एक सफल विक्रेता के गुण - Qualities of a Successful Seller

एक सफल विक्रेता के गुण - Qualities of a Successful Seller


एक सफल विक्रेता में बिल्ली की सी उत्सुकता, कवि के समान चातुर्य, गंगाजल के समान पवित्रता, शिशु की भाँति मैत्री, फुटबाल की खिलाड़ी की भांति सक्रियता तथा स्त्री की भांति पतिव्रता एवं धैर्य होना चाहिए। अन्य शब्दों में ये कहा जा सकता है कि विक्रेता में विभिन्न स्थितियों में कार्य करने हेतु अनेक गुणो का समावेश होना चाहिए। एक अध्ययन में विक्रयकर्ताओं के निम्नलिखित गुण महत्वपूर्ण माने गये हैं


1. वह विक्रय क्षेत्र में विशिष्ट ज्ञान एवं योग्यता रखता हो।


2. वह अपने विक्रय कार्य में उच्च नैतिक मापदण्डों व आदर्शों का पालन करता हो।


3. वह अपने कार्य में पूर्णत: दक्ष हो ।


4. उसका विक्रय ज्ञान एवं अध्ययन गहन एवं पूर्ण हो ।


5. अपने उत्तरदायित्वों के प्रति सजग हो।


6. उसे विक्रय क्षेत्र में पर्याप्त अनुभव हो तथा सदैव नई तकनीकी, नई खोजो, नये साहित्य का जिज्ञासु


रहता हो।


7. वह अपने पेशे, कार्य एवं संस्था के लिए निष्ठावान हो। तथा अपने आत्मसम्मान एवं स्वतंत्रता की


रक्षा करता हो।


8. वह जानता हो कि विक्रय का आशय सेवा करना है।


अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से सफल विक्रेता के गुणों को निम्न प्रमुख शीर्षकों बांटा जाता है।


1. शारीरिक गुण


शारीरिक दृष्टि से एक सफल विक्रेता में निम्नलिखित गुण होने चाहिए


1. उत्तम स्वास्थ्य विक्रेता का स्वास्थ्य उत्तम होना चाहिए। स्वास्थ्य ठीक न होने पर वह अपने कर्तव्यों का निर्वाह ठीक प्रकार से नही कर सकता है। अनेक बार स्वास्थ्य खराब होने पर हीनता की भावना आ जाती है।

2. कार्य शक्ति - विक्रेता में कार्य करने की पर्याप्त शक्ति होनी चाहिए। दुकान पर या घूमने पर दोनों दशा में आठ-दस घण्टे तक कार्य करना पड़ता है। कभी-कभी लगातार ग्राहकों का आगमन लगा रहता है। अतः उसमें अपने कार्य को करने की पर्याप्त शक्ति होनी चाहिए।


3. सुदृश्य एक विक्रेता को सुदृढ़ होना चाहिए। अच्छा दिखने वाला विक्रेता ग्राहकों को आकर्षित करता है उसकी पोशाक का भी उसके ऊपर प्रभाव पड़ता है। विक्रेता की सफलता के लिए उसका सुदृश्य होना जरुरी है।


4. प्रसन्न मुखमुद्रा - विक्रेता को प्रसन्न तथा हँसमुख होना चाहिए। बहुत चिड़चिड़ापन और गम्भीर मुद्रा


ग्राहकों को निरुत्साहित करता है। ग्राहकों से बातचीत करते समय उसको प्रसन्न रहना चाहिए। विक्रय


कर्ता प्रसन्न होता है तो ग्राहक भी प्रसन्न होते है। 5. पोशाक - विक्रेता की पोशाक भी उपयुक्त होनी चाहिए। खराब पोशाक उसके व्यक्तित्व को दबाते है। अत: विक्रेता को पोशाक साफ सुधरी तथा आकर्षक होनी चाहिए।


6. स्फूर्ति - विक्रेता स्फूर्ति वाला होना चाहिए। ग्राहकों पर तुरन्त ध्यान देने वाला तथा उनकी वांछित वस्तु को शीघ्रता से निकालने वाला हो। उसमें ग्राहकों का समय भी कम लगता है तथा ज्यादा ग्राहकों से


सम्पर्क किया जा सकता है। आलसी विक्रेता से ग्राहक प्रभावित नही होते।

7. मधुर वाणी- विक्रेता की वाणी मधुर एवं स्पष्ट होनी चाहिए। विक्रेता की बात करने की शैली भी स्वाभाविक बातचीत करने वाली होनी चाहिए। मधुर वाणी एवं स्वाभाविक भाषा-शैली होने से ग्राहक


