यांत्रिकी एवं सावयवी एकता में विभिन्नता - Differences between Mechanical and organic Solidarity

 यांत्रिकी एवं सावयवी एकता में विभिन्नता - Differences between Mechanical and organic Solidarity


दुखम के अनुसार सामाजिक एकता सामाजिक जीवन का आधार है। आदिम समाजों में जहां पूर्ण समानता पाई जाती है और सामूहिक चेतना बलवती होती है। सामूहिक भावना के प्रति लोगों में गहरी आस्था होती है। वहां यांत्रिक एकता पाई जाती है। दूसरी और आधुनिक समाज में श्रम विभाजन और विशेषीकरण के कारण व्यक्तियों में एक दूसरे पर निर्भरता पाई जाती है। इसे दुर्खीम सावयवी एकता कहते हैं। यांत्रिकी एवं सावयवी एकता में निम्न विभिन्नता पायी जाती है -


1. यांत्रिकी एकता व्यक्ति को बिना किसी मध्यस्थ के समाज से सीधे जोड़ देती है। जबकि सावयवी एकता सदस्यों की पारस्परिक निर्भरता के कारण समाज से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ती है।


2. यांत्रिकी एकता समाज के सामूहिक रूप को प्रकट करती है। सावयवी एकता में कार्यों की विभिन्नता और विशेषीकरण पाया जाता है जो पारस्परिक संबंधों की एक निश्चित व्यवस्था को जन्म देता हैं। 


3. यांत्रिकी एकता का आधार समाज में व्याप्त समानता है तो सावयवी एकता का आधार विभिन्नता और विशिष्टता है।


4. यांत्रिकी एकता की अभिव्यक्ति दमनकारी कानूनों में होती है जबकि सावयवी एकता की प्रतिकारी कानून में। जैसे-जैसे समाजों का विकास होता है दमनकारी कानूनों का स्थान प्रतिकारी कानून लेने लगते हैं और ऐसे समाजों में सावयवी एकता पाई जाने लगती है।


5. यांत्रिक एकता सामूहिकता पर बल देती है जबकि सावयवी एकता व्यक्तिगत स्वतंत्रता और विभिन्नता पर।


6. यांत्रिक एकता की शक्ति सामूहिक चेतना में पाई जाती है जबकि सावयवी एकता की उत्पत्ति कार्यात्मक विभिन्नता पर निर्भर करती है।


7. यांत्रिकी एकता व्यक्ति और समाज के बीच में प्रत्यक्ष एवं सीधा संबंध स्थापित करती है। सावयवी एकता में व्यक्ति और समाज के बीच सीधा संबंध नहीं होता बल्कि अप्रत्यक्ष होता है और व्यक्ति विशिष्ट कार्यों के लिए एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं।


8. यांत्रिकी एकता व्यक्तित्व के विकास में बाधक और प्रतिकूल होती है क्योंकि व्यक्ति पर समूह छाया रहता है तथा वैयक्तिता शून्य हो जाती है। जबकि सावयवी एकता व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास को पूर्ण अवसर प्रदान करती है। दुर्खीम का कहना है कि सावयवी एकता वाले समाजों में प्रत्येक व्यक्ति का अपना एक कार्यक्षेत्र होता है।


9. दुखम यांत्रिकी एकता की तुलना निर्जीव एवं अचेतन वस्तुओं से करते हैं और सावयवी एकता की तुलना शरीर से की गई हैं। जिसमे प्रत्येक अंग की अपनी एक विशिष्ट रचना और स्वतंत्र एवं विशिष्ट कार्य भी होते हैं।


10. यांत्रिकी एकता जीवन से संबंधित है जो समूह जीवन का आधार होती है। सावयवी एकता में भावना के स्थान पर नियमों को अधिक महत्व दिया जाता है।