उपयोगिता विश्लेषण तथा उदासीनता (तटस्थता वक्र विश्लेषण में असमानताएँ - Utility Analysis and Indifference (Inequalities in Neutrality Curve Analysis)
उपयोगिता विश्लेषण तथा उदासीनता (तटस्थता वक्र विश्लेषण में असमानताएँ - Utility Analysis and Indifference (Inequalities in Neutrality Curve Analysis)
i. मार्शल का उपयोगिता विश्लेषण गणितात्मक माप पर आधारित है, इसके विपरीत हिक्स एलेन का उदासीन वक्र विश्लेषण उपयोगिता के कमवाचक माँग पर आधारित है। उदासीनता वक्र विश्लेषण इस मान्यता पर आधारित है कि उपयोगिता या सन्तुष्टि अमापनीय है जो कि उचित है क्योंकि जैसा स्टोनियर और हेग ने कहा हैं कि," सन्तुष्टि की मात्रा का माप इतना असम्भव होता है जितना कि समुद्र धरातल के ऊपर ऊँचाई मापना।"
ii. उदासीनता वक्र विश्लेषण दो या दो से अधिक वस्तुओं के संयोग का अध्ययन करता है, जबकि उपयोगिता सिद्धान्त केवल एक वस्तु का विश्लेषण करता है।
iii. मार्शल ने उपभोक्ता के व्यवहार के विश्लेषण में यह मान लिया था कि मुद्रा की सीमान्त उपयोगिता स्थिर रहती है,
किन्तु उदासीनता वक्र विधि बिना इस मान्यता के भी सही परिणाम बताती है।
iv. मार्शल किसी वस्तु की कीमत परिवर्तन के दो महत्वपूर्ण अंगो, आय प्रभाव तथा प्रतिस्थापन प्रभाव के बीच भेद नहीं कर सके, जबकि उदासीनता विधि इन दोनों प्रभावों का बड़ी स्पष्टता से विश्लेषण करती है।
V. मार्शल गिफिन वस्तुओं की विशिष्ट स्थिति का सन्तोशजनक स्पष्टीकरण नहीं दे सके, जबकि हिक्स ने गिफिन के विरोधाभास को भली प्रकार स्पष्ट किया हैं।
1. उपयोगिता के संख्यात्मक माप का परित्याग - उदासीनता वक्र विश्लेषण में आधार पर उपभोक्ता के आचरण की अधिक वैज्ञानिक व्याख्या होती है,
क्योंकि इनके निर्माण में उपयोगिता की संख्यात्मक माप की आवश्यकता नहीं होती, जबकि मार्शल का उपयोगिता विश्लेषण परिणात्मक मापन पर आधारित है जो अत्यन्त अस्पष्ट व अवास्तविक है। इसका कारण यह है कि उपयोगिता एक परिवर्तनशील मानसिक भावना है जो कि व्यक्तियों और समय के साथ बदलती रहती है।
2. मुद्रा की स्थिर सीमान्त उपयोगिता की मान्यता से मुक्ति - मार्शल का उपयोगिता विश्लेषण द्रव्य की स्थिर सीमान्त उपयोगिता की अवास्तविक मान्यता पर आधारित है। लेकिन उदासीनता वक्र विश्लेषण मुद्रा की स्थिर सीमान्त उपयोगिता की मान्यता पर आधारित नहीं है। सत्य तो यह है कि उदासीनता वक्र विश्लेषण में मुद्र की सीमान्त उपयोगिता को स्थिर मान लेना आवश्यक ही नहीं है क्योंकि यह विश्लेषण क्रम सूचक उपयोगिता पर आधारित है।
3. यह विधि दो या दो से अधिक वस्तुओं के संयोगों का अध्ययन करती है- उपयोगिता सिद्धान्त केवल एक वस्तु का विश्लेषण करता है जिसमें एक वस्तु की उपयोगिता को दूसरी वस्तु की उपयोगिता से स्वतन्त्र मान लिया जाता है। उदासीनता वक्र विधि एक से अधिक वस्तुओं के विश्लेषण की तकनीक है जो प्रतियोगी तथा पूरक सभी प्रकार की वस्तुओं के सम्बन्ध में उपभोक्ता के व्यवहार का अध्ययन करती है।
4 यह विधि मूल्य प्रभाव तथा प्रतिस्थापन प्रभाव की व्याख्या करती है - मार्शल के उपयोगिता विश्लेषण में यह कमी है कि वह किसी वस्तु के मूल्य में परिवर्तन होने से होने वाले आय प्रभाव तथा प्रतिस्थापन प्रभावों की उपेक्षा करता है। उदासीनता वक्र विधि किसी वस्तु के मूल्य परिवर्तन के प्रभावों को दो भागों में विभक्त कर प्रतिस्थापन प्रभाव तथा आय प्रभाव का विश्लेषण करता है।
