इतिहास में महिलाओं का चित्रण और उसकी सीमाएँ - Representation of women in history and its limitations

इतिहास में महिलाओं का चित्रण और उसकी सीमाएँ - Representation of women in history and its limitations


इतिहास में इसकी पड़ताल शुरु करने पर स्त्रीवादी इतिहासकारों ने अलग अलग काल खंडों में महिलाओं के बारे में ऐतिहासिक जानकारी इतिहास के लिखित ग्रंथों के माध्यम से जुटानी शुरू की। उन ग्रंथों में महिलाओं के संदर्भ में जानकारी की काफी सीमाएँ रहीं। अमूमन इतिहास की पुस्तकों में महिलाओं के बारे में जानकारी का अभाव था। टोकन के तौर पर सिर्फ रजिया सुल्तान, नूरजहाँ, मुमताज महल जैसी कुछ ही महिलाओं के राजसी ठाठबाट भरे जीवन का ही जिक्र मिला और वो भी बहुत सीमित प्राचीन इतिहास की जानकारी के स्रोत अधिकांशतः धार्मिक ग्रंथ थे, जो कि पुरुष प्रधान थे। इतिहास की ज्ञान संपदा में ज्यादातर राजाओं,

उच्च जातीय अमीर पुरुषों द्वारा किए युद्धों, उनकी संपत्ति और उनके द्वारा किए गए विभिन्न कार्यों के ही जिक्र ज्यादा मिले। स्त्रियों, दलितों, किसानों आदि पर बहुत ही सीमित जानकारी की प्राप्ति हुई। इसका एक बड़ा कारण ज्ञान के ऊपर उच्च जातीय, उच्च वर्गीय पुरुषों का ही नियंत्रण रहा, जिन्होंने ज्ञान का निर्माण अपनी सत्ता और विजय गाथा को आगे आने वाली पीढियों तक पहुँचाने के लिए किया। इस कार्य से सत्ताहीन लोग जिनमें महिलाएँ और दलित शामिल थे, दूर रखे गए। जिन हाशिए के लोगों ने ज्ञान प्राप्त करने के प्रयास भी किए, उन्हें दंड या उसकी धमकी भी दी गई। शम्बूक, एकलव्य, गार्गी इसके बड़े उदाहरण हैं (चक्रवर्ती, जाति समाज में पितृसता, 2011 ) शिक्षा की प्राप्ति हाशिए के लिए दिवा स्वप्न की तरह ही रही।


सामान्यतौर पर इतिहास में महिलाओं की उपस्थिति को देखने के लिए यदि हम मानव विकास के इतिहास के वर्णन को भी यदि पुस्तकों में देखते तो वह पुरुषों का विकास ही ज्यादा दिखता क्योंकि औजार बनाना, आग का आविष्कार, शिकार करने आदि में मानव की तस्वीरें तो पुस्तकों में दिख ही जातीं हैं, पर आदि मानवी का चित्रण सिर्फ भोजन पकाने और बच्चे संभालने के काम में ही दिखाया जाता रहा है। मानो इसके अलावा उसका कोई और काम या योगदान ही न रहा हो। पाठ्य पुस्तकें महिलाओं को लेकर काफी भेदभावपूर्ण रहीं, जिन पर बाद में काफी गंभीर कार्य किए गए। निरंतर और एन. सी. आर. टी., नई दिल्ली का कार्य इस संदर्भ में उल्लेखनीय है।