फ्रांसीसी क्रांति से पूर्व फ्रांस की सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक पृष्ठभूमि - Social, Economic and Political Background of France before the French Revolution

फ्रांसीसी क्रांति से पूर्व फ्रांस की सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक पृष्ठभूमि - Social, Economic and Political Background of France before the French Revolution

1. सामाजिक स्थिति फ्रांसीसी क्रांति का प्रमुख कारण सामाजिक असमानता थी। जिसका कोई तार्किक आधार नहीं था। फ्रांस की तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था सामंतवादी व्यवस्था थी, जिसमें सामन्तों को सभी तरह के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक विशेषाधिकार मिले हुए थे। जब कि साधारण जनता को वे सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं थी। जिनसे वे अपनी सामान्य आवश्यकताओं को भी पूरा कर पाते। इस तरह सामंतवादी सम्पत्ति समूहों एवं विशेषाधिकारों के आधार पर फ्रांसीसी समाज निम्नलिखित तीन वर्गों में बटा था। 


क. प्रथम सम्पत्ति समूह या धर्माधिकारी वर्ग इस वर्ग में चर्च के धर्माधिकारी आते थे जिन्हें समाज में सर्वोच्च स्थान प्राप्त था। यह वर्ग धनी तथा शक्तिशाली था ये राज्य द्वारा लगाये गये सभी प्रकार के करों से मुक्त थे। और बहुत ही वैभवशाली जीवन बिताते थे । वास्तविकता में धार्मिक जीवन के बजाय राजनीतिक जीवन में इनकी रूचि अधिक थी। इस तरह इनका जीवन सांसारिक लोगो के समान था इनका नैतिक स्तर निम्न था और योग्यता साधारण थी।


ख. सामंत वर्ग- फ्रांसीसी समाज में विशेषाधिकार प्राप्त दूसरा वर्ग (इस्टेट) सामन्तो का था। चर्च के पदाधिकारियों के समान ये भी करों से मुक्त थे उच्च पदों पर इनका अधिकार था। प्रथम धनी भूस्वामी सामंत थे जो बड़ी-बड़ी जगीरों के स्वामी थे। ये बड़ी शान शौकत की जिंदगी बसर करते थे और फिजूल खर्ची इनकी पहचान थी। ये खुद कोई काम नहीं करते थे इनकी तुलना भारत के सामन्ती जमीदारों से की जा सकती है।


ग. साधारण जनता - फ्रांस की शेष बहुसंख्यक जनता तृतीय श्रेणी में थी जो कुल आबादी का 99 प्रतिशत थी। इसमें किसान, व्यापारी, कारीगर, तथा अन्य श्रमिक वर्ग के लोग आते थे। यह वर्ग विशेषाधिकारों से वंचित था राज्य के सामस्त करों का भार इसी वर्ग पर था। ये पूरे समाज के लिए अन्न उपजाते थे, परंतु स्वयं भूखो मरते थे। सरकार द्वारा कोई संरक्षण न होने से वे बड़ी कठिनाई से जीवन गुजारते थे। राजा अन्य दो वर्गो धर्माधिकारी तथा सामन्तों को खुश करने के लिए इस तीसरे वर्ग का शोषण करता था। किसानो के मुकाबले मध्यम वर्ग की दशा काफी बेहतर थी बुर्जुआ कहलाने वाले इस वर्ग में व्यापारी, बैंकर, वकील आदि शामिल थे ये लोग भी तीसरे वर्ग के अर्न्तगत आते थे।


2. राजनीतिक स्थिति फ्रांस में राजतंत्रात्मक शासन प्रणाली थी जहां राजा को सर्वोच्च स्थान प्राप्त था। राजा को यह शक्ति दैवीय अधिकार से प्राप्त था जहां राजा का दावा था कि वह ईश्वर का प्रतिनिधि है, ईश्वर द्वारा प्रदत्त अधिकारों के माध्यम से वह शासन करता है, ईश्वर को छोड़कर वह अन्य किसी के प्रति उत्तरदायी नहीं था। फ्रांस पर लगभग 200 वर्षो तक इसी निरंकुश बोर्बन वंश का शासन था जहां आम जनता को किसी प्रकार का व्यक्तिगत अधिकार प्राप्त नहीं था उसका काम केवल तरह-तरह से राजा तथा नोबल वर्ग की सेवा करना था। राजा का आदेश ही कानून था लुई 14वाँ कहता था 'मै ही राज्य हूँ' उसकी प्रजा उसके पूरे नियंत्रण में थी वह किसी को भी बन्दी बना सकता था। और किसी की भी सम्पत्ति जब्त कर सकता था। सामान्य जनता की अभिव्यक्ति पर उसका नियंत्रण था। 1974 में लुई 16वाँ फ्रांस का राजा बना जो एकदम कमजोर और प्रभावहीन शासक था।


3. आर्थिक स्थिति फ्रांस की आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय थी। राज्य का व्यय उसकी आय से बहुत से अधिक था। लुई 16वें को यह आर्थिक दिवालियापन पूर्ववर्ती राजाओं से प्राप्त हुआ था। लुई 16वें से पहले फ्रांस के राजाओं ने कई लड़ाईयां लड़ी जिससे आर्थिक रूप फ्रांस को काफी नुकसान हुआ। लुई 15वाँ राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के बजाय महाजनों से ऋण लेकर काम चलाने लगा। फ्रांस उस समय कितने गहरे संकट से गुजर रहा था इसकी व्याख्या लुई 15वें के मशहूर कथन मेरे बाद प्रलय' से स्पष्ट हो जाता है। सामंतवर्ग अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए जनता का निर्दयता से खून चूसते थे। उस समय एक कहावत प्रचलित थी सामंत युद्ध करते थे, पादरी पूजा करते थे और जनता कर देती थी' इस प्रकार जो वर्ग सबसे अधिक कर दे सकते थे वही कर मुक्त थे वहीं जो आर्थिक रूप से कमजोर थे उनसे क्रूरता पूर्वक थे कर वसूला जाता था।