दीर्घकालीन लागत वक्र , परिभाषा - Long-run cost curve , definition
दीर्घकालीन लागत वक्र , परिभाषा - Long-run cost curve , definition
प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र के अध्ययन की दृष्टि से दीर्घकाल वह समयावधि होती है जिसमें उत्पादन के समस्त साधनों में आवश्यकतानुसार परिवर्तन किये जा सकते हैं। दीर्घकाल की एक प्रमुख विशेष ता यह होती है कि इस अवधि में सभी उत्पादन के साधन परिवर्तनशील होते हैं अर्थात् कोई भी उत्पादन का साधन स्थिर नहीं रहता है। दीर्घकाल में उत्पादन के नये पैमाने को अपना सकती हैं तथा पुराने पैमाने को छोड़ सकती हैं। दीर्घकाल में यह सम्भव है कि एक उद्योग में कुछ नई फर्मे प्रवेश ले लें तथा पुरानी फर्मों उद्योग छोड़ कर बहिर्गमन कर लें। दीर्घकाल की अवधि में पूर्ति को पूर्णरूप से माँग के अनुसार समायोजित किया जा सकता है, अतः दीर्घकाल में मूल्य निर्धारित करते समय फर्मे परिवर्तनशील लागत तथा स्थिर लागत इन दोनों पर विचार करती हैं
अर्थात् मूल्य निर्धारण का आधार कुल लागत होती हैं। पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति में दीर्घकाल में एक फर्म को केवल सामान्य लाभ ही होता है। दीर्घकाल में माँग व पूर्ति के सन्तुलन को दीर्घकालीन सन्तुलन तथा मूल्य को दीर्घकालीन मूल्य कहते हैं।
परिभाषा
दीर्घकाल को वैकल्पिक अल्पकालीन स्थितियों, जिनमें से किसी में भी फर्म प्रवेश कर सकती है, की श्रृंखला के रूप में देखना ज्यादा उपयोगी होगा। दीर्घकाल की तुलना चलचित्र के किया अनुक्रम से की जा सकती है। यदि हम चलचित्र को रोककर केवल एक चित्र देखते हैं तो हमारे समक्ष केवल अल्पकाल की धारणा ही रह जाती है।"
-लेफ्टविच
दीर्घकाल नियोजन- क्षितिज होता है।
समस्त उत्पादन, वास्तव में समस्त आर्थिक क्रिया, अल्पकाल में घटित होती है। इस प्रकार दीर्घकाल समस्त सम्भव अल्पकालीन स्थितियों से बनता है जिनमें से एक आर्थिक साधन का चुनाव करना पड़ता है।"
- फर्ग्यूसन
" अनेक अल्पकालों के योग को ही दीर्घकाल कहते हैं।"
-डॉ. एन. के. शर्मा
उपर्युक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि दीर्घकाल में कम्पनी अपने उत्पादन का पैमाना भी बदल सकती है। यह सत्य है कि साधारणतया उत्पादक अल्पकालीन लागतों पर ही ध्यान देता है क्योंकि ऐसा करना ही व्यावहारिक होता है, किन्तु अल्पकालीन लागतों पर ही ध्यान देता है क्योंकि ऐसा करना ही व्यावहारिक होता है, किन्तु फिर भी कम्पनी उद्योग के आकार के सम्बन्ध में निर्णय लेते समय उसकी भावी सम्भावनाओं का भी ध्यान रखा जाता है। इसी कारण दीर्घकाल को नियोजित काल भी कहते हैं तथा दीर्घकालीन लागत वक्र फर्म तथा संयन्त्र के आकार के लिये नियोजित वक्र' कही जाती हैं। दीर्घकालीन आर्थिक विश्लेषण में औसत लागत वक्र एवं सीमान्त लागत चक्र अधिक उपयोगी वक्र माने जाते हैं, अतः इन्हीं लागत वक्रों का दीर्घकालीन अध्ययन में उपयोग होता है।
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