बातचीत में आनन्द होता है।


II. मानसिक गुण


मानसिक दृष्टि से एक सफल विक्रेता में निम्नलिखित गुण होने चाहिए


1. कल्पनाशील - विक्रेता में कल्पना शक्ति होनी चाहिए। ग्राहक के दुकान में प्रवेश करते ही ग्राहक की बात समझने तथा उपयुक्त वस्तु बताने हेतु कल्पना शक्ति होनी चाहिए।

\ग्राहक की आर्थिक तथा सामाजिक स्थिति का अनुमान लगाना भी कल्पना शक्ति के आधार पर होता है।


2. दूरदर्शी विक्रेता को दूरदर्शी होना चाहिए। ग्राहक द्वारा की जाने वाली आलोचनाओं का पहले से ही बुद्धिमानी से खण्डन कर देना चाहिए। यदि क्रेता कोई वस्तु खरीदता है और क्रेता को उस वस्तु के प्रयोग में कठिनाइयां आती है तो उसे पहले से ही क्रेता को सावधान कर देना चाहिए।


3. निर्णय क्षमता विक्रेता को निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए। किस स्थिति में ग्राहक के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, कई वैकल्पिक वस्तुओं में कौन सी वस्तु ग्राहक को अधिक उपयुक्त होगी, ग्राहक को उधार विक्रय किया जाए या नही आदि महत्वपूर्ण निर्णय तुरन्त लेने होते हैं।


4. सतर्क - एक विक्रेता को हमेशा सर्तक रहना चाहिये। ग्राहक के आते ही उस पर ध्यान देना चाहिए तथा उसके विचारो के प्रति सतर्क रहना चाहिए जिससे ग्राहक के दृष्टिकोण को समझा जा सके तथा उसकी शंकाओं का समाधान हो सके। कुछ निम्न स्तर के लोग ग्राहक बनकर माल चुराने आ जाते है उससे बचने के लिए भी सतर्क रहना आवश्यक है।


5. आशावादी- विक्रेता को आशावादी होना चाहिए। बहुत से ग्राहक माल देखने में ज्यादे समय लेते है तथा माल भी नही खरीदते। किसी-किसी दिन कम विक्रय होता है जिससे निराश होने की आवश्यकता नही है। अतः उसे आशावादी तथा ग्राहकों के साथ सम्मानपूर्ण व्यवहार करते रहना


चाहिए।


6. आत्मविश्वास - विक्रेता में आत्मविश्वास का गुण होना चाहिए। अपने व्यवसाय व अपने कथन तथा माल के प्रति पूर्ण विश्वास होना चाहिए तथा ग्राहको से सम्पर्क करते समय पूर्ण आत्मविश्वास के साथ व्यवहार करना चाहिए।


7. परिपक्वता विक्रेता के विचारों में परिपक्वता होनी चाहिए। गैर जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार उसे नही करनी चाहिए। किसी ग्राहक की आलोचना से उत्तेजित होना तथा चिढ़ना ठीक नही होता। उसे संजीदगी से व्यवहार करना चाहिए।


8. निर्भरता विक्रेता का आचरण एवं कथन ऐसा होना चाहिए कि जिस पर ग्राहक सरलता से निर्भर होकर कार्य कर सके। क्रेता सदैव ऐसे विक्रेता का स्वागत करते है जिस पर वे निश्चित होकर निर्भर हो सकते हैं।


III. सामाजिक गुण


सामाजिक दृष्टि से विक्रेता में निम्नलिखित गुण होने चाहिए।


1. सहयोगी विक्रेता को सफलता प्राप्त करने के लिए सहयोगी होना चाहिए। अतः अपने उच्च अधिकारियों, नियोक्ताओं, सहयोगियों एवं ग्राहकों के साथ सहयोग करना चाहिए। इससे उसे अन्य पक्षों का भी पूर्ण सहयोग प्राप्त होता है तथा विक्रय कार्य में अधिक सफलता प्राप्त होती है।


2. मिलनसार विक्रेता को अपने नये पुराने ग्राहको से मिलने में रुचि लेनी चाहिए। परिस्थिति के


अनुसार ग्राहकों के


सुख-दुख


के अवसरों पर मिलकर संवेदना तथा बधाइयाँ देनी चाहिए। इससे


उसके और ग्राहक के मध्य घनिष्ठता बढ़ती है तथा स्थायी ग्राहक बनाने में सफलता मिलती है।


