प्रबन्ध एवं प्रशासन - Management and Administration

प्रबन्ध एवं प्रशासन - Management and Administration


उत्पादकता की किस्म, उत्पादन क्षमता तथा प्रबन्ध की कल्पना शक्ति उत्पादकता निर्धारित करने में एक महत्त्वपूर्ण घटक है। उसी प्रकार प्रगतिशील प्रबन्ध निरन्तर विकास करेगा तथा सर्वदा सीखने और परिवर्तन करने की तत्परता का प्रदर्शन करेगा। उत्पादकता दल ने संयुक्त राज्य में भ्रमण के दौरान वहाँ के औद्योगिक प्रबन्ध से प्रबन्ध की कुशलता, उसमें उत्साह तकनीकी ज्ञान तथा मूल्याकन एवं नीति निर्माण की आधुनिकतम विधियों के प्रयोग करने के लिए काफी उत्साहजनक ज्ञान प्राप्त किया है। इस शीर्शक के अन्तर्गत अनेक बातें आती है- (1) उत्तरदायित्व की स्पष्टपरिभाषा ( 2 ) अधिकारों की सुपर्दगी। इसके अलावा प्रबन्ध के अन्य अनेक कार्य भी प्रत्यक्षतः उसके प्रमुख कार्यों की श्रेणी में ही रखे जा सकते हैं, जैसे- उत्पादन प्रायोजना, लागत एवं बजटरी कन्ट्रोल, सूचनाओं का आदान-प्रदान तथा अनुसन्धान आदि ।


प्रबन्ध में अधीनस्थों के लिए उत्तरदायित्व की स्पष्टपरिभाषा की आवश्यकता तथा महत्व के लिए कोई भी व्यक्ति नाकार नहीं हो सकता। इसके द्वारा किसी एक के उत्तरदायित्व को निर्धारित करने में सहायता मिलती है तथा उसी समय विशेष पर अनावश्यक संदेहों को भी दूर करता है। इससे कार्य भी आसानी से होता रहता है। एक वैज्ञानिक दृष्टि से भी कार्य एवं अधिकारों की सुपुर्दगी की आवश्यकता के बारे में प्रबलता के साथ कहा जा सकता है। यह हमें स्वतन्त्रता प्रदान करती है तथा प्रभारी व्यक्ति को पहल - शक्ति प्रदान करता है तथा शेश कार्य को कुशलता के साथ निबटाने की प्रतिक्रिया के साथ तालमेल बैठाता है।


उत्पादन आयोजना (Production Planning)- जब वास्तविक उत्पादन को आगे नियोजित ढंग से किया जाता है तो उत्पादकता अत्यधिक लाभप्रद सिद्ध हो सकती है। ऐसा इस दृष्टि से भी किया जा सकता है कि इससे एक ओर तो बर्बादी व नुकसानों में कमी आयेगी और दूसरी ओर बढ़े हुए लाभ के प्रयोगित करने से उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है तथा कुल लागतों में कमी होती है। कार्यक्रम विधियों (Programming Methods ) इत्यादि के प्रयोग के साथ एक व्यापार उत्पादन नियोजन करना, अमेरिकन प्रबन्ध का एक समन्वित भाग है। भारतीय प्रबन्ध में तो अब भी इस प्रकार के कार्यक्रम की एक आदत को बनाना अवशेष है।