वैयक्तिक सेवा कार्य का महत्व - Importance Of Social Case Work

(1) सांवेगिक प्रतिक्रियाऐंः- चिकित्सालय में प्रवेश स्वयं अपने आप में एक समस्या है। बालक के लिए रोग भी सांवेगिक समस्या है। इस समस्या में उस समय और भी अधिक वृद्धि होती है जब उसकी शल्य चिकित्सा की जाती है। इंजेक्शन लगाने के सम्बन्ध में भी इसी प्रकार की समस्या उत्पन्न होती है। 

(2) परिवार से अलगाव :- चिकित्सालय आने पर बालक के अधिकांश सामाजिक सम्बन्ध विच्छिन्न हो जाते हैं। इसका प्रतिफल यह होता है कि वह आदान-प्रदान की प्रक्रिया में भाग नहीं लेता है। वह कभी-कभी न तो बात करता है और न सलाह मानता है। इस विरोध की भावना का कारण अपने सामान्य पर्यावरण से पृथक् होना तथा वर्तमान परिस्थितियों से ताल-मेल न कर पाना होता है। 

(3) एकाकीपन की समस्या :- यद्यपि सभी बालक सामान्य क्रियाएं  सम्पन्न करने में असमर्थ नहीं होते तथापि चिकित्सालय में वे पंगु बन जाते हैं। वे शैया पर सभी ख़ुशियों एवं प्रसन्नताओं से वंचित पड़े रहते हैं। उनके पास समय व्यतीत करने का कोई साधन नहीं होता है। अतः या तो उनको अकारण भय उत्पन्न हो जाता है या फिर अपने को अर्थहीन समझने लगते हैं। 

(4) वात्सल्य एवं प्रेम की कमी :- कोई माता पिता अपने में ही उलझे रहते हैं और बालक की ओर ध्यान नहीं दे पाते हैं। परिणामस्वरूप बालक इस आवश्यक तत्व से वंचित रहता है और उन स्थितियों की खोज करता है जहाँ पर वह माता पिता का प्रेम पा सकता है। बीमार होना एक ऐसी ही स्थिति है। 

(5) अहमन्यताः - कभी कभी माता पिता रोगी बालक की इतनी अधिक देख रेख, परवाह तथा लाड़ प्यार करते हैं कि वह केवल एकांगी बन कर रहा जाता है। उसका समायोजन अव्यवस्थित हो जाता है। अस्पताल से वापस जाने पर उसके मार्ग में अनेक कठिनाइयाँ उत्पन्न हो जाती हैं।