प्रतिकारी कानून - retributive law

 प्रतिकारी कानून - retributive law


आधुनिक समाज या सावयवी एकता में प्रतिकारी कानून पाया जाता है। आधुनिक समय में समाज में धन का उतना अधिक महत्व नहीं होता है जितना की व्यक्तिगत हानि का अपराधों का स्वरूप समाज के विरुद्ध होकर व्यक्ति के विरुद्ध हो जाता है। इसीलिए कानून दमनकारी न रहकर प्रतिकारी हो जाता है। इस प्रकार आधुनिक समाज में पाई जाने वाली एकता का प्रतिकारी कानून द्वारा ही प्रतिनिधित्व होता है। इस प्रकार कानून समस्त सामाजिक तथ्यों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य सामाजिक एकता का निर्देशक बन जाता है।


यहां यह वर्णन करना आवश्यक लग रहा है कि परिवर्तन का क्रम यांत्रिकी एकता से सावयवी एकता की ओर होता है।

परिवर्तन धीरे-धीरे होता है, परिवर्तन का यह क्रम यांत्रिक सामाजिक एकता से सावयवी सामाजिक एकता की ओर होता है। समाज में दमनकारी कानून की जगह प्रतिकारी कानून आ जाता है। सारोकिन ने दुर्खीम के इस विचार को स्पष्ट करते हुए लिखा है कि आदिम समाज में जनमत के बारे में दृढ़ एकमत पाया जाता था तथा यह एकता नैतिक एवं मानसिक समरूपता पर आधारित होते हुए यांत्रिक एकता का निर्माण करता है। आधुनिक समाजों में व्यक्तियों में समानता नहीं पाई जाती है बल्कि श्रम विभाजन और विशेषीकरण के आधार पर व्यक्तियों को अधिक महत्व मिलने लगता है। इस तरह समाज में पायी जाने वाली एकता का स्वरूप सावयवी हो जाता है।