भारतीय साहित्य की सामान्य प्रवृत्तियाँ : सन्त काव्य

भारतीय साहित्य की सामान्य प्रवृत्तियाँ : सन्त काव्य

भारतीय वाक्य की तीसरी प्रमुख प्रवृत्ति है सन्तकाव्य। इसकी परम्परा भी प्रायः सर्वत्र व्याप्त है। तमिल के 'अठारह सिद्ध' सन्त कवि थे जिन्होंने सरल वाणी में रहस्यवादी रचनाएँ की हैं। तेलुगु में वेमन, वीरब्रह्म, और कन्नड़ के सर्वज्ञ आदि इस वर्ग के प्रमुख कवि हैं। मराठी का सन्तकाव्य तो अत्यन्त प्रसिद्ध है ही । महानुभाव सम्प्रदाय के सन्त ज्ञानदेव, उनके अनुयायी नामदेव और वारकरी पंथ के अन्य सन्त तथा एकनाथ आदि अत्यन्त प्रसिद्ध महात्मा शताब्दियों तक अपनी ज्ञानभक्तिमयी कविता द्वारा इस परम्परा का संवर्धन करते रहे जिनके - फलस्वरूप मराठी में सन्त काव्य का अत्यन्त समृद्ध कोष तैयार हो गया। गुजराती में यह प्रवृत्ति हमें सत्रहवीं शती मैं अखो की रचनाओं - चित्तविचार संवाद, अनुभव बिन्दु तथा अखोगीता में और सहजानन्द, प्रीतमदास आदि - सन्त कवियों की कविता में मिलती है। इन कवियों में शास्त्रसम्मत वैष्णव भक्ति सम्प्रदायों विशेषकर गुजरात में प्रवर्तित वल्लभ सम्प्रदाय के विरुद्ध आवाज़ उठायी और शृंगारिक अर्चा-विधियों का तिरस्कार करते हुए सहज भक्ति एवं पवित्र जीवन का महत्त्व प्रतिपादित किया। बंगाल में बाउल गीतों का सत्रहवीं अठारहवीं शती में बड़ा प्रचार हुआ। ये बाउल गीत हिन्दू-मुसलमान जनता की समन्वित धार्मिक मान्यताओं को सीधी-सादी भाव-प्रवण भाषा में व्यक्त करते हैं। इनके रचयिता ग्रामीण सन्त कवि थे जिन्होंने संसार से वैराग्य ले लिया था और मानों किसी दिव्य प्रेम के उन्माद में सामान्य सामाजिक रीति-नीति को तिलांजली दे दी थी। उड़िया के कवि भीमाभाई ने उन्नीसवीं शताब्दी में इस परम्परा को उद्दीप्त किया। परन्तु सब मिलाकर सन्तकाव्य का सर्वाधिक प्रचार उत्तर- पश्चिम की भाषाओं हिन्दी, पंजाबी और उर्दू में रहा। पंजाबी में गुरु नानक तथा अन्य सिख कवियों और अनेक हिन्दू-मुसलमान सन्तों की अमृतवाणी से पोषित सन्त-काव्य का अनन्त भण्डार विद्यमान है। इसी प्रकार कबीर, दादू सुन्दरदास आदि की दिव्य प्रतिभा से आलोकित हिन्दी का सन्तकाव्य भी गुण एवं परिणाम दोनों की दृष्टि से अत्यन्त समृद्ध है। उधर उर्दू साहित्य में भी सूफ़ी मुक्तक कवियों ने इस प्रवृत्ति के संवर्धन में योगदान किया है। वास्तव में मध्ययुग में सन्तकाव्य और प्रेमाख्यानक काव्य ये दो ही प्रवृत्तियाँ ऐसी हैं जो उर्दू में भी समान रूप से उपलब्ध होती हैं।