आंतरिक और बाहरी इक्विटी - internal and external equity
आंतरिक और बाहरी इक्विटी - internal and external equity
संगठन के द्वारा वेतन प्रणाली संगठन के कार्य कर रहे विभिन्न कर्मचारियों द्वारा किए जाने वाले कार्यों के मूल्य बताती है। भुगतान इक्विटी से अभिप्राय कार्यों तथा कार्य करने वाले कर्मचारियों के बीच समानता लेकर आना है। संगठन में प्रत्येक कार्य के लिए मूल्य निर्धारित किया जाता है। ये मूल्य वेतन का निर्धारण करते है। आजकल सभी संगठनों के लिए यह चुनौती है कि कार्य मूल्य कैसे निर्धारित किया जाए। सामान्य शब्दों में, प्रत्येक कार्य को मूल्य दिया जाता है जिसके द्वारा वेतन का निर्धारण होता है।
आंतरिक इक्किटी:- इससे अभिप्राय कार्यों को उनकी कीमत या मूल्यों के आधार पर क्रमाकित करना है।
अन्य शब्दों में इससे अभिप्राय कार्य क्रम तथा कार्य के मध्य संबंध स्थापित कारण, अलग-अलग स्तर के कर्मचारियों के लिए वेतन का निर्धारण करना। इसका अभिप्राय कर्मचारियों को उनके प्रयत्नों, दक्षताओं व क्षमताओं का उचित मोल प्रदान करना है। आंतरिक इक्विटी कार्य मूल्यांकन पर आधारित होता है। एक संगठन उच्च स्तरीय प्रबंधक का वेतन एक क्षेत्रीय प्रबंधक से ज्यादा होता है और सुपरवाईजर का उनसे कम ।
आंतरिक इक्विटी एक ही संगठन के अंतर्गत विभिन्न दक्षताओं व कार्य के अनुसार भिन्न-भिन्न कर्मचारियों को भिन्न-भिन्न वेतन देने से है। आंतरिक इक्विटी में दो चरण शामिल होते है।
• कार्य अध्ययन - कार्य से संबंधित आंकडे एकत्रित करना ।
• कार्य मूल्यांकन - कार्यों का मूल्यांकन ।
आंतरिक इक्विटी के लाभ
(1) भेदभाव से बचाव:- आंतरिक इक्विटी के कारण कर्मचारियों के पद के अनुसार वेतन होने से भेदभाव से बचाव होता है।
(2) स्पष्टताः - कर्मचारियों को पद के अनुसार वेतन की स्पष्टता होती है।
(3) टीम का निर्माण: - कर्मचारियों के पदों व उसके अनुसार वेतन निर्धारण से टीम का निर्माण आसान हो जाता है।
(4) उचित मापकः - कर्मचारियों के पदों के उचित मापक प्रदान हो जाते है।
बाहरी इक्विटी:- बाहरी इक्विटी के अंतर्गत संगठन में वेतन का निर्धारण प्रतिस्पर्धी द्वारा कर्मचारियों को प्रदान किए जाने वाले वेतनों के अनुरूप की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य नए प्रतिभा को संगठन में अर्पित करने से है।
लाभ:-
(1) प्रतियोगियों के साथ:- बाहरी इक्विटी से संगठन प्रतियोगी के अनुसार उन्हें पूर्ण प्रतियोगिता दे सकता है।
(2) प्रतिस्पर्धा मूल्य: - इस प्रणाली के द्वारा प्रतियोगियों के मूल्यों का पता चलता है।
(3) अनुसंधानः - इस प्रणाली के द्वारा प्रतियोगी अनुसंधान संभव होता है।
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