विश्वभाषा हिन्दी - World Language Hindi

विश्वभाषा हिन्दी - World Language Hindi

हिन्दी विश्व में बोलने एवं समझने वालों की संख्या के आधार पर विश्व की दूसरी सबसे अधिक बोली और समझे जाने वाली भाषा है। भारत के अलावा अन्य देशों में भी हिन्दी बोलने वालों और समझने वालों की संख्या करोड़ों में है। मॉरीशस, फिजी, गुयाना, सुरीनाम, त्रिनिडाड एवं दक्षिण अफ्रिका आदि देशों में तो बहुत पहले से हजारों भारतीय बसे हुए हैं जो हिन्दी समझते हैं। डॉ. विमलेश कांति वर्मा के शब्दों में, "फिजी में तो शायद ही ऐसा कोई भारतीय या फिजीयन हो जो हिन्दी न समझता हो। सम्भवतः इसीलिए फिजी में हिन्दी को सांवैधानिक मान्यता प्राप्त है।" भारत के पड़ोसी देशों, जैसे: नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं श्रीलंका में भीहिन्दी समझने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक है। वर्तमान में विश्व के लगभग सभी प्रमुख देशों में नौकरी, व्यापार या आजीविका की दृष्टि से भारतीय जाकर बस गए हैं जो वहाँ पर हिन्दी का प्रयोग करते हैं। इस प्रकार हिन्दी का प्रयोग करने तथा समझने वाले सभी भारतीयों एवं प्रवासी भारतीयों की विशाल संख्या तथा विश्व के लगभग सभी प्रमुख देशों में उनका होना हिन्दी को वैश्विक बना देता है और यह हिन्दी को विश्वभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने में आधार का कार्य कर सकता है।


सूरीनाम में सम्पन्न सातवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में प्रकाशित स्मारिका में डॉ. जयंती प्रसाद नौटियाल ने विश्व में हिन्दी जानने वालों की सारणी प्रस्तुत की जिसमें भारत के बाहर हिन्दी जानने वालों की संख्या 43 करोड़ बताई गई है। यूनेस्को में भी अन्य स्वीकृत भाषाओं के साथ-साथ हिन्दी का भी प्रयोग किया जाता है। इसके संविधान में संसोधन तथा अन्य निर्णयों का हिन्दी में अनुवाद किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा के रूप में भीहिन्दी को मान्यता दिलाने के प्रयास तेजी से किए जा रहे हैं।