उत्पादकता तथा लागत मापन - Productivity and cost Measurement
उत्पादकता तथा लागत मापन - Productivity and cost Measurement
वर्तमान समय में उत्पाद को भौतिक अथवा मूल्य रूप में मापा जा सकता है। उत्पादन को अन्तिम उत्पादित वस्तुओं एवं गौण उत्पादों के समग्र मूल्य के रूप में अथवा सामग्री एवं ईंधन के सम्मिलित मूल्य के रूप में भी मापा जा सकता है। हमारे दृष्टिकोण में सामान्यतया लागत फलन ज्ञात करने के लिए उत्पादन को भौतिक रूप मे मापना श्रेष्ठ रहता है। यदि हमें श्रम उत्पादकता या पूँजी उत्पादकता ज्ञात करनी हो तो उत्पादन को सम्मिलित मूल्य द्वारा व्यक्त करना अधिक श्रेष्ठ है। उत्पादन के मापने का प्रश्न उस समय भी उत्पन्न होता है जब एक संस्था के अन्दर विजातीय मदों को उत्पन्न करने का मुद्दा विचारणीय हो। असमानता युक्त मदों का भौतिक दृष्टि से राशिकरण या समूहीकरण (Aggregation) सम्भव नहीं होता है और न ही साधारणतया असमान उत्पादों का भौतिक दृष्टि से योग करना वांछनीय ही होता है। इस उद्देश्य के लिए उनके लिए कुछ भार निर्धारित किया जाता हैं जो उनके सापेक्षिक महत्व को व्यक्त करते हैं। भारो के निर्धारण के लिए विशेषज्ञों ने (कभी-कभी) एक इकाई उत्पादन के लिए आवश्यक श्रम घंटों को आवश्यकता उपयुक्त आधार के रूप में किया जाता है।'
उत्पादन में इस विजातीयता को निश्प्रभावित करने के लिए किसी आधार वर्ष में साधन लागत पर उत्पादन मूल्यों का भी प्रयोग किया जा सकता है। यह इस मान्यता पर आधारित है कि उत्पादन की किस्म आधार वर्ष के उत्पादन की किस्म की तुलना में परिवर्तित नहीं होगी, जिसका कि उत्पादन मूल्यों में भार के रूप में प्रयोग किया गया है।
कभी-कभी फर्मों या उद्योगों में संरचनात्मक विभिन्नताओं के कारण भी उपर्युक्त सामंजस्य नहीं होता हैं। अब दो विशेष परिकल्पनात्मक उदाहरणों को लेने पर एक उद्योग जो केवल लोहे के छड़ो- दण्डों (Rails) का उत्पादन करता है तो उसमें उस उद्योग की अपेक्षा जिसमें केवल टिन प्लेटें अथवा मिश्रित धातु की छड़ें उत्पादित की जाती हो, प्रति टन उत्पादन के अत्यधिक कम श्रम की आवश्यकता होगी।
एक पूर्णतः आयातित ठिकानों या खोखों उपससमजेद पर आधारित उद्योग (और इस प्रकार ऐसे उद्योगों में कोई बेटरीज (Coke Batteries), पिग आइरन तथा कूड स्टील उत्पादन में श्रम का कोई नियोजन नहीं किया जाता है, की तुलना, एक ऐसे उद्योग जो उपने स्वयं के पिग आइरन तथा इस्पात उत्पादन पर आधारित है, करे तो इनका तुलनात्मक विवेचन का स्वरूप ही मिथ्याजनक प्रतीत होगा। उपर्युक्त वर्णित विभिन्नताओं को निःप्रभावित करने में प्रयोगित पद्धति का उत्पादन के निजी स्तरों पर उत्पादन मापन में अभेदित करना है तथा प्रत्येक स्तर पर प्रत्येक उत्पाद के लिए उपयुक्त भार को उस उत्पाद तथा उस उत्पाद स्तर के लिए संलग्न करना है। इस प्रकार एक वृहत् संचयी भार पर विचार करना होगा। उदाहरणार्थ, एक टन छड़ या दण्ड के भार की अपेक्षा एक टन टिन प्लेट के भार को संलग्न करना अधिक उपयुक्त होगा तथा पूर्ण संघटित उद्योगों को उनके एकीकरण अर्थात् कोक बेटरीज, पिंग आइरन तथा स्टिल निर्माण आवस्थाओं आदि के लिए उचित श्रेय देना होगा।
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