दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपिता नेल्सन रोलीहला मंडेला पर महात्मा गांधी का प्रभाव - Influence of Mahatma Gandhi on Nelson Rolihla Mandela, Father of the Nation of South Africa
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपिता नेल्सन रोलीहला मंडेला पर महात्मा गांधी का प्रभाव - Influence of Mahatma Gandhi on Nelson Rolihla Mandela, Father of the Nation of South Africa
(18 जुलाई 1919-5 दिसंबर 2013) दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति बनने से पूर्व वे दक्षिण अफ्रीका में सदियों से चल रहे रंगभेद का विरोध करने वाले अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस और इसके सशस्त्र गुट उमखोंतो वे सिजवे के अध्यक्ष रहे। रंगभेद विरोधी संघर्ष के कारण उन्होंने 27 वर्ष रॉबेन द्वीप के कारागार में बिताए जहाँ उन्हें कोयला खनिक का काम करना पड़ा था। 1990 ई. में श्वेत सरकार से हुए एक समझौते के बाद उन्होंने नए दक्षिण अफ्रीका का निर्माण किया। वे दक्षिण अफ्रीका एवं समूचे विश्व में रंगभेद का विरोध करने के प्रतीक बन गए। संयुक्त राष्ट्रसंघने उनके जन्म दिन को नेल्सन मंडेला अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।
प्रारंभिक जीवन
मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1919 को वेजो, ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ्रीका संघ में गेडला हेनरी म्फाकेनिस्वा और उनकी तीसरी पत्नी नेक्यूफी नोसकेनी के यहाँ हुआ था। वे अपनी माँ नोसकेनी की प्रथम और पिता की सभी संतानों में 13 भाइयों में तीसरे थे। मंडेला के पिता हेनरी म्वेजों कस्बे के जनजातीय सरदार थे। स्थानीय भाषा में सरदार के बेटे को मंडेला कहते थे, जिससे उन्हें अपना उपनाम मिला। उनके पिता ने इन्हें 'रोलीहला' प्रथम नाम दिया था, जिसका खोज़ा में अर्थ 'उपद्रवी' होता है। उनकी माता मेथोडिस्ट थी।
मंडेला ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल से पूरी की। उसके बाद की स्कूली शिक्षा मेथोडिस्ट मिशनरी स्कूल से ली। मंडेला जब 12 वर्ष के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई। 1941 ई. में मंडेला जोहान्सबर्ग चले गए, जहाँ इनकी मुलाकात वॉल्टर सिसुलू और वॉल्टर एल्बरटाइन से हुई। उन दोनों ने राजनीतिक रूप से मंडेला को बहुत प्रभावित किया । जीवन-यापन के लिए वे एक कानूनी फर्म में क्लर्क बन गए, परंतु धीर-धीरे उनकी सक्रियता राजनीति में बढ़ती चली गई। रंग के आधार पर होने वाले भेदभाव को दूर करने के लिए उन्होंने राजनीति में कदम रखा। 1944 ई. में वे अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस में शामिल हो गए जिसने रंगभेद के विरुद्ध आंदोलन चला रखा था। इसी वर्ष उन्होंने अपने मित्रों और सहयोगियों के साथ मिल कर अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग की स्थापना की।
1947 ई. में वे लीग के सचिव चुने गए। 1961 ई. में मंडेला और उनके कुछ मित्रों के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा चला, परंतु उसमें उन्हें निर्दोष माना गया। 5 अगस्त 1962 ई. को उन्हें मज़दूरों को हड़ताल के लिए उकसाने और बिना अनुमति देश छोड़ने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर मुकदमा चला और 12 जुलाई, 1964 ई. को उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई। सज़ा के लिए उन्हें रॉबेन द्वीप की जेल में भेजा गया, किंतु सजा से भी उनका उत्साह कम नहीं हुआ। उन्होंने जेल में भी अश्वेत कैदियों को लामबंद करना शुरू कर दिया था। जीवन के 27 वर्ष कारागार में बिताने के बाद अंततः 11 फ़रवरी, 1990 ई. को उनकी रिहाई हुई। रिहाई के बाद समझौते और शांति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतांत्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी।
