सामाजिक मनोविज्ञान का अर्थ एवं परिभाषाएँ - Meaning and Definitions of Social Psychology

सामाजिक मनोविज्ञान का अर्थ एवं परिभाषाएँ - Meaning and Definitions of Social Psychology

सामाजिक मनोविज्ञान समाज में मनुष्य के व्यवहार के अध्ययन से संबंधित एक नवीन विज्ञान है। इसकी परिभाषा करना आसान नहीं है। क्यो कि इसकी प्रकृति एवं विषय क्षेत्र को लेकर इसके जन्म से लेकर अब तक कई परिवर्तन हो चुके है। सामाजिक मनोविज्ञान को संक्षेप में समाजशास्त्र एवं मनोविज्ञान के मध्य का एक सीमा प्रदेश माना जाता है। समाज शास्त्रियों एवं मनोवैज्ञानिकों दोनों ने ही समाज मनोविज्ञान पर अपने अलग-अगल विषयों के उपविभाग के रूप में दावा किया है।

मोटे तौर पर समाज मनोविज्ञान को उस विषय के रूप में निरूपित किया जा सकता है जो व्यक्ति और उसके समाज या समाज में व्यक्ति के व्यवहार के अध्ययन से संबंधित है। समाजिक मनोविज्ञान विशेष कर की वह शाखा है जो व्यक्ति की प्रतिक्रियायें एवं उन संबंधों का जो सामाजिक परिस्थियों में व्यक्तियों के एक दूसरे के साथ पारस्परिक क्रिया से उत्पन्न होते हैं, अध्ययन करती है इस प्रकार इसे समाज में व्यक्ति के व्यवहार का विज्ञान या सामाजिक उद्दीपन की परिस्थति से संबंधित व्यक्ति का व्यवहार भी निरूपित किया गया है। अनेक विद्वानों ने सामाजिक मनोविज्ञान को परिभाषित करने का प्रयास किया है। सामाजिक मनोविज्ञान को विस्तृत रूप से समझने के लिए यह आवश्यक है कि हम उसकी कुछ परिभाषाओं को समझने का प्रयास करें।


मर्फी ने एक्सपरिमेंटल सोश्यल साइकोलॉजी' में लिखा है कि समाजिक मनोविज्ञान उस कार्य प्रणाली का अध्ययन करता है जिसमें कि व्यक्ति किसी सामाजिक समूह का सदस्य बनता है और उसमें कार्य सम्पादन करता है।"


एल.एल. बर्नाड ने एन साइक्लोपेडिया ऑफ सोसल साइंसेज' में इसे परिभाषित करते हुए इसे लिखा है कि “सामाजिक मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की एक शाखा के रूप में उन वैयक्तित्व प्रत्युत्तरों का अध्ययन है, जो सामाजिक अथवा सामूहिक परिस्थितियों से उत्पन्न उत्तेजनाओं से परिसीमित होते है, समाजशास्त्र अथवा सामूहिक मनोविज्ञान की एक शाखा के रूप में यह सामूहिक प्रत्युत्तरों अथवा समूहों या अन्य समुदायों के व्यवहार का अध्ययन करता है।"


उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सामाजिक मनोविज्ञान की व्याख्या मूलतः एक ऐसे विज्ञान के रूप में की जाती है जो कि व्यक्ति के मनोविज्ञान का अध्ययन उस समय करे जबकि वह स्वयं को एक सामाजिक स्थिति में जाता है। व्यक्तिगत व्यवहार उस समय जबकि व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों के साथ प्रतिक्रिया करता है, उसकी अपनी पद्वति पर निर्भर होगा, किंतु सामाजिक पर्यावरण, सामाजिक पृष्ठ भूमि एवं सामाजिक स्थितियां भी बहुत बड़ी सीमा तक उसके व्यवहार को निर्धारित करेगे। इस प्रकार इस बात की विवेचना के लिए कि व्यक्ति एक सामाजिक स्थिति में किस प्रकार का व्यवहार अपनायेगा, सामाजिक मनोविज्ञान का अध्ययन आवश्यक है।