दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों की देशज भाषा - Native language of Indians in South Africa

दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों की देशज भाषा - Native language of Indians in South Africa


दक्षिण अफ्रीका की स्थानीय भाषा तथा भारतीय भाषाओं के विभिन्न रूपों के सम्मिश्रण से जिस हिंदी भाषा का रूप उभरा, उसे नाताली हिंदी या कलकतिया बात कहते हैं। दक्षिण अफ्रीका में बसे हुए भारतीय मूल के लोगों के बीच बोली जाने वाली हिंदी की विशिष्टभाषिक शैली को नैताली नाम से संबोधित किया जाता है। दक्षिण अफ्रीका चार प्रांतों में बँटा हुआ है नताल, केप, आरेंज फ्री स्टेट तथा ट्रांसवाल। दक्षिण अफ्रीका के महानगर डरबन में भारतीय मूल के निवासी सबसे अधिक हैं।

यहाँ पर बोली जाने वाली हिंदी जोकि भोजपुरी हिंदी का एक विशिष्ट रूप है भारतीयों के मध्य बोली जाती है, उसे नैताल में बोली जाने के कारण नैताली कहा जाता है। आज दक्षिण अफ्रीका में नैताली बोलने वाले भारतीय मूल के लोग अधिक नहीं हैं। यही कारण है कि नैताली में साहित्य लेखन बहुत कम हो रहा है। वहाँ के लोकगीतों में नैताली का रूप आज देखने को मिलता है। लोकगीतों का एक विशिष्ट रूप जिसे 'चटनी' नाम से संबोधित किया जाता है आजकल प्रतिष्ठित भारतीय समाज में बहुत लोकप्रिय हो चुका है। विवाह के अवसरों पर आज इनकी माँग बहुत बढ़ गई है,

क्योंकि पश्चिमी डिस्को की शैली में ढले ये नैताली लोकगीत आधुनिक फैशन के प्रतीक बन गए हैं। इन चटनी लोकगीतों ने भारतीय समाज के सांस्कृतिक तथा भाषिक मूल की ओर भारतीयों को फिर से आकर्षित किया है। यह नैताली हिंदी ही है जो भारतीयों को उनके मूल भारत से तथा उनके कर्मक्षेत्र दक्षिण अफ्रीका से जोड़े हुए है।


नैताली हिंदी भाषा नमूना: बागन का साहब यू रास्कल, टुम काम छोड़ डेना चाहता है। हम टुमारा बोटी बोटी काट डालेगा।


गिरमिटिया श्रमिक - नाही साहेब..... हम काम छोड़ के कहाँ जाइब ? दुई चार दिनों का हमका छुटी


देवा