अल्पसंख्यक - Minority

 अल्पसंख्यक - Minority


अनेक सांस्कृतिक विविधताओं से भरे भारतीय समाज में विभिन्न प्रकार के समूह देखने को मिलते हैं। भारत एक हिंदू प्रधान देश है तथा यहां हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों कि संख्या बहुतायत रूप में हैं, अतः भारतीय संदर्भ में हिंदुओं को बहुसंख्यक के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। जबकि मुसलमान, जैन, बौद्ध, पारसी, सिक्ख, जनजातियां तथा अन्य धर्मावलंबी समूहों को उनकी न्यून संख्या के कारण अल्पसंख्यक के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। इसी प्रकार भारत में हिन्दी भाषा को बोलने में वाले लोगों की अधिकता पायी जाती है अतः हिन्दी भाषी समूहों को बहुसंख्यक तथा अन्य भाषाओं (कश्मीरी, आसामी, मराठी, गुजराती, तमिल, उड़िया, राजस्थानी, बिहारी, मैथिली, भोजपुरी, बंगाली आदि) को बोलने वाले लोगों को अल्पसंख्यक कहा जा सकता है।


सामान्यतः अल्पसंख्यक एक ऐसा समूह है जो धर्म, भाषा तथा जाति की दृष्टि से बहुसंख्यक समुदाय से पृथक अस्तित्व में हो तथा इसकी संख्या भी कम हो।

सर्वोच्च न्यायालय ने 1957 में केरल केरल के शिक्षक विधेयक के संदर्भ में अल्पसंख्यक समूह को परिभाषित किया है। इसके अनुसार अल्पसंख्यक समूह वह है. जिसकी संख्या राज्य में 50 प्रतिशत से कम हो । अर्थात् किसी भी समूह को अल्पसंख्यक की श्रेणी में रखा जाय अथवा नहीं यह पूर्ण रूप से राज्य की संपूर्ण जनसंख्या पर निर्भर करता है। अल्पसंख्यक शब्द का प्रयोग भारतीय संविधान में किया गया है परंतु कहीं भी इसकी परिभाषा स्पष्ट तौर पर नहीं दी गई है। भारत में मुसलमान, ईसाई, सिक्ख, जैन, बौद्ध, पारसी आदि धर्मावलंबियों •एवं जनजातीय समूहों को अल्पसंख्यक माना जाता है। भाषायी दृष्टि से भारत में हिंदी भाषियों के इतर सभी भाषायी समूहों को अल्पसंख्यक समझा जाता है।


इस प्रकार से यह कहा जा सकता है कि अल्पसंख्यकों की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं यह देश, प्रांत आदि के आधार पर उनकी संख्या के अनुरूप निर्धारित होगी। सरल शब्दों में अल्पसंख्यकों को इस प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है। किसी भी समाज की जनसंख्या में जिन लोगों का प्रतिनिधित्व कम रहता है, उन लोगों को ही अल्पसंख्यक कहा जाता है।