जब किसी वस्तु का मूल्य कम हो जाता है तो उससे प्रथम उपभोक्ता की वास्तविक आय बढ़ जाती जिसके परिणामस्वरूप उपभोक्ता उस वस्तु को अन्य वस्तुओं के स्थान पर प्रयोग करने लगता है, यह प्रतिस्थापन प्रभाव होता है। इस विधि में मूल्य परिवर्तन के प्रभावों को आय तथा प्रतिस्थापन प्रभावों में विभाजित करके अध्ययन किया जाता है।
( 5 ) हासमान सीमान्त उपयोगिता नियम की मान्यताओं के बिना व्याख्या करता है- उपयोगिता विश्लेषण ह्यसमान सीमान्त उपयोगिता का प्रतिपादन करता है जो सब प्रकार की वस्तुओं तथा मुद्रा पर भी क्रियाशील होता है क्योंकि यह सिद्धात संख्या सूचक माप पर आधारित है इसलिए उस विश्लेषण के सभी दोष इस नियम में निहित है।
उदासीनता सिद्धान्त में इस नियम का स्थान ह्यसमान सीमान्त प्रतिस्थापन दर के नियम ने ले लिया है। हिक्स के अनुसार यह एक वैज्ञानिक सिद्धान्त है और साथ ही उपयोगिता विश्लेषण के मनोवैज्ञानिक मात्रात्मक माप से मुक्त है। इस नियम के उपभोग, उत्पादन और वितरण के क्षेत्र में प्रयोग ने अर्थशास्त्र को अधिक वास्तविक बना दिया है।
( 6 ) माँग का एक अधिक व्यापक सिद्धान्त निर्मित करने में सहायक - मार्शल के माँग के उपयोगिता विश्लेषण की तुलना में उदासीन वक्र विधि माँग के नियम की अधिक व्यापक तथा समुचित व्याख्या करने में सहायक है। उदासीनता वक्र विश्लेषण उपयोगिता विश्लेषण की मनोवैज्ञानिक धारणाओं से मुक्त हैं। यह मूल्य परिवर्तन के प्रभाव को (i) आय प्रभाव तथा (ii) प्रतिस्थापन प्रभाव से विभक्त करता है।
इसलिए इसके आधार पर हमें माँग का अधिक व्यापक एवं समूचित नियम प्राप्त होता है। मार्शल का माँग का नियम गिफिन वस्तुओं के मूल्यों में कमी होने पर उनकी माँग में कमी होने को स्पष्ट नहीं करता जबकि उदसीनता प्रभाव से विभाजित करके स्पष्ट किया जा सकता है उदासीनता वक्र विधि के अनुसार
(i) जब मूल्य परिवर्तन से आय प्रभाव धनात्मक अथवा शून्य होता है तब वस्तु के मूल्य तथा माँग में विपरीत सम्बन्ध होता है।
(ii) जब मूल्य परिवर्तन से धनात्मक प्रतिस्थापन प्रभाव ऋणात्मक आय प्रभाव की है।
(iii) जब मूल्य परिवर्तन से धनात्मक प्रतिस्थापन प्रभाव की तुलना में ऋणात्मक आय प्रभाव अधिक शक्तिशाली होता है तब वस्तु के मूल्य तथा माँग में प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है।
(iv) मार्शल के नियम स्थिती की व्याख्या नहीं करता जबकि उदासीनता वक्र विश्लेषण इन तीनों स्थितियों की व्याख्या करता है।
(7) मूल्य परिवर्तन से आय तथा कल्याण सम्बन्धी परिणामों की श्रेष्ठ व्याख्या - उदासीनता वक्र की सहायता से किसी वस्तु के वस्तु के मूल्य परिवर्तन के कल्याणात्मक परिणामों को आय परिवर्तन के परिणामों में परिवर्तित किया जा सकता है। जब किसी वस्तु या सेवा के मूल्य में बाजार में कमी आती है तो उसके परिणामस्वरूप उपभोक्ता कल्याण के निम्न स्तर से उच्च स्तर पर चला जाता है। इसके विपरीत बाजार में किसी वस्तु या सेवा के मूल्य में वृद्धि होने पर उपभोक्ता कल्याण के उच्च स्तर से निम्न स्तर पर चला जाता है। अतः किसी वस्तु या वास्तविक आय में हुए परिवर्तन के अनुरूप होते हैं, अर्थात् एक उपभोक्ता कल्याण के उच्च स्तर पर पहुँचने की कल्पना वस्तु अथवा सेवा के मूल्य में कमी के स्थान पर आय में वृद्धि के द्वारा भी सम्भव है।
8. उदासीनता वक्र विश्लेषण - बहुत कम मान्यताओं पर आधारित होने के कारण इस विश्लेषण के निष्कर्ष उपयोगिता विश्लेषण से ज्यादा सही होती हैं।
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