शारीरिक शिक्षा की परिभाषा - sharirik shiksha se aap kya samajhte hain

शारीरिक शिक्षा की परिभाषा - definition of physical education


इ.आर. वेमैन शारीरिक शिक्षा शिक्षा की वह अवस्था है जिसमे शारीरिक क्रियाओं द्वारा व्यक्ति का शारीरिक विकास का प्रशिक्षण दिया जाता है। जे. बी. नैश – शारीरिक शिक्षा, शिक्षा के सभी क्षेत्रों की वह अवस्था है जो मांसपेशीय क्रियाओं तथा उनको अनुक्रियाओं से सम्बंधित है।


शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार


यह शारीरिक क्रियाओं द्वारा शिक्षा है। इससे बालक का सर्वांगीण विकास किया जाता है हाइसका सम्बन्ध शारीरिक दक्षता से है। इससे सामाजिक गुणों का विकास होता है, तुरंत बुद्धि विकसित होता है सहयोग, समायोजन और सम्मान की भावना का विकास होता है। यह नागरिकों के जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।


शारीरिक शिक्षा कुछ भ्रांत धारणाएं


1. यह शारीरिक प्रशिक्षण (P.T.) है।


2. यह शरीर सौष्ठव (body building) है।


3. यह खेल है।


4. यह खेल एवं सामूहिक व्यायाम है।


5. इनका एकमात्र उद्देश्य शारीरिक दक्षता है।।


शारीरिक शिक्षा का महत्व


1. नियमित शारीरिक शिक्षा से शरीर स्वस्थ रहता है।


2. व्यायाम तथा आसनों से शरीर स्वस्थ रहता है।


3.इससे व्यक्ति का वजन कम रहता हैद्यशरीर सुडौल बनता है


5. मानसिक तत्परता बनी रहती है।


6. वैयक्तिक तथा सामाजिक समायोजन बना रहता है।


4. चरित्र निर्माण होता है।


7. उत्तम नागरिक गुणों का विकास होता है।


8.अवकाश के समय का सदुपयोग होता है ।


शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य


1. छात्रों को शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम में प्रभावपूर्ण ढंग से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना ।


2. शारीरिक शिक्षा में निहित वैज्ञानिक सिद्धान्तों को समझना।


3. शरीर के विभिन्न अंगों को उत्तम जीवन शैली के लिए विकसित करना ।


4 छात्रों को,शैक्षिक अनुभवों को सफलता के लिए शारीरिक क्रियाओं को नियमित करना।


5. वांछित सामाजिक मनोवृत्तिया तथा आचरण का विकास करना।


शारीरिक शिक्षा कार्यक्रम


शारीरिक शिक्षा सम्पूर्ण शिक्षा प्रणाली का एक भाग है। यह शिक्षा दर्शन पर आधारित है। शारिरिक शिक्षा के प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं।


1. शरीर शास्त्रीय सिद्धांत (physiological theory )


1. मांसपेशिय विकास के साथ साथ गतिविकास के अधिकतम अवसर प्रदान करना


2. पाठक्रम में अभिवृद्धि तथा विकास सम्बन्धी प्रकरण जोना ।


3. शारीरिक क्षमता तथा योग्यता में अंतर का ध्यान रखना


4. शारीरिक शिक्षा कार्यक्रम में शारीरिक दक्षता ध्यान रखना ।


2. मनोवैज्ञानिक सिद्धांत (psychological)


1. शारीरिक शिक्षा कार्यक्रम स्वाभाविक खेल सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए। 2. छात्रों की आयु शारीरिक विशेषता के आधार पर क्रियाओं का चयन करना चाहिए।


3. क्रियाओंका चयन संवेगात्मक अभिव्यक्ति में सहाय्यक हो।


4. मौसम के अनुसार शारीरिक शिक्षा सम्बन्धी क्रियाओं का चयन करना चाहिए।


3. समाजशास्त्रीय (sociological) सिद्धांत


1. पाठ्यक्रम अवकाश के समय के सदुपयोग के सिद्धांतपर आधारित हो।


2. कार्यक्रम में सामाजिक व्यवस्था होनी चाहिए।