उत्पादकता एवं लागत - Productivity & Cost
उत्पादकता एवं लागत - Productivity & Cost
वर्तमान समय में बाजार का आकार एवं प्रकृति उत्पादकता एवं लागत को अनेक तरह से प्रभावित करती है, जैसे:
(1) प्रति श्रमिक पूँजी की मात्रा ( The Amount of Capital per Worker)
उत्पादकता एवं प्रति श्रमिक पूँजी के बीच एक निकट का धनात्मक सम्बन्ध होता है।
(2) संयन्त्र का आकार ( Size of Plant )
संयन्त्र का आकार एवं उत्पादकता में भी धनात्मक सम्बन्ध होता है।
(3) सरलीकरण, प्रमापीकरण तथा विशेषीकरण (Simplification, Standardization and Specialization)
यदि बाजार का स्वरूप बड़ा है, सरल है, प्रमापीकृत है एवं नियमितता तथा स्थिरता युक्त है तो ऐसी अर्थव्यवस्था में सरलीकरण, प्रमापीकरण तथा विशेषीकरण को प्रोत्साहन मिलता है। सरलीकरण उत्पादों की किस्मों की संख्या तथा विविधता कम करने की प्रक्रियाओं को बतलाता है। प्रमापीकरण वस्तु के स्वरूप, रचना तथा आयाम (dimension) अथवा विनिर्माण विधि से सम्बन्धित एक प्रमाप की और निर्देश करता है। विशेषीकरण मात्र व्यर्थ की किस्मों की संख्या कम करने की ओर संकेत करता है तथा इसके परिणामस्वरूप विनिर्माण संसाधनों का संकेन्द्रण हो जाता है। संसाधनों का सकेन्द्र भी संयुक्त राज्य अमेरिका में उच्च उत्पादकता तथा निम्न लागत के प्रति उत्तरदायी हैं।
(4) क्षमता के उपयोग का स्तर (The Degree of Utilization Capacity)
सज-सज्जा (Equipment) की योजना यदि एक विशेष दर पर तैयार करने की बनाई गई है तो इससे मितव्ययिता होगी, बशर्ते कि उस योजना का संचालन निर्धारित दर पर ही किया जावे। क्षमता से नीचे स्तर पर उत्पादन करने से लागतें बढ़ती है। भारत में सार्वजनिक एवं निजी दोनों ही प्रकार के उद्योगों में उत्पादकता कम होने का एक महत्वपूर्ण कारण उत्पादन की क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं होना है।
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