भारतीय दंड संहिता में महिलाओं के लिए सुरक्षात्मक कानून - Protective laws for women in the Indian Penal Code
भारतीय दंड संहिता में महिलाओं के लिए सुरक्षात्मक कानून - Protective laws for women in the Indian Penal Code
भारतीय दंड संहिता की धारा294 के अंतर्गत सार्वजनिकस्थान पर गालियाँ देना एवं अश्लील गाने अदि गाना जो कि सुनने पर बुरे लगें धारा 304 बी के अंतर्गत किसी महिला की मृत्यु उसका विवाह होने की दिनांक से वर्ष की अवधि के अंदर उसके पति या पति के संबंधियों द्वारा दहेज संबंधी माँग के कारण क्रूरता या प्रताड़ना के फलस्वरूप धारा 316 के अंतर्गत सजीव नवजात बच्चे को मारना, धारा 318 के अंतर्गत किसी नवजात शिशु के जन्म को छुपाने के उद्देश्य से उसके मृतशरीर को गाड़ना धारा 363 के अंतर्गत विधिपूर्ण संरक्षण से महिला का अपहरण करना तथा
भारतीय दंड संहिता कानून महिलाओं कोक सुरक्षात्मक आवरण प्रदान करता है ताकि समाज में घटित होने वाले विभिन्न अपराधों से वे सुरक्षित रह सकें। भारतीय दंड संहिता में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों अर्थात हत्या, आत्महत्या हेतु प्रेरण दहेज मृत्यु बलात्कार, अपहरण एवं व्यपहरण आदि को रोकने का प्रावधान है। उल्लंघन की स्थिति में गिरफ्तारी एवं न्यायिक दंड व्यवस्था का उल्लेख इसमें किया गया है। इसके प्रमुख प्रावधान निम्नानुसार हैं जो दंड के कारण बन सकते हैं
सामान्य परिस्थितियों के अलावा हुई हो,
धारा 306 के अंतर्गत किसी व्यक्ति द्वारा किए गए कार्य (दु प्रेरण के फलस्वरूप की गई आत्महत्या,
धारा 313 के अंतर्गत महिला की इच्छा के विरुद्ध गर्भपात करवाना धारा 314 के अंतर्गत गर्भपात करने के उद्देश्य से किए गए कृत्य द्वारा महिला की मृत्यु हो जाना
धारा 315 के अंतर्गत शिशु जन्म को रोकना या जन्म के पश्चात उसकी मृत्यु के उद्देश्य से किया गया ऐसा कार्य जिससे मृत्यु संभव हो
अथवा किसी अन्य प्रकार से निराकरण, शांति धारा 354 के अंतर्गत महिला की लज्जाशीलता भंग करने के लिए उसके साथ बल का प्रयोग करना
धारा 364 के अंतर्गत हत्या करने के उद्देश्य से महिला का अपहरण करना
धारा 366 के अंतर्गत किसी महिला को विवाह करने के लिए विवश करना या उसे भ्रष्ट करने के लिए अपहरण करना, धारा 371 के अंतर्गत किसी महिला के साथ दास के समान व्यवहार धारा 372 के अंतर्गत वेश्यावृत्ति के लिए 18 वर्ष से कम आयु की बालिका को बेचना या भाड़े पर देना
धारा 373 के अंतर्गत वेश्यावृत्ति आदि के लिए। 8 वर्ष से कम आयु की बालिका को खरीदना इन सब के लिए दंड का प्रावधान है इसके बावजुददंड प्रक्रिया संहिता 1973 में महिलाओं को संरक्षण के प्रदान करने की व्यवस्था है। अतः महिलाओं को गवाही के लिए थाने बुलाना अपराध घटित होने पर उन्हें गिरफ्तार करना, महिला की तलाशी लेना और उसके घर की तलाशी लेना आदि पुलिस प्रक्रियाओं को इस संहिता में वर्णित किया गया है। इन्हीं वर्णित प्रावधानों के तहत न्यायालय भी महिलाओं से संबंधित अपराधों का विचारण करता है। स्त्री-धन में वैधानिक तौर पर विवाह से पूर्व दिए गए उपहार विवाह में प्राप्त उपहार, प्रेमोपहार चाहे वे वर पक्ष से मिले हो या वधू पक्ष से तथा पिता माता, भ्राता, अन्य रिश्तेदार और मित्र द्वारा दिए गए उपहार स्वीकृत किए गए हैं।