1994 ई. में दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद रहित चुनाव हुए। अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस ने 62 प्रतिशत मत प्राप्त किए और बहुमत के साथ उनकी सरकार बनी। 10 मई, 1994 ई. को मंडेला अपने देश के सर्वप्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने। दक्षिण अफ्रीका के नए संविधान को मई 1996 ई. में संसद की ओर से सहमति मिली, जिसके अंतर्गत राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारों की जाँच के लिए कई संस्थाओं की स्थापना की गई। 1997 ई. में वे सक्रिय राजनीति से अलग हो गए और दो वर्ष पश्चात् उन्होंने 1999 में कांग्रेस-अध्यक्ष का पद भी छोड़ दिया। नेल्सन मंडेला बहुत हद तक महात्मा गांधी की तरह अहिंसक मार्ग के समर्थक थे। उन्होंने गांधी को प्रेरणा स्रोत माना था और उनसे अहिंसा का पाठ सीखा था। मंडेला ने तीन शादियाँ की, जिनसे उनकी छह संतानें हुई। उनके परिवार में 17 पोते-पोती थे।
अक्टूबर 1944 ई. को उन्होंने अपने मित्र व सहयोगी वॉल्टर सिसुलू की बहन इवलिन मेस से शादी की। 1961 में मंडेला पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया, परंतु उन्हें अदालत ने निर्दोष पाया। इसी मुकदमे के दौरान उनकी मुलाकात अपनी दूसरी पत्नी नोमजामो विनी मेडीकिजाला से हुई। 1998 ई. में अपने 80 वें जन्मदिन पर उन्होंने ग्रेस मेकल से विवाह किया।
5 दिसंबर 2013 ई. को फेफड़ों में संक्रमण हो जाने के कारण मंडेला की हॉटन, जोहान्सबर्ग स्थित अपने घर में मृत्यु हो गई। मृत्यु के समय वे 95 वर्ष के थे और उनका पूरा परिवार उनके साथ था।
उनकी मृत्यु की घोषणा राष्ट्रपति जेकब ज़ूमा ने की। दक्षिण अफ्रीका के लोग मंडेला को व्यापक रूप से राष्ट्रपिता' मानते थे। उन्हें 'लोकतंत्र के प्रथम संस्थापक' 'राष्ट्रीय मुक्तिदाता और उद्धारकर्ता' के रूप में देखा जाता था। 2004 में जोहान्सबर्ग में स्थित सैंडटन स्क्वायर शॉपिंग सेंटर में मंडेला की मूर्ति स्थापित की गई और सेंटर का नाम बदलकर नेल्सन मंडेला स्क्वायर रख दिया गया। दक्षिण अफ्रीका में प्रायः उन्हें मदीबा कह कर बुलाया जाता है जो बुजुर्गों के लिए एक सम्मान सूचक शब्द है।
नवंबर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभाने रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके योगदान के सम्मान में उनके जन्मदिन (18 जुलाई) को मंडेला दिवस घोषित किया। 67 साल तक मंडेला के इस आंदोलन से जुड़े होने के उपलक्ष्य में लोगों से दिन के 24 घंटों में से 67 मिनट दूसरों की मदद करने में तथा दान देने का आग्रह किया गया। मंडेला को विश्व के विभिन्न देशों और संस्थाओं द्वारा 250 से भी अधिक सम्मान और पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। 1993 ई. में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति फ्रेडरिक विलेम डी क्लार्क के साथ संयुक्त रूप सेनोबेल शांति पुरस्कार प्रेसीडेंट मेडल ऑफ़ फ्रीडम, ऑर्डर ऑफ़ लेनिन, भारत रत्न, निशान-ए-पाकिस्तान और 23 जुलाई, 2008 ई. को गांधी शांति पुरस्कार दिए गए।
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