेगी।
ञ) अगर थानाध्यक्ष सूचना दर्ज करने से मना करता है, तो सूचना देने वाला व्यक्ति उस सूचना को रजिस्टर्ड डाक द्वारा या मिलकर क्षेत्रीय पुलिस उपायुक्त को दे सकता है, जिस पर उपायुक्त उचित कार्रवाई कर सकता है।
ट) अगर अदालत द्वारा दिए गए समय में पुलिस अधिकारी शिकायत दर्ज नहीं करता था इसकी प्रति आपको उपलब्ध नहीं कराता या अदालत के दूसरे आदेशों का पालन नहीं करता, तो उस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के साथ उसे जेल भी हो सकती है।
वार्तालाप में शामिल हों