विवाहित हिंदूत्री अपने धन की निरंकुश मालिक होती है। वह अपने धन को खर्च कर सकती है। सौदा कर सकती है या किसी को दे सकती है। इसके लिए उसे अपने पति सास, ससुर या अन्य किसी से पूछने की आवश्यकता नहीं है। बीमारी या कोई प्राकृतिक आपदा को छोड़कर स्त्री का पति भी उसके धन को खर्च करने का कोई अधिकार नहीं रखता। इन परिस्थितियों में खर्च किए गए स्त्री-धन को वापस करना ससुराल पक्ष की नैतिक जिम्मेदारी होगी। परिवार का अन्य सदस्य किसी भी स्थिति में श्री धन खर्च नहीं कर सकता। उच्चतम न्यायालय ने एक प्रकरण में कहा है कि ख़ी द्वारा मांग किए जाने पर इस प्रकार के न्यासधारी उसे लौटाने के लिए बाध्य होंगे। अन्यथा धारा 405/406 भा.द.वि के अपराध के दोषी होंगे।
धारा 363 में व्यपहरण के अपराध के लिए दंड देने पर7 साल का कारावास और धारा 363 के में भीख माँगने के प्रयोजन से किसी महिला का अपहरण या विकलांगीकरण करने पर 10 साल का कारावास और जुर्माना धारा 365 में किसी व्यक्ति (स्त्री) का गुप्त रूप से अपहरण या व्यपहरण करने पर 7 वर्ष का कारावास अथवा जुर्माना अथवा दोनों तथा धारा 366 में किसी स्त्री को विवाह आदि के लिए विवश करने के लिए अपहृत करने अथवा उत्प्रेरित करने पर 10 वर्ष का कारावास, जुमनि का प्रावधान हैं। धारा 372 में वेश्यावृत्ति के लिए किसी भी को खरीदने पर 10 वर्ष का कारावास जुर्माना, तथा धारा 373 में वेश्यावृत्ति आदि के प्रयोजन के लिए महिला को खरीदने पर 10 वर्ष का कारावास, जुर्माना एवं बलात्कार से संबंधित दंड आजीवन कारावास या दस वर्ष का कारावास और जुर्मानाधारा 376 (क) में पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ पृथक्करण के दौरान संभोग करने पर 2 वर्ष का कारावास अथवा सजा या दोनों शामिल हैं।
धारा 376 (ख) में लोक सेवक द्वारा उसकी अभिरक्षा में स्थित स्त्री से संभोग करने पर 5 वर्ष तक की सजा या जुर्माना अथवा दोनों धारा 376 (ग) में कारागार या सुधार गृह के अधीक्षक द्वारा संभोग करने पर वर्ष तक की सजा या जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान धारा 32 (1) में मरे हुए व्यक्ति (श्री) के मरणासन्न कथनों को न्यायालय सुसंगत रूप से स्वीकार करता है बशर्ते ऐसे कथन मृत व्यक्ति (स्त्री) द्वारा अपनी मृत्यु के बारे में या उस संव्यवहार अथवा उसकी किसी परिस्थिति के बारे में किए गए हो जिसके कारण उसकी मृत्यु हुई हो। धारा 113 (ए) में यदि किसी स्त्री का पति अथवा उसके रिश्तेदार के द्वारा स्त्री के प्रति किए गए उत्पीड़न, अत्याचार जो कि मौलिक तथा परिस्थितिजन्य साक्ष्यों द्वारा प्रमाणित हो जाते हैं, तो स्त्री द्वारा की गई आत्महत्या को न्यायालय दुश्प्रेरित की गई आत्महत्या की उपधारणा कर सकेगा। धारा 113(बी) में यदि भौतिक एवं परिस्थितिजन्य साक्ष्यों द्वारा यह प्रमाणित हो जाता है कि श्री की अस्वाभाविक मृत्यु के पूर्व मृत स्त्री के पति या उसके रिश्तेदार दहेज प्राप्त करने के लिए मृत स्त्री को प्रताड़ित, उत्पीड़ित करते. सताते या अत्याचार करते थे तो न्यायालय स्त्री की अस्वाभाविक मृत्यु की उपधारणा कर सकेगा अर्थात दहेज मृत्यु मान सकेगा।
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