3. ईर्ष्या- द्वेष से रहित - विक्रेता को ईर्ष्या-द्वेष से रहित होना चाहिए।

अपने किसी ग्राहक के द्वारा अन्य स्थान से माल खरीदने पर उसे ईर्ष्या और घृणा नही करना चाहिये। अन्य विक्रेताओं के साथ भी द्वेष पूर्ण व्यवहार नही अपनाना चाहिये। अनावश्यक एक दूसरे की आलोचना एवं बुराई से ग्राहको पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।


4. ईमानदार विक्रेता कपट द्वारा ग्राहकों को ढगने वाला नही होना चाहिए। उसे पूर्ण इमानदारी तथा सत्यता के साथ अपने विचार प्रकट करना चाहिए। ग्राहको द्वारा प्रकट किये विचारो के आधार पर उपयुक्त वस्तु देनी चाहिए तथा उचित मूल्य लेना चाहिए।


5. सामाजिक दायित्व की भावना विक्रेता में सामाजिक दायित्व की भावना होनी चाहिए। उन्हें अच्छी किस्म की वस्तुयें रखनी चाहिए, सही कीमत लेनी चाहिए तथा ग्राहक का शोषण करने की भावना से कृत्रिम भाव उत्पन्न नही करना चाहिए।


6. अच्छा चरित्र - विक्रेता का चरित्र अच्छा होना चाहिए। बालक, स्त्रियाँ, वृद्ध आदि विभिन्न प्रकार के ग्राहक उसके पास आते है। उसे उनके साथ सही व्यवहार करना चाहिए तथा उससे अनुचित लाभ लेने का प्रयास नही करना चाहिए। महिलाओं के साथ व्यवहार करने में शालीनता एवं शिष्टता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।


7. सामाजिक भद्रता शिष्ट एवं शालीन विक्रेता अपने साक्षात्कार में सामाजिक मर्यादाओं, प्रथाओं व


नियमो का पूर्ण ध्यान रखता है।


8. सन्तुलन - विक्रेता को ग्राहक के साथ हर प्रकार का सन्तुलन बनाये रखना चाहिए। चाहे वह शारीरिक हो, मानसिक तथा भावात्मक हो। संतुलित विक्रेता ग्राहक की आलोचनाओं व टीका टिप्पणियों, प्रशंसा निराश और सफलता से जरा भी प्रभावित नही होते हैं। IV. व्यवसायिक गुण


व्यवसायिक दृष्टि से एक सफल विक्रेता में निम्नलिखित गुण होने चाहिए


1. शिक्षित एवं प्रशिक्षित विक्रेता को शिक्षित तथा निर्णय लेने में प्रशिक्षित होना चाहिए। शिक्षित होने से उसमें समस्याओं को समझने एवं निर्णय लेने में सुविधा होती है। विक्रय कला के सिद्धान्त एवं नियमों की जानकारी होने से वह विक्रय कार्य में सफलता प्राप्त करता है।


2. अभिरुचि - विक्रेता में अपने कार्य के प्रति स्वभाविक अभिरुचि होनी चाहिए। विक्रय करने की नैसर्गिक प्रवृत्ति होने से वह ग्राहकों में अधिक रुचि लेता है तथा प्रसन्नता से उनके साथ व्यवहार करता है। इस गुण के न होने पर अपने कार्य के प्रति वह उदासीन रहता है।


3. व्यापारिक कानून का ज्ञान विक्रेता में व्यवसाय से संबंधित नियमों का ज्ञान भी होना चाहिए। वस्तु विक्रय-अधिनियम, साझेदारी, कर निर्धारण, विनिमय साध्य विलेख व विक्रय और अधिनियम आदि की जानकारी होनी चाहिए। इससे वह अधिनियम संबंधी त्रुटियां नहीं करता है।


4. लेखा कर्म का ज्ञान विक्रेता को सामान्य हिसाब-किताब तथा लेखा विधि का ज्ञान होना चाहिए। इससे उसे वस्तुओ का मूल्य लगाने तथा हिसाब रखने में सुविधा होती है।


5. ग्राहकों का ज्ञान विक्रेता को व्यवसाय से संबंधित ग्राहको का भी पूर्ण ज्ञान होना चाहिए। ग्राहको के स्वभाव, प्रकृति एवं उसके क्रय करने के उद्देश्य आदि का ज्ञान विक्रेता को अधिक विक्रय करने में सहायता करता है।