विकेंद्रिकरण की मात्रा को प्रभावित करने वाले तत्व - Factors Affecting the Degree of Decentralization

विकेंद्रिकरण की मात्रा को प्रभावित करने वाले तत्व - Factors Affecting the Degree of Decentralization


एक संगठन के विकेंद्रिकरण की मात्रा निम्नलिखित तत्वों से प्रभावित होती है: संगठन का आकार संगठन का आकार विकेंद्रिकरण की मात्रा को प्रभावित करने वाला एक मुख्य घटक है। संगठन के आकार का निर्धारण विक्रय की मात्रा, कर्मचारियों की संख्या, मशीनों की संख्या आदि पर निर्भर करती है। संगठन में इनकी मात्रा जितनी अधिक होगी संगठन का आकार उतना ही अधिक बड़ा होगा और वहां विकेंद्रिकरण की आवश्यकता पड़ेगी।


(ii) प्रबंधकीय दृष्टिकोण: विकेंद्रिकरण की मात्रा बहुत कुछ उच्च प्रबंधकों के दृष्टिकोण पर निर्भर करती है। यदि प्रबन्धक तानाशाह प्रकृति के हैं

तो ये अधिकतर अधिकार अपने पास ही रखना चाहेंगे और परिणामस्वरूप विकेंद्रिकरण कम होगा। इसके विपरीत, यदि वे प्रजातान्त्रिक दृष्टिकोण रखते हैं तो विकेंद्रिकरण अधिक होगा।


(iii) संगठन का इतिहास यदि संस्था का कारेबार आरंभ से ही बड़े पैमाने पर स्थापित किया जाता है तो अधिक विकेंद्रिकरण पाया जाएगा। इसके विपरीत, यदि संस्था का इतिहास धीरे-धीरे विकास करने का है तो विकेंद्रिकरण कम पाया जाएगा क्योंकि ऐसी संस्थाओं में उच्च अधिकारियों का हस्तक्षेप पहले से अधिक रहता है और उसकी यह आदत बन जाती है।


(iv) योग्य अधीनस्थों की उपलब्धताः यदि संस्था में योग्य एवं प्रशिक्षित अधीनस्थ कर्मचारी उपलब्ध हैं

तो विकेंद्रिकरण की मात्रा अधिक होगी क्योंकि उच्च अधिकारी निर्णय लेने के अधिकार अधीनस्थों को सौपने में कोई जोखिम नहीं समझेंगे। इसके विपरीत, यदि योग्य अधिनस्थों की कमी है तो विकेंद्रिकरण कम होगा।


(v) नियंत्रण की तकनीकः यदि संगठन में अच्छी नियंत्रण तकनीकें लागू हैं तो उच्च प्रबन्धक विकेंद्रिकरण के इच्छुक होंगे, क्योंकि अच्छी नियंत्रण व्यवस्था के कारण गलत निर्णय लेने के संभावना कम हो जाती है।


(vi) निर्णयों में जोखिम यदि संस्था में लिए जाने वाले अधिकतर निर्णय जोखिमपूर्ण हैं तो उच्च प्रबन्धकों में विकेंद्रिकरण की प्रवृत्ति कम पाई जाएगी। इसके विपरीत, यदि ज्यादातर निर्णय जोखिम रहित हैं

अर्थात सस्ते हैं तो विकेंद्रिकरण की मात्रा अधिक होगी।


(vii) विभिन्नीकरण की सीमा एक ऐसी संस्था जिसमें अनेक वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है और उसके कारोबार का फैलाव अधिक है तो विकेंद्रिकरण अधिक होगा, क्योंकि अलग-अलग वस्तुओं के उत्पादन एवं विक्रय हेतु अलग-अलग स्वतंत्र इकाईयों का निर्माण करना होगा। ऐसा करने से निर्णय अच्छे व शीघ्रता से लिए जा सकेंगे।


(viii) सरकारी हस्तक्षेप: सरकारी हस्तक्षेप जितना अधिक होगा विकेंद्रिकरण की मात्रा उतनी ही कम होगा, क्योंकि सरकार नीतियों को केन्द्रित स्तर के प्रयास से सरलता से लागू किया जा सकता है।


(ix) गतिशील वातावरणः जिस संस्था के कारोबार में अधिक अनिश्चितता (तकनीक, मांग, बाजार आदि में लगातार परिवर्तन होना) पाई जाती है उनमें विकेंद्रिकरण का अधिक महत्व है, क्योंकि बदलती परिस्थितियों का सामना पूरा संगठन एक साथ मिलकर ही कर सकता है और संगठन में एकता तभी होगी जब सभी को निर्णयों के अधिकार दिए गए हों। इसके विपरीत, स्थाई वातावरण में चलने वाले व्यवसायों में विकेंद्रिकरण कम पाया जाता है।


(x) नीतियों में समरुपता की आवश्यकता विकेंद्रिकरण की मात्रा इस बात पर भी निर्भर करती है कि उच्च प्रबन्धकों द्वारा नीतियों की समरुपता को कितना महत्व दिया जाता है। यदि सभी विभागों के लिए एक जैसी नीतियां बनाना जरुरी है तो विकेंद्रिकरण कम होगा।