उत्पादकता के प्रति प्रबन्ध एवं श्रमिकों का दृष्टिकोण Attitude of Management and Workers towards Productivity
उत्पादकता के प्रति प्रबन्ध एवं श्रमिकों का दृष्टिकोण Attitude of Management and Workers towards Productivity
एक सीमा, जिसे एक फर्म उत्पादकता में वृद्धि को बढ़ावा देकर अनुभव कर सकता है, यह भी प्रबन्ध एवं श्रमिकों के कार्य करने के सामान्य दृष्टिकोण पर निर्भर करेगा। कुछ तो स्वभाव से ही कार्य करने के प्रति समर्पित होते हैं। (यह बात एक अमेरिकन, एक जापानी तथा एक जर्मन के लिए सही होती है)।
उत्पादता को प्रभावित करने वाला दूसरा महत्वपूर्ण घटक " उत्पादकता से किसे लाभ होता है" (Who gains from productivity) से सम्बन्धित है। यदि श्रमिक स्पष्टतः उत्पादकता वृद्धि बढ़ाने के हकदार है
तो वे इसके लिये कार्य करेंगे। इसी प्रकार यदि बढ़ी हुई उत्पादकता कुछ श्रमिकों की छटनी का परिणाम है तथा कार्य की कोई सुरक्षा नहीं होती है तो श्रमिकों से इस उत्पादकता वृद्धि की ओर कार्य करने की आशा रखना व्यर्थ होगा। यद्यपि आइ अल ओ (ILO) के एक दल ने ठीक ही कहा है कि उत्पादकता वृद्धि के लिए सभी प्रेरणाओं को समाप्त करना उसी प्रकार होगा जिस प्रकार कुछ श्रमिकों को कार्य से हटा देना। इन श्रमिकों को अपना कार्य का परिवर्तन करना पड़ सकता है। उनके निवास स्थान को भी छोड़ना पड़ सकता है तथा घटिया रोजगार को भी अपनाना पड़ सकता है। इसीलिए उन श्रमिकों को, जिनकी छँटनी की है, के लिए उत्पादक रोजगारों में पुनरवशोषण (reabsorption) हेतु एक प्रभावपूर्ण प्रावधान बनाना अनिवार्य है।
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